tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post3264237054360680026..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: हर तुम" के नाम "मैं का खतरश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-67479069840365733052016-02-16T10:40:52.557+05:302016-02-16T10:40:52.557+05:30"अतीत को भूलने की बात तुम भी करते हो
पर हर घ..."अतीत को भूलने की बात तुम भी करते हो <br />पर हर घड़ी अतीत में लौटने की चाह <br />पुरवइया सी मचलती होगी … <br />पीछे रह गए कुछ चेहरों की तलाश तुम्हें भी होगी <br />ग़ज़ल गुनगुनाते हुए <br />दोपहर की धूप की ख्वाहिश तुम्हें भी होगी "<br />क्या बात है,बहुत खूब लिखा है/Yugesh kumarhttps://www.blogger.com/profile/04848914115738717996noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-6154118470526073922015-10-19T17:18:26.032+05:302015-10-19T17:18:26.032+05:30'तुम मुझसे अलग नहीं
पगडंडियाँ, सड़कें
शहर, दे...'तुम मुझसे अलग नहीं <br />पगडंडियाँ, सड़कें <br />शहर, देश का फर्क होगा <br />पर लौटने की चाह एक सी है <br />घर,प्यार, … शरारतें <br />तुम भी फिर से पाना चाहते हो <br />मैं भी … ' दिल को छू गयी यह प्रस्तुति. Indira Mukhopadhyayhttps://www.blogger.com/profile/10120466090249508159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-12965449832735950682015-10-19T12:15:27.694+05:302015-10-19T12:15:27.694+05:30सच है। यह चाहतें तो सभी की होंगी पर जीवन के इन सुन...सच है। यह चाहतें तो सभी की होंगी पर जीवन के इन सुनहरे पलों को याद बनकर साथ ले आगे बढ़ते जाना ही जीवन है। वो जीवन जो किसी के वश में नहीं। वरना शायद ही कोई ऐसा हो जो जीवन के इन बीते सुनहरे पलों में लौटजाना न चाहता हो। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-24661790699076676522015-10-19T12:14:58.450+05:302015-10-19T12:14:58.450+05:30सच है। यह चाहतें तो सभी की होंगी पर जीवन के इन सुन...सच है। यह चाहतें तो सभी की होंगी पर जीवन के इन सुनहरे पलों को याद बनकर साथ ले आगे बढ़ते जाना ही जीवन है। वो जीवन जो किसी के वश में नहीं। वरना शायद ही कोई ऐसा हो जो जीवन के इन बीते सुनहरे पलों में लौटजाना न चाहता हो। Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-27215107408361755822015-10-19T12:10:59.560+05:302015-10-19T12:10:59.560+05:30प्रिय तुम,
तुम्हारा खत मिला
मन को कितना सुकून मि...प्रिय तुम,<br /><br />तुम्हारा खत मिला <br />मन को कितना सुकून मिला <br />बता नहीं सकती मै <br />अतित के सारे चित्र <br />इन आँखों में फिर से <br />एक बार तैर गए !<br />क्या करू देखो न <br />जिंदगी की अंधी भागदौड़ <br />सुबह से शाम <br />मुझे इतना दौड़ाती <br />इतना दौड़ाती है कि ,<br />मनचाहा बहुत कुछ <br />छूट गया है बहुत पीछे <br />और आज सामने मेरे <br />सारी दुनिया को <br />दिखाने के लिए <br />कुछ चाहा कुछ अनचाहा सा <br />भीतर से खोकला <br />बाहर से सफल जीवन <br />अब इतना आसान भी तो नहीं <br />पीछे लौट पाना <br />चाहती तो मै भी हूँ !<br />Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-57726053173605064412015-10-19T11:46:44.865+05:302015-10-19T11:46:44.865+05:30बीतें सुनहरे पलों को कौन नहीं फिर से जीना चाहता हो...बीतें सुनहरे पलों को कौन नहीं फिर से जीना चाहता होगा... लेकिन फिर वापस लौट पाता संभव कहाँ किसी प्राणी के लिए ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-8189412573754591112015-10-18T18:02:40.793+05:302015-10-18T18:02:40.793+05:30ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, कॉर्प्रॉट सोशल रि...ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2015/10/blog-post_18.html" rel="nofollow"> कॉर्प्रॉट सोशल रिस्पोंसबिलिटी या सीएसआर कितना कारगर </a> , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-36566512964165143672015-10-18T10:52:19.277+05:302015-10-18T10:52:19.277+05:30अलग कुछ नहीं होता
समय होता है अलग
नीड़ से उड़ा पंछ...अलग कुछ नहीं होता <br />समय होता है अलग <br />नीड़ से उड़ा पंछी <br />लौटना चाहता है <br />कभी किसी शाम <br />फिर से बुनने के<br />लिये कुछ सपने <br />अपने तिंनके तिनके । <br /><br />बहुत सुंदर रचना ।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com