09 सितंबर, 2009

एक प्याली ख्वाब !




एक प्याली ख्वाब
थोडी मीठी
थोडी नमकीन
जब भी पीती हूँ
अन्दर में सप्तसुरों के राग बजते हैं
ढोलक की थाप पर
घुंघरू मचलते हैं
ख़्वाबों की सुनहरी धरती पर
ख़्वाबों का परिधान पहने
महावर रचे पांव थिरकते हैं
एक प्याली ख्वाब....
सौ ख़्वाबों की रंगीनियत दे जाती है !

42 टिप्‍पणियां:

  1. waah sahi ek pyali khwab se jeevan mein sangeet rachta basata hai behad sunder.

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  2. kya imagination hai ek pyali khwaab....meethe namkeen khwaab...behad khoobsurat sapneeli kavita....

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  3. एक प्याली ख्वाब ....कितना कुछ दे जाते हैं जिन्दगी में .....बहुत सुन्दर रचना ...

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  4. रश्मि मैम, आपने तो निशब्द कर दिया. बस एक प्याली ख्वाब में जिंदगी के सारे रंग घोल दिए आपने. सच कितना सुंदर होता है भावनाओ का संसार. कई बार मन करता है आपको पास से देखने का .......आपके मन की सोच और लेखनी की चाल बहुत प्रभावित करती है

    सस्नेह
    प्रिया

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  5. एक प्याली ख्वाब ! क्या बात है!
    सुन्दर।

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  6. एक प्याली ख्वाब ..........सौ ख्वाबो की रंगिनियत दे जाते है ......बहुत ही सुन्दर भाव ....बधाई

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  7. बहुत ही बढ़िया..........अति सुंदर अभिव्यक्ति.

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  8. सुख और दुःख के ताने बाने ,
    बुनते है कई ख्वाब सुहाने ...
    संग अगर हो - मीठी और नमकीन एक प्याली ख्वाब की तो बस जिंदगी का ख्वाब रंगीनियत लिए सच हुआ समझो ... ILu ...!

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  9. सुख और दुःख के ताने बाने ,
    बुनते है कई ख्वाब सुहाने ...
    संग अगर हो - मीठी और नमकीन एक प्याली ख्वाब की तो बस जिंदगी का ख्वाब रंगीनियत लिए सच हुआ समझो ... ILu ...!

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  10. बहुत खुब । शानदार प्रस्तुती..........

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  11. wah rashmi ji...

    ek pyaali khwaab aur kitani ranginiyat...maza aaya padh kar....badhai sundar rachna ke liye...

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  12. एक प्याली ख्वाब... जी बहुत प्यारी लगी, बहुत स्वाद, धन्यवाद

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  13. आपके ख़्वाबों की प्याली
    बहुत ही निराली !!
    थोड़ी सी रंगीन, थोड़ी हसीन
    बिलकुल मदहोश करने देने वाली...

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  14. एक प्याली ख्वाब!
    इतने खूबसूरत!!!!!!
    कोमल अहसासों से सजे ख्वाब...बस एक प्याली ख्वाब!
    सब को नसीब हों!

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  15. एक प्याली ख्वाब!
    इतने खूबसूरत!!!!!!
    कोमल अहसासों से सजे ख्वाब...बस एक प्याली ख्वाब!
    सब को नसीब हों!

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  16. Ati Sunder rachna hai .....
    Aap kam shabdo mai bahut kuch kah jaati hai....

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  17. Ati Sunder Rachna Hai ,
    aap ki chay ki pyali ke hum kayal ho gay .....
    Kam shabdo mai apni bhawnao ki abhivakti karne mai aap mahir hai .....

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  18. इसमें जिंदगी के कई रंग घुले हैं....और कई स्वाद

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  19. चाये की प्याली
    और यह भावना
    क्या बात हें!!
    बहुत सुंदर रचना हें रश्मि ji@@

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  20. BAHOOT HI KHOOBSOORAT ..... KAMAAL KA LIKHA HAI ... EK PYAALI KHWAAB.... SACH MEIN SEEDHE DIL MEIN UTAR GAYEE YEH RACHNA .... LAJAWAAB UDAAN KALPANA KI ...

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  21. ध्यान से, ख़्वाब छलक न जाए! अच्छा लिखा है।

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  22. वाह ! वाह ! वाह ! मनमोहक...अतिसुन्दर....

    भावों को शब्दों में ऐसे गूंथा है आपने की क्या कहूँ......

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  23. बहुत ही सुंदर और प्यारी रचना है! मैं सुबह उठकर हाथ में चाय का प्याला लिए पहले आप ही का ब्लॉग पढ़ी तो बहुत अच्छा लगा!

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  24. bahut hi gahan aur manmohak bhavavyakti.

    read my new blog--------http://ekprayas-vandana.blogspot.com

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  25. वाकई !! रश्मि जी कहाँ से लाती है आप ये विचार, ये कल्पना जो हमेशा दिल को छो लेती है .
    मैंने भी कुछ ख्वाब बुने
    कुछ ख़ुशी कुछ गम चुने
    जब जिन्दगी से ऊब जाता
    ख्वाबो की दुनिया में खो जाता

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  26. Kya baat hai didi...khwaabon ki pyaali..waah...tooooo goooood!!!

    --Gaurav

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  27. छोटी-सी प्यारी रचना..और उतनी ही लुभावनी तस्वीर भी।

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  28. एक प्याली ख़्वाब वाह वाह रश्मि जी कविता का आनन्द इसी में है कि अभिव्यक्ति कैसी है. सोचते तो सब हैं.
    बराबर में वुमन आन टाप की न्यूज़ देखी आपको शत शत बधाई.

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  29. ek chhota sa sapna tha
    us sapne mein koi apna tha
    us apne mein kuch sakoon tha
    jo zindagi ka junoon tha
    us junoon mein ek rahat thi
    jo sirf teri chahat thi
    us chahat mein ek andaz tha
    jo meri dhadkano ka raaz tha
    us raaz mein ek khushbo thi
    jo meri soch ki justju thi
    us justju mein ek hararat thi
    jo meri khushiyoun ki sharat thi
    us shahrat mein ek ehsaas tha
    jo hamesha mere pass tha
    us pass mein jo ek araam tha
    woh bus sirf ek tera naam tha

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  30. Ek pyali khuab! bahut achhi chhoti magar bhavpurn kavita ke liye Badhai.
    Kavita Rawat
    Bhopal

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  31. चाय, सप्तसुर, महावर रचे पाँव, रंगीन ख्वाब...
    स्वाद, नाद, स्पर्श और दृश्य चारों ज्ञानेंद्रियों की क्या अद्भुत चतुष्वेणी रची है आपने..मन को भा गयी..

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  32. eak pyali khwab.... bhawnoon kaa toofan bhara hai issme... jo bejan dil mein bhi sugbugahat bhar de !

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 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...