tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post71753514098005561..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: हमेशा .....रश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger30125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-2029729661125527652012-08-27T11:52:48.195+05:302012-08-27T11:52:48.195+05:30ekdam theek bolin.....ekdam theek bolin.....mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-25234090977107031112012-08-25T12:53:58.698+05:302012-08-25T12:53:58.698+05:30हम दूसरों का आकलन करने में माहिर हैं
उसके कार्य के...हम दूसरों का आकलन करने में माहिर हैं<br />उसके कार्य के पीछे की नीयत तक बखूबी भांप लेते हैं<br />उसे क्या सजा होनी चाहिए - यह भी तय कर लेते हैं<br />इतनी बारीकी से हम खुद को कभी तौल नहीं पाते !<br /><br /><br />क्यों कि हम में अपना सच जानने की इतनी ताकत ही नहीं कि ...अपना सच सुन सके ...उस से कुछ सीख सके ...इस लिए हम इल्ज़ाम दूसरों के सर पर डाल देते हैं ...कितना आसन हैं ना ये सब करना Anju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-12579785208880263612012-08-25T10:01:54.355+05:302012-08-25T10:01:54.355+05:30गतिमान जगत में सब कुछ बदलते हुए भी बहुत कुछ नहीं ब...गतिमान जगत में सब कुछ बदलते हुए भी बहुत कुछ नहीं बदलता है..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-70638990424917443562012-08-25T07:22:26.440+05:302012-08-25T07:22:26.440+05:30प्रभावशाली रचना ...
"माँ के चेहरे पर... &quo...प्रभावशाली रचना ...<br /><br />"माँ के चेहरे पर... "<br />साहित्य राक्षसों के लिए नहीं होना चाहिए !<br />मन खिन्न हो गया !<br />हो सके तो इसे निकाल दें !<br />शुभकामनायें !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-32078996042003355962012-08-24T15:37:21.525+05:302012-08-24T15:37:21.525+05:30तर्कयुक्त व विश्लेषण भरी,सोच को खुराक देने वाली रच...तर्कयुक्त व विश्लेषण भरी,सोच को खुराक देने वाली रचना |सुधाकल्पhttps://www.blogger.com/profile/14287746370522569463noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-33269567216962651712012-08-23T14:02:36.282+05:302012-08-23T14:02:36.282+05:30लोग "मैं" की अहंकार में अपना खुद का मूल्...लोग "मैं" की अहंकार में अपना खुद का मूल्यांकन नहीं करके दूसरों की खामियां गिनने में वक्त गुजारते है !<br />ऐसे ही लोगों पर एक जबरदस्त प्रहार करती रचना !<br />आभार !<br />Jeevan Pushphttps://www.blogger.com/profile/15866178821083740220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-58890707023745880302012-08-23T12:22:51.585+05:302012-08-23T12:22:51.585+05:30बिल्कुल सही कहा हम दूसरों का आकलन करने में लगे रह...बिल्कुल सही कहा हम दूसरों का आकलन करने में लगे रहते है उसके पीछे का कारण नहीं समझते है.<br />क्यो कि.आलोचना सबसे सरल काम है|..हमेशा की तरह विचारणीय ...आभार.. .Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-86556064398694850092012-08-23T07:34:54.241+05:302012-08-23T07:34:54.241+05:30विश्लेषण दूसरों का ही करते हैं . अपने भीतर के कंस ...विश्लेषण दूसरों का ही करते हैं . अपने भीतर के कंस और शकुनी से कोई भिड़ना नहीं चाहता ! वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-24396978497032155892012-08-22T22:17:48.486+05:302012-08-22T22:17:48.486+05:30राम ने गर्भवती सीता को वन भेजा ...
हम आलोचना करने ...राम ने गर्भवती सीता को वन भेजा ...<br />हम आलोचना करने लगे<br />सोचा ही नहीं<br />कि हम राम होते तो क्या करते<br />यज्ञ में सीता की मूर्ति रखते<br />या - वंश का नाम दे दूसरा विवाह रचाते !<br /><br />अद्भुत ...कई सारे लोगों को उत्तर देती हैं आपकी ये पंक्तियाँ जो जाने क्या कुछ कहते हैं ऐसे पौराणिक प्रसंगों के विषय पर .... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-32369867018443781582012-08-22T21:41:21.298+05:302012-08-22T21:41:21.298+05:30हम गलत होते ही नहीं
क्योंकि विश्लेषण हम सामनेवाले ...हम गलत होते ही नहीं<br />क्योंकि विश्लेषण हम सामनेवाले का ही करते हैं<br />आत्मविश्लेषण हमारे गले मुश्किल से उतरता है ...<br /><br />किसी भी काम को करने के पीछे किसी की कुछ मजबूरी हो सकती है...आलोचना सबसे सरल काम है|ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-7411652023320087432012-08-22T20:57:12.483+05:302012-08-22T20:57:12.483+05:30क्योंकि विश्लेषण हम सामनेवाले का ही करते हैं
आत्मव...क्योंकि विश्लेषण हम सामनेवाले का ही करते हैं<br />आत्मविश्लेषण हमारे गले मुश्किल से उतरता है ...<br /><br />हम दरअसल औरंगजेब की सोच रखते हैं<br />पंच परमेश्वर भी हमारी तराजू पर होता है<br />हमसे बढ़कर दूसरा कोई ज्ञानी नहीं होता<br />हो ही नहीं सकता ...<br />यह अपना कंस , शकुनी सा ' मैं '<br />हमेशा सही होता है !!!<br />हमेशा .....<br /><br />bauhat accha kataaksh....kitna satya!!Saumyahttps://www.blogger.com/profile/03922889885887781227noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-82066689009689679922012-08-22T19:58:02.056+05:302012-08-22T19:58:02.056+05:30हमसे बढ़कर दूसरा कोई ज्ञानी नहीं होता
हो ही नहीं स...हमसे बढ़कर दूसरा कोई ज्ञानी नहीं होता<br />हो ही नहीं सकता ...<br />यह अपना कंस , शकुनी सा ' मैं '<br />हमेशा सही होता है !!!<br />हमेशा .....<br />सारी कविता का निचोड़ मानवीय जीवन एक एकमात्र कड़वा सच जिसे बखुबू शब्दों में ढालकर प्रस्तुत किया है आपने.... Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-58549890979455238142012-08-22T19:43:18.025+05:302012-08-22T19:43:18.025+05:30उम्दा चिंतन।उम्दा चिंतन।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-70962077918823734232012-08-22T17:44:31.514+05:302012-08-22T17:44:31.514+05:30एक एक बातें सोचने को विवश करती हैं। सच में अगर हर ...एक एक बातें सोचने को विवश करती हैं। सच में अगर हर जगह खुद को रखकर सोचा जाए तो हम सही रास्ते को आसानी से पा सकते हैं। आंखों से पर्दा हटाती बढिया रचना<br /><br /><br />राम ने गर्भवती सीता को वन भेजा ...<br />हम आलोचना करने लगे<br />सोचा ही नहीं<br />कि हम राम होते तो क्या करते<br />यज्ञ में सीता की मूर्ति रखते<br />या - वंश का नाम दे दूसरा विवाह रचाते !<br /><br />महेन्द्र श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09549481835805681387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-2709262009870471642012-08-22T17:35:43.430+05:302012-08-22T17:35:43.430+05:30यह अपना कंस , शकुनी सा ' मैं '
हमेशा सही ह...यह अपना कंस , शकुनी सा ' मैं '<br />हमेशा सही होता है !!!<br />हमेशा .....<br />sahi kaha hai sarthak rachna ...Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-77291285600494172372012-08-22T17:20:29.440+05:302012-08-22T17:20:29.440+05:30एक बड़ी पुरानी कहावत है कि अपने चेहरे के दाग किसी ...एक बड़ी पुरानी कहावत है कि अपने चेहरे के दाग किसी को दिखाई नहीं देते.. और यही अहंकार को जन्म देता है.. जब हम प्रत्येक में परमात्मा को देखते हैं और अपने कर्मों को परमात्मा की इच्छा तो सब कुछ कितना सहज और सरल हो जाता है.. <br />आपके अपने अन्दाज़ में लिखी गई कविता!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-51931147730381026822012-08-22T15:49:29.932+05:302012-08-22T15:49:29.932+05:30क्योंकि विश्लेषण हम सामनेवाले का ही करते हैं
आत्मव...क्योंकि विश्लेषण हम सामनेवाले का ही करते हैं<br />आत्मविश्लेषण हमारे गले मुश्किल से उतरता है ...<br />कसैला कड़वा कुनैन ,कष्टकारक होता है ,कठिनाई से ही उतरता है .... !विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-87846939561801040422012-08-22T15:43:06.565+05:302012-08-22T15:43:06.565+05:30इस मैं से जो पार हुआ उसका ही बेड़ा पार हुआ...इस मैं से जो पार हुआ उसका ही बेड़ा पार हुआ...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-43729224589546257072012-08-22T15:40:19.730+05:302012-08-22T15:40:19.730+05:30दूसरे का विश्लेषण तो हम कर लेते है,किन्तु
आत्मविश्...दूसरे का विश्लेषण तो हम कर लेते है,किन्तु<br />आत्मविश्लेषण करना बड़ा मुश्किल होता है,,,,,<br /><br />RECENT POST <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/08/blog-post_19.html#comment-form" rel="nofollow">...: जिला अनूपपुर अपना,,,</a><br />RECENT POST <a href="http://dheerendra21.blogspot.in/2012/08/blog-post.html#comment-form" rel="nofollow">...: प्यार का सपना,,,,</a><br />धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-91231156765759836902012-08-22T15:36:28.302+05:302012-08-22T15:36:28.302+05:30पौराणिक गाथा को आज के संदर्भों से तुलना करने में अ...पौराणिक गाथा को आज के संदर्भों से तुलना करने में अड़चनें आने लगती हैं..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-16471265296338488192012-08-22T15:20:22.271+05:302012-08-22T15:20:22.271+05:30एक एक लफ्ज़ सच है इस पोस्ट का.....अपना 'मैं...एक एक लफ्ज़ सच है इस पोस्ट का.....अपना 'मैं' हमे अपनी गलतियाँ देखने ही नहीं देता ये आईने की तरह है जिसमे सिर्फ दुसरे ही दिखते है । Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-33464264570697701862012-08-22T14:56:14.713+05:302012-08-22T14:56:14.713+05:30" मै " के आगे तो किसी की नहीं चलती..
जहा..." मै " के आगे तो किसी की नहीं चलती..<br />जहा मै होता है..वहा सिर्फ दूसरो का ही आत्मविश्लेषण <br />होता है..<br />बहुत सुन्दरता से मै के अहम् को <br />व्यक्त किया है...<br />:-)<br />मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-50818555983828223812012-08-22T14:05:02.543+05:302012-08-22T14:05:02.543+05:30सच है अपने ही आईने से दूसरों को देखने लगते हाँ हम ...सच है अपने ही आईने से दूसरों को देखने लगते हाँ हम .. उन भावनाओं को समझ ही नहीं सकते ... गहरी बात लिखी है आपने ... दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-17482856604041665032012-08-22T13:39:00.547+05:302012-08-22T13:39:00.547+05:30सारे आंसू जब्त किये कृष्ण
..... यूँ ही तो गीता नही...सारे आंसू जब्त किये कृष्ण<br />..... यूँ ही तो गीता नहीं सुना सके !...<br />अब इसमें अहम् प्रश्न ये है कि हम क्या करते -<br />संभवतः यशोदा और देवकी को वृद्धाश्रम रखते !!<br />.... Adbhut !!Meeta Panthttps://www.blogger.com/profile/12779276657208706061noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-59543548944893188072012-08-22T13:26:53.072+05:302012-08-22T13:26:53.072+05:30बहुत आसान होता है दूसरे के मामले में जज बन जाना और...बहुत आसान होता है दूसरे के मामले में जज बन जाना और उसको दोषी करार देना. जब हम अपने पौराणिक काल की घटनाओं में निर्णायक बन दूसरों को दोषी घोषित करने लगते हें तब अपने को आईने में नहीं देखा होता है. फिर अपने को तौलता कौन है? अगर दोषी हमारा अपना है तो उसको बचाने और दूसरा है तो उस पर आक्षेप लगाने की हमारी मनोवृत्ति शायद कभी ख़त्म नहीं होती और इसी लिए कहा गया है कि दाँत खाने के और दिखाने के और होते हें. रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.com