tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post5830867007808622917..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: विरोधाभास क्यूँ ???रश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger36125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-27366512095025922582012-04-11T21:22:07.764+05:302012-04-11T21:22:07.764+05:30यादें किसी को दिखाने के लिए नहीं आतीं
ना ही वक़्त ...यादें किसी को दिखाने के लिए नहीं आतीं<br />ना ही वक़्त का मुंह देखती हैं<br />कभी कभी तो कई रातें<br />यादों में ही गुजर जाती हैं - तर्पण आंतरिक होता है .<br />प्यार हो<br />श्रद्धा हो -<br />तो एक बूंद आंसू से तर्पण होता है..<br /><br />यादें किसी को दिखाने के लिए नहीं आतीं... एक बूँद आँसू से तर्पण होता है..... सीधे सादे शब्दों में कही गयी बात इतनी प्रभावशाली है... कि आपकी यह अद्भुत रचना पाठकों की अंतरात्मा को छूती है और उन्हें नए सिरे से सोचने को मजबूर करती है. आपकी रचनाएँ पढ़ना सदैव सुखद होता है.. <br /><br />सादर<br />मंजुAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-81902345831167676802012-04-11T08:37:56.776+05:302012-04-11T08:37:56.776+05:30शुभकामनायें आपको !शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-60086526966853978332012-04-10T22:16:00.490+05:302012-04-10T22:16:00.490+05:30अपने स्वार्थ को सर्वोपरि कर दें...तो विरोधाभास कैस...अपने स्वार्थ को सर्वोपरि कर दें...तो विरोधाभास कैसा...बस एक-दो बार आत्मा को सर ना उठने दीजिये...फिर आदत पड़ जाएगी...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-26847198587600761062012-04-10T19:54:05.332+05:302012-04-10T19:54:05.332+05:30यह सब मन की भावनायें है मन से ही की जायें तभी आत्...यह सब मन की भावनायें है मन से ही की जायें तभी आत्मा को शांति मिलती जाने वाले की भी और अपनी आत्मा को भी, क्यूंकि जो बंधनो में बंधा हो तो न तो तर्पण होता है और ना ही अर्पण बहुत ही गहन भाव अभिव्यक्ति को इस बार बहुत ही सहजता से कह गई आप....Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-33154409418204780652012-04-10T18:19:14.205+05:302012-04-10T18:19:14.205+05:30तयशुदा दिन से पूरा हो जाता है क्या !
ग़मगीन माहौल ...तयशुदा दिन से पूरा हो जाता है क्या !<br />ग़मगीन माहौल आत्मा को संतुष्ट करता है<br />या समाज को<br />या परम्परा को ?<br /><br />जो चला गया<br />उसकी कमी तो जीवनपर्यंत होती है<br />कई बार आंसुओं का सैलाब उमड़ता है...सच्ची बात हैMamta Bajpaihttps://www.blogger.com/profile/00085992274136542865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-21481273093235590342012-04-10T13:04:48.526+05:302012-04-10T13:04:48.526+05:30किसी के चले जाने का शोक
तयशुदा दिन से पूरा हो जाता...किसी के चले जाने का शोक<br />तयशुदा दिन से पूरा हो जाता है क्या !<br />...जिसकी क्षति हुई है .....उसके दर्द की न तो कोई अवधि है ..न ही उस को साझा किया जा सकता है ..लेकिन समाज अपने संवेदनशील होने की रस्म को ठोक बजाकर जताना चाहते है ...उसीकी यह प्रक्रिया है ....बहुत संवेदनशील प्रश्न ...Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-39399690044956888522012-04-10T11:32:46.169+05:302012-04-10T11:32:46.169+05:30हाँ कई रीति रिवाज़ के अर्थ गहन हैं ,पर लोग उन्हें ...हाँ कई रीति रिवाज़ के अर्थ गहन हैं ,पर लोग उन्हें मात्र औपचारिकता समझते हैं <br />'कलमदान 'RITU BANSALhttps://www.blogger.com/profile/14474354506605954847noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-705479262937111762012-04-10T11:09:42.742+05:302012-04-10T11:09:42.742+05:30फिर किसी की आत्मा को मरा देखकर
किसी की आत्मा को म...फिर किसी की आत्मा को मरा देखकर <br />किसी की आत्मा को मारते देखकर <br />तर्पण कैसे होता है .... ? <br />शोक की विधि क्या होती है .... ??<br />अभी शोक-तर्पण की विधि इज़ाद हुई होगी नहीं .... <br />लेकिन होनी जरुरी है .... !!<br />तभी शायद ....... ??विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-70639964884249252722012-04-10T10:47:16.824+05:302012-04-10T10:47:16.824+05:30जीवन में
कष्ट और मृत्यु के
भय से
चाटुकारिता का ...जीवन में <br />कष्ट और मृत्यु के <br />भय से <br />चाटुकारिता का तर्पण <br />अर्पण <br />इश्वर को याद करना <br />व्यर्थ है<br />कथनी करनी में <br />विरोधाभास है <br />कर्म इश्वर की इच्छा <br />अनुरूप हों ,<br />इश्वर को पाना है तो <br />मन में बसाना होगा <br />सच्ची भक्ती का यही <br />स्वरुप है <br />आत्म तुष्टी का मूल <br />मन्त्र हैNirantarhttps://www.blogger.com/profile/02201853226412496906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-35099692028080489682012-04-10T09:33:45.892+05:302012-04-10T09:33:45.892+05:30ब्राह्मण , भिक्षुक को भले न दें कुछ
पर आत्माविहीन ...ब्राह्मण , भिक्षुक को भले न दें कुछ<br />पर आत्माविहीन वक्र चेहरे के आगे<br />कशीदे पढ़ने के साथ<br />मनचाहे भोज अर्पित किये जाते हैं !<br /><br />विरोधाभास या चरित्र का दोहरापन ....<br />स्वयं के लिए अलग नियम कानून , दूसरों के लिए अलग !!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-55618396889643560932012-04-10T06:46:49.380+05:302012-04-10T06:46:49.380+05:30चरों तरफ से हम ऐसे ही विरोधाभासों से घिरे हैं. लेक...चरों तरफ से हम ऐसे ही विरोधाभासों से घिरे हैं. लेकिन बदलना भी नहीं चाहते.<br /><br />सार्थक प्रस्तुति.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-27205028853530727262012-04-10T04:03:50.286+05:302012-04-10T04:03:50.286+05:30अतिसुन्दर विरोधाभास भरी रचना,
बधाई..!<b><i>अतिसुन्दर विरोधाभास भरी रचना, <br />बधाई..!</i></b>GOPAL K.. MAI SHAYAR TO NAHI...https://www.blogger.com/profile/07761138635733104280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-59881911820029545402012-04-10T03:50:11.304+05:302012-04-10T03:50:11.304+05:30अतिसुन्दर विरोधाभास भरी रचना, बधाई..!अतिसुन्दर विरोधाभास भरी रचना, बधाई..!GOPAL K.. MAI SHAYAR TO NAHI...https://www.blogger.com/profile/07761138635733104280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-17139256852728441972012-04-10T00:05:00.221+05:302012-04-10T00:05:00.221+05:30आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर क...आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/2012/04/885.html" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर की गई है। <br />चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... <br />आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-56868943730101819502012-04-09T21:36:16.122+05:302012-04-09T21:36:16.122+05:30तथ्य को हृदय द्वारा स्वीकार करने में समय लगता है।तथ्य को हृदय द्वारा स्वीकार करने में समय लगता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-10196160676458709142012-04-09T21:23:36.891+05:302012-04-09T21:23:36.891+05:30ye to samaj ke bnaye kuch riti rivaj hain jo ab ba...ye to samaj ke bnaye kuch riti rivaj hain jo ab badalne bhi lage hain....Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-19906600438947885722012-04-09T20:36:06.699+05:302012-04-09T20:36:06.699+05:30रश्मी जी,..सवाल तो अच्छा है,परन्तु इस रिवाज को तोड...रश्मी जी,..सवाल तो अच्छा है,परन्तु इस रिवाज को तोडेगा कौन,..१३ दिन के वजाय ३से५ दिन में ये कार्यक्रम में समाप्त हो जाए,..<br />सुन्दर रचना,बेहतरीन भाव पुर्ण प्रस्तुति,.....<br /> <br />RECENT POST...<a href="http://dheerendra21.blogspot.in/2012/04/blog-post_08.html#comment-form" rel="nofollow">फुहार....: रूप तुम्हारा...</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-51144565144492137472012-04-09T19:23:57.806+05:302012-04-09T19:23:57.806+05:30umda swal jiske jabab har koi janana chahta haiumda swal jiske jabab har koi janana chahta haiआशा बिष्टhttps://www.blogger.com/profile/09252016355406381145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-47525742531343814232012-04-09T18:59:49.215+05:302012-04-09T18:59:49.215+05:30nayi soch ki dhara prawahit karti sunder prastuti....nayi soch ki dhara prawahit karti sunder prastuti.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-13615911380939359832012-04-09T18:43:09.342+05:302012-04-09T18:43:09.342+05:30जिसकी आत्मा को मार दिया है
उसके हर निवाले पर अपनी ...जिसकी आत्मा को मार दिया है<br />उसके हर निवाले पर अपनी हिकारत देते हैं<br />" कैसे खाया जाता है !"<br />और जिसकी आत्मा मरी होती है <br />BADE AJEEB SR RIVAJ BANA DIYE GAYE HAEN ,JINKE PEECHE KOE TARK NAHI DIKHATE DETAdr.mahendraghttps://www.blogger.com/profile/07060472799281847141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-89799255592826557802012-04-09T18:02:11.913+05:302012-04-09T18:02:11.913+05:30क्या बात
फिर किसी की आत्मा को मरा देखकर
किसी की ...क्या बात<br /> <br />फिर किसी की आत्मा को मरा देखकर<br />किसी की आत्मा को मारते देखकर<br />तर्पण कैसे होता है<br />शोक की विधि क्या होती है<br /><br />बिल्कुल नया दर्शनमहेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-28707963741825212502012-04-09T17:30:49.939+05:302012-04-09T17:30:49.939+05:30प्यार हो
श्रद्धा हो -
तो एक बूंद आंसू से तर्पण होत...प्यार हो<br />श्रद्धा हो -<br />तो एक बूंद आंसू से तर्पण होता है <br /><br />बिलकुल सही बात कही है और ये समाज के नियम ये कानून उसे चैन से एक इस बूँद भर आंसू से तर्पण का वक़्त भी नहीं देते...<br /><br />फिर किसी की आत्मा को मरा देखकर<br />किसी की आत्मा को मारते देखकर<br />तर्पण कैसे होता है....?<br />बहुत गहन भाव हैं हमेशा उठते हैं मन में आज आपने शब्द दे दिए उन्हें... आभार आपकासंध्या शर्माhttps://www.blogger.com/profile/06398860525249236121noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-45529399974837901802012-04-09T17:27:35.970+05:302012-04-09T17:27:35.970+05:30दीदी,
बहुत ही वाजिब सवाल उठाया है आपने.. मैं तो वै...दीदी,<br />बहुत ही वाजिब सवाल उठाया है आपने.. मैं तो वैसे भी मृत्यु को शोक का अवसर नहीं मानता.. मेरी तो बस यही धारणा है कि जनम और मृत्यु किसी भी व्यक्ति के जीवन में दो त्यौहारों की तरह हैं.. फिर एक पर उत्सव और दूसरे पर शोक क्यूँ?? कवि होता, या कविता करनी आती तो इस विषय पर अवश्य लिखता!!<br />आपकी कविता लीक से हटकर होती है और हमेशा एक नए विचार को जनम देती है!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-45314763786161789912012-04-09T16:35:46.072+05:302012-04-09T16:35:46.072+05:30aankho ki kore bheegi hui haiaankho ki kore bheegi hui haisonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-5455735281167236672012-04-09T15:55:33.709+05:302012-04-09T15:55:33.709+05:30सच में इन रिवाजों का औचित्य नजर नहीं आता...
दुख तो...सच में इन रिवाजों का औचित्य नजर नहीं आता...<br />दुख तो दिल के अन्दर होता है...बाकी सब आडम्बर...ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.com