30 नवंबर, 2007

सीख लोगे...




सत्य का रास्ता बहुत कठिन होता है ,
बहुत तकलीफें,
अनगिनत कठिनाईयाँ .
सरल कुछ भी नहीं होता है.
पर यूँ ही तो नहीं कहते सब
'सत्यमेव जयते'?
जीत आसानी से कभी नहीं मिलती.
अक्षरों का ज्ञान तक
अभ्यास-दर-अभ्यास होता है,
बच्चों की ज़ुबान पर शब्द लाने के लिए
अभिभावकों को भी फिर से पढना होता है
रटाने के लिए रटना पड़ता है......
जूते पहनकर कब तक चलोगे?
कांटे चुभे नहीं,
तो निकालना कैसे सीखोगे?
पहले मकसद तो बनाओ जीत की
रास्ते आसान बनाना सीख लोगे...

9 टिप्‍पणियां:

  1. जूते पहनकर कब तक चलोगे?
    कांटे चुभे नहीं,
    तो निकालना कैसे सीखोगे?
    पहले मकसद तो बनाओ जीत की
    रास्ते आसान बनाना सीख लोगे...

    bahuut sundar kavita ka bahut sundar vishram dhnya hai ye kavita

    Anil

    जवाब देंहटाएं
  2. सत्य का रास्ता बहुत कठिन होता है ,
    बहुत तकलीफें,
    अनगिनत कठिनाईयाँ .
    सरल कुछ भी नहीं होता है.

    सही लिखा आपने ..

    जवाब देंहटाएं
  3. पहले मकसद तो बनाओ जीत की
    रास्ते आसान बनाना सीख लोगे...

    बहुत अच्छा संदेश दिया है आपने.

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  4. कांटे चुभे नहीं,
    तो निकालना कैसे सीखोगे?
    पहले मकसद तो बनाओ जीत की
    रास्ते आसान बनाना सीख लोगे...

    कितनी हच बात कही है ..जब तक परेशानियाँ नहीं आएँगी तो उनसे निपटना भी नहीं सीख सकते ..

    जवाब देंहटाएं
  5. पहले मकसद तो बनाओ जीत की
    रास्ते आसान बनाना सीख लोगे...
    sunder rachna ..!!

    जवाब देंहटाएं
  6. पहले मकसद तो बनाओ जीत की
    रास्ते आसान बनाना सीख लोगे..सुन्दर अभिव्यक्ति् धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर..प्रेरणादायी रचना..
    सादर नमन रश्मि जी.

    जवाब देंहटाएं
  8. जूते पहनकर कब तक चलोगे?
    कांटे चुभे नहीं,
    तो निकालना कैसे सीखोगे?

    बहुत सहज बहतु सुन्दर दी....
    सादर.

    जवाब देंहटाएं

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...