tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post1455559651413782461..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: माता का अपमान...रश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-21282757703478958832007-11-14T00:08:00.000+05:302007-11-14T00:08:00.000+05:30बहुत बढ़िया कविता है । बालकिशन जी , जय हो आपकी व आप...बहुत बढ़िया कविता है । <BR/>बालकिशन जी , जय हो आपकी व आपके सोच की । कभी किसी पत्नी को मारा थोड़े ही जाता है वह स्वयं मृत्यु चुनती है ताकि<BR/>१ पति को पुत्र प्राप्ति हो सके जो वह नहीं करा पा रही है ।<BR/>२ पति को दहेज मिले जो वह अपने माता पिता से नहीं दिला पा रही है । <BR/>३ पति को अधिक सुन्दर, अधिक युवा पत्नी मिले क्योंकि वह अब सुन्दर नहीं रह गयी है । <BR/>४ पति को कम लड़ाकू पत्नी मिले क्योंकि वह थोड़ी चिड़चिड़ी हो गई है आदि आदि। <BR/><BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-8543718447705327342007-11-13T15:26:00.000+05:302007-11-13T15:26:00.000+05:30बहुत ही मार्मिक कविता, बढि़या लगी।बहुत ही मार्मिक कविता, बढि़या लगी।Pramendra Pratap Singhhttps://www.blogger.com/profile/17276636873316507159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-10919225346349430502007-11-13T13:05:00.000+05:302007-11-13T13:05:00.000+05:30आप क्या समझते है की रामजी ने सीता माता से अग्निपरी...आप क्या समझते है की रामजी ने सीता माता से अग्निपरीक्षा ली थी. नही मैं मानता हूँ की सीतामाता ने स्वयं ही आपने आप को इसके लिए प्रस्तुत किया था ताकि सम्पूर्ण नारिजाती के सामने एक आदर्श रख सकें. क्योंकि अन्तोतागत्वा नारी से ही यह सम्पूर्ण सृष्टि चलायमान है. नारी ही पुरूष की मुक्ति का आधार है. हां ये जरूर सच है की समय समय पर नारी की यही सम्पूर्णता और सहनशीलता, पुरुषो के द्वारा ग़लत ढंग से और नारी के विरुद्ध प्रयोग की गई है.बालकिशनhttps://www.blogger.com/profile/18245891263227015744noreply@blogger.com