tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post3014511356689163475..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: यदि संभव हो तोरश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger43125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-24125030414596181002011-11-06T11:55:07.090+05:302011-11-06T11:55:07.090+05:30बेहद अर्थपूर्ण रचना, बधाई.बेहद अर्थपूर्ण रचना, बधाई.डॉ. जेन्नी शबनमhttps://www.blogger.com/profile/11843520274673861886noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-84159627593385342262011-11-04T19:28:53.904+05:302011-11-04T19:28:53.904+05:30बहुत भावपूर्ण रचना!बहुत भावपूर्ण रचना!Humanhttps://www.blogger.com/profile/04182968551926537802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-73865259628779276802011-11-03T15:44:17.386+05:302011-11-03T15:44:17.386+05:30dusra kahan soch pata kuchhhdusra kahan soch pata kuchhhमुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-72890605587878258962011-11-03T12:43:21.297+05:302011-11-03T12:43:21.297+05:30मैंने कसकर रिसते घाव को बाँध दिया है
पर वे चीखें
ज...मैंने कसकर रिसते घाव को बाँध दिया है<br />पर वे चीखें<br />जो मेरे दिल दिमाग को लहुलुहान कर रही हैं<br />रेशा रेशा उधेड़ रही है<br />उनका क्या करूँ ? <br />....<br />दीदी यद्यपि मैं बहुत वाचाल हूँ पर रचना को पधार निःशब्द हूँ अभी तो<br />प्रणाम !आनंदhttps://www.blogger.com/profile/06563691497895539693noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-84987326620868432972011-10-31T17:07:07.233+05:302011-10-31T17:07:07.233+05:30बहुत मार्मिक प्रस्तुति....बहुत मार्मिक प्रस्तुति....rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-2830405437384078562011-10-31T13:17:59.087+05:302011-10-31T13:17:59.087+05:30बहुत सुंदर रचना
क्यूं हर बार
इसे सोचूं
उसे सोच...बहुत सुंदर रचना <br /><br /><br />क्यूं हर बार <br />इसे सोचूं<br />उसे सोचूं<br />इस बार<br />सिर्फ तुम सब सोचो<br />यदि संभव हो तो..... क्या कहनेमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-36482909227785780282011-10-31T09:54:58.764+05:302011-10-31T09:54:58.764+05:30शब्दों की पकड़
रिश्तों की भूख ..."
agar sambh...शब्दों की पकड़<br />रिश्तों की भूख ..."<br />agar sambhav hotaa <br />to kitna achhaa hotaa <br /><br /><br />क्यों लोग<br />तिल तिल कर<br />मरते ?<br />बेवजह रिश्तों को<br />ढोते<br />दिल में नफरत<br />रखते<br />निरंतर पीछा छुडाना<br />चाहते<br />हिम्मत नहीं जुटा<br />पाते<br />जुबां से कह नहीं<br />पाते<br />ऐसी भी क्या मजबूरी<br />क्यों लोग<br />दोहरेपन से जीते ?<br />30-10-2011<br />1724-131-10-11Nirantarhttps://www.blogger.com/profile/02201853226412496906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-80920888660249901982011-10-31T09:48:02.218+05:302011-10-31T09:48:02.218+05:30शब्दों की पकड़
रिश्तों की भूख ..."
हमेशा तुमस...शब्दों की पकड़<br />रिश्तों की भूख ..."<br />हमेशा तुमसे सुना , गुना<br />अपने मन को<br />बंदिशों से<br />स्वार्थ से परे रखा .जज़्बातों की अनुभूति,दर्द को बहुत गहरे से कहा है।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-84241821481477226262011-10-31T06:50:02.598+05:302011-10-31T06:50:02.598+05:30रश्मि जी, ज़ख्म से ज़्यादा उसका अहसास दर्द देता है.....रश्मि जी, ज़ख्म से ज़्यादा उसका अहसास दर्द देता है...<br />एक शेर याद आ रहा है-<br />बन आप अपने सफ़ीने का नाखुदा ऐ दोस्त<br />बुलंद अज़्म हवाओं के रुख बदलते हैं.शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-61218487018294385202011-10-30T23:41:53.691+05:302011-10-30T23:41:53.691+05:30acha likha hai risto ka byaanacha likha hai risto ka byaangyaneshwaari singhhttps://www.blogger.com/profile/16752930608738766658noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-86526751606089077872011-10-30T23:04:00.426+05:302011-10-30T23:04:00.426+05:30अंतर्मन की व्यथा-कथा में सम्भव क्या,असम्भव क्या
पी...अंतर्मन की व्यथा-कथा में सम्भव क्या,असम्भव क्या<br />पीड़ाओं का गरल सदा ही खुद को पीना पड़ता है.<br />शब्द-जाल के चक्रव्यूह में, मन-अभिमन्यु फँस जाता<br />भीष्म बने तो शर-शैया पर जीवन जीना पड़ता है.<br /><br />मर्म का अतिरेक लिये अद्भुत रचना.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-57660852189883866662011-10-30T19:53:02.311+05:302011-10-30T19:53:02.311+05:30मैंने कसकर रिसते घाव को बाँध दिया है
पर वे चीखें
ज...मैंने कसकर रिसते घाव को बाँध दिया है<br />पर वे चीखें<br />जो मेरे दिल दिमाग को लहुलुहान कर रही हैं<br />रेशा रेशा उधेड़ रही है<br />उनका क्या करूँ ? marmik...kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-56041615990218257422011-10-30T19:40:05.507+05:302011-10-30T19:40:05.507+05:30कश्मकश ...कश्मकश ...M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-14758366503352128402011-10-30T17:50:09.848+05:302011-10-30T17:50:09.848+05:30सुन्दर....और सच भी.यह अगर -मगर से जब बातें कही जात...सुन्दर....और सच भी.यह अगर -मगर से जब बातें कही जाती हैं तो घाव अक्सर ऐसे ही रिसते हैं.Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-77134184715210297052011-10-30T17:30:23.408+05:302011-10-30T17:30:23.408+05:30((निवेदिता श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/17624652603897289696noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-24111019115964525492011-10-30T17:23:25.311+05:302011-10-30T17:23:25.311+05:30वाह! दी, अथाह....
सादर...वाह! दी, अथाह....<br />सादर...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-36353208704581196512011-10-30T13:11:23.067+05:302011-10-30T13:11:23.067+05:30वाणी के उपयोग पर बहुत बड़ी-बड़ी बातें कहीं गयीं है...वाणी के उपयोग पर बहुत बड़ी-बड़ी बातें कहीं गयीं हैं...पर फिर भी लोग चूक जाते हैं...और अनायास अपनों को दर्द दे जाते हैं...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-71345409378174851732011-10-30T07:36:37.804+05:302011-10-30T07:36:37.804+05:30रिश्ते घाव बाँधने पर भी दर्द देते हैं..रिश्ते घाव बाँधने पर भी दर्द देते हैं..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-81167551753790106112011-10-30T06:25:19.868+05:302011-10-30T06:25:19.868+05:30शब्द- शब्द टपकता दर्द इसे ही कहते हैं ना !शब्द- शब्द टपकता दर्द इसे ही कहते हैं ना !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-38781966437555677372011-10-29T22:58:52.128+05:302011-10-29T22:58:52.128+05:30शब्दों की पकड़
रिश्तों की भूख ..."
हमेशा तुम...शब्दों की पकड़ <br />रिश्तों की भूख ..."<br />हमेशा तुमसे सुना , गुना<br />अपने मन को <br />बंदिशों से <br />स्वार्थ से परे रखा .......<br />पर कितनी सफाई से आज भी तुमने<br />अगर, मगर में बात कही !!!<br />ओह !<br /><br />संवेदनशील रचनाAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-48575116471811832522011-10-29T22:20:34.839+05:302011-10-29T22:20:34.839+05:30शब्दों की पकड़
रिश्तों की भूख ..."
हमेशा तुमस...शब्दों की पकड़<br />रिश्तों की भूख ..."<br />हमेशा तुमसे सुना , गुना<br />अपने मन को<br />बंदिशों से<br />स्वार्थ से परे रखा ....<br /><br />हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ हैं.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-47845015121100658502011-10-29T21:12:25.134+05:302011-10-29T21:12:25.134+05:30बहुत गंभीर कविता... अंतिम पंक्तियाँ उद्वेलित कर दे...बहुत गंभीर कविता... अंतिम पंक्तियाँ उद्वेलित कर देती हैं...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-88502476396954594682011-10-29T20:31:32.911+05:302011-10-29T20:31:32.911+05:30dard ekdam bebaki se ubhar kar aa gaya hai.......क...dard ekdam bebaki se ubhar kar aa gaya hai.......क्यूँ हर बार <br />इसे सोचूं <br />उसे सोचूं <br />इस बार - सिर्फ तुमसब सोचो <br />यदि संभव हो तो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-79662280309518653702011-10-29T20:28:36.037+05:302011-10-29T20:28:36.037+05:30मैंने कसकर रिसते घाव को बाँध दिया है
पर वे चीखें
ज...मैंने कसकर रिसते घाव को बाँध दिया है<br />पर वे चीखें<br />जो मेरे दिल दिमाग को लहुलुहान कर रही हैं<br />रेशा रेशा उधेड़ रही है<br />उनका क्या करूँ ?<br /><br />...बहुत मार्मिक...अंतस के दर्द को जीवंत कर दिया...आभारKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-89608440885507609752011-10-29T20:00:03.394+05:302011-10-29T20:00:03.394+05:30क्यूँ हर बार
इसे सोचूं
उसे सोचूं
इस बार - सिर्फ तु...क्यूँ हर बार<br />इसे सोचूं<br />उसे सोचूं<br />इस बार - सिर्फ तुमसब सोचो<br /><br />गहन अभिव्यक्ति!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.com