tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post1936230914934744311..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: तुम और शब्द - परिवर्तन का आह्वानरश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-57563385585111228482012-04-07T15:41:14.865+05:302012-04-07T15:41:14.865+05:30तुम्हारी चीखें -
तुम्हारे चेहरे की तनी नसों में सं...तुम्हारी चीखें -<br />तुम्हारे चेहरे की तनी नसों में संजीदगी से कैद थीं<br />जिन्हें शब्दों के मरहम से<br />तुमने वीनस बना दिया था !<br />अन्याय के काल्पनिक विरोध से<br />रक्तरंजित तुम्हारी हथेलियाँ<br />रामायण से कम नहीं लगती थीं<br />तुम्हारी प्रोज्ज्वलित आँखों के आगे<br />तुम्हारे दर्द का कुरुक्षेत्र नज़र आता था<br />लक्ष्यभेदी वाणों की गूँज सुनाई देती थी<br />और अविरल मुस्कान में एक अंतहीन तप !<br /><br />पूरी तरह से निशब्द निर्वाक हो गयी हूँ इस अप्रतिम रचना को पढ़ कर ! बार-बार पढती हूँ लेकिन जी नहीं भरता ! आपकी लेखनी को सौ बार नमन रश्मि जी ! बहुत ही उत्कृष्ट रचना है ! काश आपका आह्वान हर नारी तक पहुँच सके ! तथास्तु !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-34738197547822815002012-04-06T09:51:24.315+05:302012-04-06T09:51:24.315+05:30कमाल था तुम्हारे तेज का
तुम्हारे सत्य का
तुम मोम क...कमाल था तुम्हारे तेज का<br />तुम्हारे सत्य का<br />तुम मोम की तरह पिघलकर भी<br />कभी ख़त्म नहीं हुई .....शब्दों की अनवरत अभिवयक्ति.......विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-17779386072279818542012-04-04T13:07:37.882+05:302012-04-04T13:07:37.882+05:30ये शब्दों का मायाजाल हैं ........हम जैसे लिखने वाल...ये शब्दों का मायाजाल हैं ........हम जैसे लिखने वाले इस में ही फसं कर रहे गए हैं ...शब्द एक जाले की भांति अपने इर्द गिर्द हैं अब ...जो अपनी सोच को मजबूती से जकडे हुए हैंAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-72885400285695168582012-04-03T22:50:10.898+05:302012-04-03T22:50:10.898+05:30क्या कहूँ बस एक ही शब्द गज़ब ....क्या कहूँ बस एक ही शब्द गज़ब ....Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-30876262220618566162012-04-03T15:40:43.132+05:302012-04-03T15:40:43.132+05:30कल 04/04/2012 को आपके ब्लॉग की प्रथम पोस्ट नयी प...<i><b> कल 04/04/2012 को आपके ब्लॉग की <b>प्रथम पोस्ट </b><a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.com" rel="nofollow"> नयी पुरानी हलचल </a> पर लिंक की जा रही हैं.<br /><br />आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद! </b></i><br /><br /><b> ... अच्छे लोग मेरा पीछा करते हैं .... ... </b>सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-7013343947567573032012-04-03T08:51:12.429+05:302012-04-03T08:51:12.429+05:30सम्यक ज्ञान ही हमें विवशताओं के परे निकालता है।सम्यक ज्ञान ही हमें विवशताओं के परे निकालता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-72491347792343194372012-04-03T08:20:36.768+05:302012-04-03T08:20:36.768+05:30प्रेरक ....सकारात्मक , सार्थक !प्रेरक ....सकारात्मक , सार्थक !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-71018787287750929582012-04-02T23:17:27.859+05:302012-04-02T23:17:27.859+05:30विचार के विस्तार की असीम श्रृंखला, बहुत अद्भुत रचन...विचार के विस्तार की असीम श्रृंखला, बहुत अद्भुत रचना, बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-80247565448875747722012-04-02T19:59:04.388+05:302012-04-02T19:59:04.388+05:30तुम्हारी धड़कनों में वेद ऋचाएं धड़कती हैं
आँखों मे...तुम्हारी धड़कनों में वेद ऋचाएं धड़कती हैं<br />आँखों में आध्यात्मिक पांडुलिपियाँ हैं<br />तुम्हारे लिए हाँ तुम्हारे लिए<br />पूरी धरती कागज़ की शक्ल लिए खड़ी है<br />प्रकृति प्रदत्त हर मौसम की कलम में<br />भर लो नदी और सागर<br />लिखो वह सब , जो अब तक अनकहा है<br />हर अनकहे में रंग भर दो<br /><br />बहुत सुंदर भाव लिये एक सार्थक सन्देश देती कविता.<br /><br />बधाई एवं शुभकामनायें.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-64383591321426711972012-04-02T19:50:29.365+05:302012-04-02T19:50:29.365+05:30BAHUT DINON KE BAAD EK ACHCHHEE
KAVITA PADHNE KO M...BAHUT DINON KE BAAD EK ACHCHHEE<br />KAVITA PADHNE KO MILEE HAI .pran sharmahttps://www.blogger.com/profile/14658673113780007596noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-82170050642081835172012-04-02T18:57:20.281+05:302012-04-02T18:57:20.281+05:30कितनी बार पढ़ गया दी इस अद्भुत रचना को....
इतनी सघ...कितनी बार पढ़ गया <b>दी</b> इस अद्भुत रचना को.... <br />इतनी सघनता से गुंथे हुए हैं भाव के आवाक कर देते हैं... मोम की तरह पिघल कर भी ख़त्म नहीं होना... शब्दों के मरहम से वीनस बनाना... काल्पनिक विरोध से रक्तरंजित हाथ... दर्द का कुरुक्षेत्र... ओह! अद्भुत बिम्बों से कसी ऐसी रचना जिसके किसी अंश को पृथक उद्धृत नहीं किया जा सकता... अद्भुत.... <br />सादर नमन.S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-59055573695873417892012-04-02T17:36:51.600+05:302012-04-02T17:36:51.600+05:30जिसकी झोपड़ी के आगे शब्दों का खुदा खड़ा हो
एहसासों...जिसकी झोपड़ी के आगे शब्दों का खुदा खड़ा हो<br />एहसासों की देवी हो<br />उसकी राहें कभी अवरुद्ध दिखें<br />यह किसी को स्वीकार नहीं !<br />रंचमात्र भी विस्मृति की शक्ल तुम्हारे लिए नहीं.....<br />bahut sundar shabdMamta Bajpaihttps://www.blogger.com/profile/00085992274136542865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-71710628286996402142012-04-02T14:45:53.426+05:302012-04-02T14:45:53.426+05:30बहुत कुछ समझाती सी रचना.बहुत कुछ समझाती सी रचना.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-14659702354663818132012-04-02T13:06:49.484+05:302012-04-02T13:06:49.484+05:30पर सबकी छाया प्रतिविम्बित थी तुम्हारे अक्स में
बि...पर सबकी छाया प्रतिविम्बित थी तुम्हारे अक्स में <br />बिल्कुल सच कहा है आपने ... शब्दश:सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-33633790242449320422012-04-02T13:00:59.172+05:302012-04-02T13:00:59.172+05:30बहुत सुंदर कविता,बेहतरीन पोस्ट,....
MY RECENT PO...बहुत सुंदर कविता,बेहतरीन पोस्ट,....<br /> <br />MY RECENT POST...<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/04/blog-post.html" rel="nofollow">काव्यान्जलि ...: मै तेरा घर बसाने आई हूँ...</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-74492357044692197452012-04-02T12:54:12.382+05:302012-04-02T12:54:12.382+05:30क्या कहूं, अभी इसके पहले वाली कविता का असर बरकरार ...क्या कहूं, अभी इसके पहले वाली कविता का असर बरकरार है,कि फिर एक बहुत ही भावपूर्ण रचना<br /><br /><br />कमाल था तुम्हारे तेज का<br />तुम्हारे सत्य का<br />तुम मोम की तरह पिघलकर भी<br />कभी ख़त्म नहीं हुई<br /><br />बहुत सुंदरमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-86404066815659849412012-04-02T11:22:58.166+05:302012-04-02T11:22:58.166+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...... लम्बी कविता में भावनाओ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...... लम्बी कविता में भावनाओं की तारतम्यता बंधना आसन नहीं होता मगर आपने इसे निभाया है.... क्या बेहतरीन कविता है.Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-59631493508137272472012-04-02T10:51:42.758+05:302012-04-02T10:51:42.758+05:30सर्वप्रथम आपको सादर नमस्कार .अच्छा लगता है जब आप ज...सर्वप्रथम आपको सादर नमस्कार .अच्छा लगता है जब आप जैसे दिग्गज मेरे ब्लॉग पर आकर टिप्पणी करते हैं ......उत्साहित होता हूँ .....<br /><br />आज आप तमाम ब्लॉगों को देखा ...व्यापक हैं ...बहुत बड़े दायरे में फैला हुआ है ...लगभग सभी विधाओं में ..नज़्मों की सौगात...<br />वटवृक्ष<br />हिन्द-युग्म Hindi Kavita<br />प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ<br />क्षणिकाएं<br />परिकल्पना<br />मेरी भावनायें...<br />All India Bloggers' Associationऑ... इंडिया ब्लॉगर्स एसोसियेशन<br />ब्लॉग बुलेटिन<br />Hindi Bloggers Forum International (HBFI)<br />प्यारी माँ<br />खिलौने वाला घर<br />परिचर्चा<br />आपके इन सभी ब्लोगों को देखा ....अदभुत .....<br />दिल से आभार .....इसी तरह मुझ जैसे नविन लेखकों का मार्गदर्शन कराते रहिये <br /><br />सादरNityanand Gayenhttps://www.blogger.com/profile/14656349243336915008noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-37703158898021262302012-04-02T10:00:04.692+05:302012-04-02T10:00:04.692+05:30तुम मोम की तरह पिघलकर भी
कभी ख़त्म नहीं हुई
...
अ...तुम मोम की तरह पिघलकर भी<br />कभी ख़त्म नहीं हुई<br />...<br /><br />अद्भुत जिजीविषा ...से ओत-प्रोत ....<br />बहुत सकारात्मक कविता है ....<br />आज कि रचना अद्भुत लगी रश्मि दी ....<br />बहुत बधाई एवं ढेर सारी शुभकामनायें ...Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-83959571315651939552012-04-02T09:10:58.974+05:302012-04-02T09:10:58.974+05:30लिखो वह सब , जो अब तक अनकहा है
हर अनकहे में रंग भर...लिखो वह सब , जो अब तक अनकहा है<br />हर अनकहे में रंग भर दो<br /><br />भर तो दिया आपने .....:))हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-65918335098037121832012-04-02T08:39:57.875+05:302012-04-02T08:39:57.875+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...udaya veer singhhttps://www.blogger.com/profile/14896909744042330558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-55608344210572626352012-04-02T07:04:18.977+05:302012-04-02T07:04:18.977+05:30ज्ञान के सुदर्शन चक्र से
परिवर्तन का आह्वान करो .....ज्ञान के सुदर्शन चक्र से<br />परिवर्तन का आह्वान करो .....<br /> क्रांतिकारी रचना....dinesh aggarwalhttps://www.blogger.com/profile/18216221541613478194noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-87062232668167450032012-04-02T06:27:21.024+05:302012-04-02T06:27:21.024+05:30तुम्हारी चीखें -
तुम्हारे चेहरे की तनी नसों में सं...तुम्हारी चीखें -<br />तुम्हारे चेहरे की तनी नसों में संजीदगी से कैद थीं<br />जिन्हें शब्दों के मरहम से<br />तुमने वीनस बना दिया था !<br /><br />स्त्री के महानतम स्वरूप को श्रद्धा सुमन अर्पित करते शब्द प्रसून <br />प्रेरक रचनाVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-6236862260435621752012-04-02T00:13:58.347+05:302012-04-02T00:13:58.347+05:30परिवर्तन कीचाह करना उसका फिर आवाहन करना .... बदलाव...परिवर्तन कीचाह करना उसका फिर आवाहन करना .... बदलाव आने वाला है.. देर सवेर,इसका संकेत है.Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-90535484188202480682012-04-01T22:31:53.318+05:302012-04-01T22:31:53.318+05:30अदभुत कृति...अदभुत कृति...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.com