tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post1355888868117864502..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: सबकुछ प्रयोजनयुक्त !रश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-30904992613768604472012-05-06T13:28:58.570+05:302012-05-06T13:28:58.570+05:30आपने तो सब सत्य ही कह दिया!आपने तो सब सत्य ही कह दिया!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-8751021061952884382012-05-06T10:49:08.190+05:302012-05-06T10:49:08.190+05:30हम सब अक्सर उतना ही देखते सुनते हैं
जितना और जैसा ...हम सब अक्सर उतना ही देखते सुनते हैं<br />जितना और जैसा हम चाहते हैं<br /><br />ठीक बाट है दी ...पर सत्य की जय मुश्किल भले हो ....असंभव नहीं .....<br />सत्य की राह पर अडचने ज्यादा आतीं हैं ....Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-79692508850094620732012-05-06T09:36:52.987+05:302012-05-06T09:36:52.987+05:30और दुर्गति
हमेशा सत्य की होती है -
क्योंकि वह सो...और दुर्गति <br />हमेशा सत्य की होती है - <br />क्योंकि वह सोच और चाह के धरातल पर खरा नहीं होता ...gahan soch..sundar abhivyakti...Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-36154577917104668262012-05-06T07:01:46.458+05:302012-05-06T07:01:46.458+05:30हम सब अपने अपने नग्न सत्य से वाकिफ हैं
उसे हम ही स...हम सब अपने अपने नग्न सत्य से वाकिफ हैं<br />उसे हम ही सौ पर्दों से ढँक देते हैं<br />दर्द , अन्याय ,<br />.... अक्षरसः कौन सुना पाया है ?<br />हाँ चटखारे लेकर<br />अर्धसत्य को उधेड़ना सब चाहते हैं<br />पर अपने अपने सत्य को<br />कई तहखानों में रख कर ही चलना चाहते हैं!<br /><br />हम सब यही तो करते हैं !<br />गहन गूढ़ अभिव्यक्ति !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/10839893825216031973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-26501693572849172642012-05-06T01:09:15.358+05:302012-05-06T01:09:15.358+05:30Mujhe thoda time lagega samajhne mein.. shaayad ab...Mujhe thoda time lagega samajhne mein.. shaayad abhi itni paripakvata nahi hai...!Madhureshhttps://www.blogger.com/profile/03058083203178649339noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-76777274311011316522012-05-05T23:59:52.555+05:302012-05-05T23:59:52.555+05:30गहन चिंतन को बाध्य करती रचना.....गहन चिंतन को बाध्य करती रचना.....अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-64418230759309995312012-05-05T22:49:35.358+05:302012-05-05T22:49:35.358+05:30कानपुर के टेम्पो के पीछे लिखा सद्विचार...सत्य परेश...कानपुर के टेम्पो के पीछे लिखा सद्विचार...सत्य परेशान हो सकता है...पराजित नहीं...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-30074101637738608682012-05-05T22:05:26.021+05:302012-05-05T22:05:26.021+05:30एक ही बात -
जो कही जाती है
जो बताई जाती है
जो द...एक ही बात - <br />जो कही जाती है <br />जो बताई जाती है <br />जो दुहराई जाती है ..... <br />उसमें कोई संबंध नहीं होता<br />सम्बन्ध हो न हो प्रयोजन जरूर होता है ..M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-13226392857765524802012-05-05T19:56:02.972+05:302012-05-05T19:56:02.972+05:30बहुत गहन अभिव्यक्ति....बहुत गहन अभिव्यक्ति....Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-63417605634099803242012-05-05T19:50:57.366+05:302012-05-05T19:50:57.366+05:30एक एक कर सारे भार हटा कर देखे हैं, अस्तित्व की भार...एक एक कर सारे भार हटा कर देखे हैं, अस्तित्व की भारहीनता आनन्ददायिनी है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-1196168214326929072012-05-05T19:02:05.442+05:302012-05-05T19:02:05.442+05:30हम सब अक्सर उतना ही देखते सुनते हैं
जितना और जैसा ...हम सब अक्सर उतना ही देखते सुनते हैं<br />जितना और जैसा हम चाहते हैं<br />न कारण सत्य है, न परिणाम ....satay ki khoz me hai har koi.... ye rachna sayad hame staya se milane ki ek kosish hai....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-47259855865034179732012-05-05T19:00:17.486+05:302012-05-05T19:00:17.486+05:30सत्यमेव जयते तो एक आशा है , जिसकी धार पर जिजीविषा ...सत्यमेव जयते तो एक आशा है , जिसकी धार पर जिजीविषा बनी रहती है ...रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-63225906384359272012-05-05T18:53:47.888+05:302012-05-05T18:53:47.888+05:30सही सत्य कहा है .....सही सत्य कहा है .....Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-75666368476346734002012-05-05T17:06:15.585+05:302012-05-05T17:06:15.585+05:30यह दुहरा चरित्र मानवता को बर्वाद कर रहा है और जिम्...यह दुहरा चरित्र मानवता को बर्वाद कर रहा है और जिम्मेवार हम सब हैं ! <br />आभार ...Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-79633314242869663352012-05-05T16:21:17.465+05:302012-05-05T16:21:17.465+05:30हम सब अक्सर उतना ही देखते सुनते हैं
जितना और जैसा ...हम सब अक्सर उतना ही देखते सुनते हैं<br />जितना और जैसा हम चाहते हैं<br /><br />वाह...रश्मि जी एक बार र आपने अपनी लेखनी का लोहा मनवाया है...बधाई स्वीकारें<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-13864959480534814352012-05-05T16:06:04.503+05:302012-05-05T16:06:04.503+05:30तभी सत्य को कडवा कहा गया है आवरण हटते ही उसकी दुर्...तभी सत्य को कडवा कहा गया है आवरण हटते ही उसकी दुर्गति निश्चित है और अपने सत्य से सभी परिचित होते हैं …………एक अति उत्तम अभिव्यक्ति सारे भेद खोलती।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-74132141220467761052012-05-05T15:35:55.547+05:302012-05-05T15:35:55.547+05:30हम सब अक्सर उतना ही देखते सुनते हैं
जितना और जैसा ...हम सब अक्सर उतना ही देखते सुनते हैं<br />जितना और जैसा हम चाहते हैं<br />न कारण सत्य है, न परिणाम ....<br /><br />....बिलकुल सच...बहुत गहन और सार्थक चिंतन...आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-45738688462284865502012-05-05T15:07:28.677+05:302012-05-05T15:07:28.677+05:30बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....
इंडिय...बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....<br /><br /><a href="http://indiadarpan.blogspot.com" rel="nofollow"><br />इंडिया दर्पण</a> की ओर से शुभकामनाएँ।India Darpanhttps://www.blogger.com/profile/14088108004545448186noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-18966039271237545752012-05-05T14:54:29.208+05:302012-05-05T14:54:29.208+05:30और दुर्गति
हमेशा सत्य की होती है -
क्योंकि वह सोच ...और दुर्गति<br />हमेशा सत्य की होती है -<br />क्योंकि वह सोच और चाह के धरातल पर खरा नहीं होता ...<br /><br />पर अंततः जीत तो सत्य की ही होती हैRITU BANSALhttps://www.blogger.com/profile/14474354506605954847noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-68367945060650974802012-05-05T14:22:12.777+05:302012-05-05T14:22:12.777+05:30सही कहा आपने, सत्य का सामना करना आसान नहीं है !!!!...सही कहा आपने, सत्य का सामना करना आसान नहीं है !!!!देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-87098164967986757882012-05-05T13:08:39.403+05:302012-05-05T13:08:39.403+05:30सत्य तो आखिर सत्य ही है।सत्य तो आखिर सत्य ही है।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-535033262848245682012-05-05T12:46:20.656+05:302012-05-05T12:46:20.656+05:30बेहद गहन और सार्थक है पोस्ट झूठ के आवरण के बिना नग...बेहद गहन और सार्थक है पोस्ट झूठ के आवरण के बिना नग्न सत्य बहुत कटु होता है ये अनुभव जीवन के रुख मोड़ देते हैं आसमान से ज़मीं पर लाकर पटक देता है ये सत्य......इस शानदार पोस्ट के लिए हैट्स ऑफ आपको।<br /><br />न जाने कैसे इतने दिनों से आपके ब्लॉग पर कभी आना नहीं हुआ.....वंचित रहा.... खैर देर आयद दुरुस्त आयद.....बहुत अच्छा लगा यहाँ आकर आज ही आपको फॉलो कर रहा हूँ ताकि आगे भी साथ बना रहे ।<br /><br />कभी फुर्सत में हमारे ब्लॉग पर भी आयिए- (अरे हाँ भई, सन्डे को भी)<br /><br />http://jazbaattheemotions.blogspot.in/<br />http://mirzagalibatribute.blogspot.in/<br />http://khaleelzibran.blogspot.in/<br />http://qalamkasipahi.blogspot.in/<br /><br />एक गुज़ारिश है ...... अगर आपको कोई ब्लॉग पसंद आया हो तो कृपया उसे फॉलो करके उत्साहAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-27763838819416905042012-05-05T12:39:24.564+05:302012-05-05T12:39:24.564+05:30सत्य झूठ के कपड़ों से न ढंका हो
तो उससे बढ़कर ...सत्य झूठ के कपड़ों से न ढंका हो <br /> तो उससे बढ़कर कुरूप कुछ नहीं !<br /> हम सब अपने अपने नग्न सत्य से वाकिफ हैं <br />उसे हम ही सौ पर्दों से ढँक देते हैं <br />अपने अपने सत्य को,कई तहखानों में ,<br />रख कर ही हर शक्स चलता है !<br />न कारण सत्य है, न परिणाम .... <br />और दुर्गति ,हमेशा सत्य की होती है - (कठिन सवाल का)<br />क्योंकि वह सोच और चाह के धरातल पर खरा नहीं होता ....(सही-आसान जबाब)विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-57794528751393272632012-05-05T12:26:57.616+05:302012-05-05T12:26:57.616+05:30पहली बार जो कहा जाता है वह सत्य के क़रीब होता है.....पहली बार जो कहा जाता है वह सत्य के क़रीब होता है... आगे बढ़ते बढ़ते उसका रूप रंग आकार सबकुछ बदल जाता है.ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-37674630592122719582012-05-05T12:24:52.386+05:302012-05-05T12:24:52.386+05:30सुन्दर जीवन दर्शन प्रस्तुत किया है आपने...
सत्य ह...सुन्दर जीवन दर्शन प्रस्तुत किया है आपने...<br /><br />सत्य हमेशा से हमारे ही आस-पास होता है, कभी हम तैयार नहीं होते, कभी परदे के पीछे होतें है या फिर कभी हम भी शरीक होते हैं उसे छिपाए रखने में.<br /><br />बेहतरीन रचना...आभार.Santosh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08093068150076949621noreply@blogger.com