tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post8104240773513783293..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: अरे कोई है ???रश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-84884960778968934762011-04-05T23:30:33.474+05:302011-04-05T23:30:33.474+05:30-मोबाइल युग है !
खैर ,चिट्ठी जब आती थी
या भेजी जात...-मोबाइल युग है !<br />खैर ,चिट्ठी जब आती थी<br />या भेजी जाती थी ,<br />तो सुन्दर पन्ने की तलाश होती थी ,<br />और शब्द मन को छूकर आँखों से छलक जाते थे<br />......नशा था - शब्दों को पिरोने का !<br /><br />अब तो फोन पर बात हुई और खत्म ..चिट्ठी में लिखे जाने वाले शब्द कहाँ जगह पाते हैं ..बहुत अच्छी रचनासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-89145951055024232552011-04-05T15:39:25.842+05:302011-04-05T15:39:25.842+05:30अंदाज अलग है पर कसक वही है.
बहुत सुन्दर.अंदाज अलग है पर कसक वही है.<br />बहुत सुन्दर.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-88455804139467822682011-04-05T13:10:34.310+05:302011-04-05T13:10:34.310+05:30.......हँसती भी हूँ, प्रश्न भी करती हूँ
.......स्व..........हँसती भी हूँ, प्रश्न भी करती हूँ<br />.......स्व के अहम में विलीन हो गई हूँ<br />.......आनेवाला उसकी ओर मुखातिब है या नहीं !<br />...... फ़ोन करने में पैसे - उठाने में कोफ़्त|<br /><br />अद्भुत स्पष्टवादिता| बहुत प्रभावित करती है आप की ये कविता रश्मि जी| ये सब ऐसे प्रश्न हैं जिनके जवाब हैं सभी के पास, पर जवाब देने वाला कोई भी नहीं| <br />उत्कृष्ट कोटि की कविता के लिए बारम्बार बधाई रश्मि जी|www.navincchaturvedi.blogspot.comhttps://www.blogger.com/profile/07881796115131060758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-58133876456351285082011-04-05T11:51:04.020+05:302011-04-05T11:51:04.020+05:30सच है किसी के पास समय नहीं बोरिंग टीवी प्रोग्राम द...सच है किसी के पास समय नहीं बोरिंग टीवी प्रोग्राम देखना मंजूर पर पास के कमरे से भी रिश्ता नहीं रह गया वहाँ चाहे माँ बाप रहते हों या भाई बहनVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-47599353330717759892011-04-05T10:56:40.987+05:302011-04-05T10:56:40.987+05:30अब जवाब नही आते…………कौन सुनता है…………बहुत सुन्दर रचन...अब जवाब नही आते…………कौन सुनता है…………बहुत सुन्दर रचना।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-70564280385555791442011-04-05T10:29:27.955+05:302011-04-05T10:29:27.955+05:30रश्मि जी
बहुत जानदार अभिव्यक्ति ..विचारों के अवि...रश्मि जी <br />बहुत जानदार अभिव्यक्ति ..विचारों के अविरल प्रवाह को बखूबी शब्दों में बाँधा है ..बहुत अच्छा लगा पढ़ना एक साँस में पढ़ गयी ... बधाईमुदिताhttps://www.blogger.com/profile/14625528186795380789noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-19812852207096637172011-04-05T05:49:22.053+05:302011-04-05T05:49:22.053+05:30जबरदस्त अभिव्यक्ति///जबरदस्त अभिव्यक्ति///Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-68101004262960736782008-03-23T19:07:00.000+05:302008-03-23T19:07:00.000+05:30अरे कोई है॰॰॰? बहुत ही शानदार रचना है॰॰॰॰॰॰॰॰॰ वर्...अरे कोई है॰॰॰? बहुत ही शानदार रचना है॰॰॰॰॰॰॰॰॰ वर्तमान के कड़ुवे सच को आपने शब्दों मे अंकित कर चिंतन करने का नेक काम किया है॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰ वास्तव मे रिश्तों की खत्म होती गर्मी चिंतनीय है॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰<BR/>आदरणीय रश्मी जी ॰॰॰॰॰ इतनी अच्छी रचना के लिये आपको बधाई॰॰॰॰॰॰शुभकामनायें॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰vinodbissahttps://www.blogger.com/profile/14512783051305159715noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-70692463014059057452008-03-23T17:41:00.000+05:302008-03-23T17:41:00.000+05:30"हम दो ,हमारे दो या एक ,या निल पर सिमट चले हैं ......"हम दो ,हमारे दो या एक ,<BR/>या निल पर सिमट चले हैं ......<BR/>लाखों के घर के इर्द - गिर्द<BR/>-जानलेवा बम लगे हैं !"<BR/><BR/>बहुत ही मार्मिक चित्रण है संबंधों का विखरते आयाम का..डाॅ रामजी गिरिhttps://www.blogger.com/profile/08761553153026906318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-26916063046059107742008-03-23T14:30:00.000+05:302008-03-23T14:30:00.000+05:30जाते वर्ष से गला अवरुद्ध हैया नए वर्ष पर दया आ रही...जाते वर्ष से गला अवरुद्ध है<BR/>या नए वर्ष पर दया आ रही है !<BR/><BR/>bahut sare sach ek sath kah dale<BR/>kis ksi sach ko ab dil sambhale<BR/><BR/>bahut achha likha hai<BR/>Anilmasoomshayerhttps://www.blogger.com/profile/03204731223754279697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-33336121586527993642008-01-12T09:55:00.000+05:302008-01-12T09:55:00.000+05:30अरे भाई है पढ़ रहें हैं आपको :-)अरे भाई है पढ़ रहें हैं आपको :-)उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-21034901388728547442008-01-11T19:20:00.000+05:302008-01-11T19:20:00.000+05:30BAHUT BADHIYABAHUT BADHIYAसमयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.com