27 मई, 2019

पुरानी सिलाई मशीन और अम्मा




पुरानी सिलाई मशीन देखकर
मुझे मेरी अम्मा याद आती है,
हमारा सुई में धागा पिरोना,
और उसका झुककर
तेजी से मशीन चलाना ।
कई बार मैं हैंडिल के बीच में
अपनी उंगली रख देती थी,
अम्मा ज़ोर से डांटती
तो सिहरकर सोचती,
अरे मैंने क्या कर दिया !
मुझे यह खेल लगा,
बदमाशी नहीं,
पर बार बार मना करने के बाद भी
ऐसा करना,
बड़े लोग बदमाशी ही मानते हैं,
सो अम्मा ने भी माना,
कई बार कान भी उमेठे ।

स्वेटर तो हम भी बनाते थे,
लेकिन जो तत्त्परता अम्मा में होती थी,
वह मन्त्र जाप के समान थी ।
गला बुनते समय,
उसमें एक रत्ती भी कमी हो
तो वे सोती नहीं थीं,
अगर जबरन सोने कहा जाए
तो वे सबके सोने का इंतजार करती थीं
और फिर उठकर उसको संवारती थीं ।
घर की छोड़ो,
आसपड़ोस,रिश्तेदारी में भी
उनके बुने स्वेटर सबने पहने ।

पापा के नहीं रहने के बाद
रिवाजों के बंधन में,
अम्मा ने पहन ली थी सफेद साड़ी,
हमने ही विरोध किया...
फिर अम्मा पहनने लगी थी
गहरे रंगों की साड़ी ।
बिंदी लगाना छोड़ दिया था,
बाद में हमारे कहने पर
डाल ली थी दो चूड़ियाँ,
मेरे ज़ोर देने पर,
पैरों के नाखून रंगवाने लगी थी ।
याद आता है,
सीधे पल्ले में अम्मा का मुस्कुराता चेहरा,
गले में पड़ा चेन,
हाथों में सोने की चूड़ियाँ,
और उंगली में हीरे सी चमकती अंगूठी ...
सुंदर साड़ी हो
तो अम्मा झट तैयार हो जाती थी ।
वो साड़ियाँ,
आज भी अम्मा का इंतज़ार करती हैं ।

पापा के जाने के बाद,
बहुत साहसी हो गई थी अम्मा,
डरते हुए भी
उसका साहस कभी कम नहीं हुआ ।
सिलाई मशीन सी
याद आती है अम्मा ।।

14 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत कुछ है सिलाई की मशीन के अलावा भी। माँ की खुश्बू लिये ।

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  2. याद आती है अम्मा तो बस याद आती है..... कितनी ही यादें सजीव हो जाती हैं औऱ मन व्याकुल ....🙏🙏

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  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन नमन आज़ादी के दीवाने वीर सावरकर को : ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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  4. माँ की यादें सजोये हृदयस्पर्शी रचना ...

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  5. बहुत प्यारी कविता.
    साधारण-सी असाधारण अम्मा.

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  6. बहुत गहरी संवेदना समेटे बहुत सुंदर रचना ज्यों अम्मा का अहसास आसपास हो।
    अप्रतिम रचना।

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