tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post5537369680765192555..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: जल्दी आओ ...रश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-44553747712321007672011-08-06T09:45:14.889+05:302011-08-06T09:45:14.889+05:30चल मन
एक छोटा सा ब्रेक लेते हैं
जिन नंबरों को घुमा...चल मन<br />एक छोटा सा ब्रेक लेते हैं<br />जिन नंबरों को घुमाना चाहती हूँ<br />उन्हें पास बुलाते हैं<br />बेसिर पैर की बातें करते हैं<br />और एक कमरे में<br />बेतुकी बातों पर हँसते-हँसते सो जाते <br /><br />beir pair ki baaten bhi kaam ki ban jaati hain...kabhi kabhi...Arvind kumarhttps://www.blogger.com/profile/03504629875847185653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-73345021463352223002010-07-25T06:10:07.848+05:302010-07-25T06:10:07.848+05:30man ke chhipe huae bhavo ko achchhe se likha hain ...man ke chhipe huae bhavo ko achchhe se likha hain aapne <br />sundar खोरेन्द्र https://www.blogger.com/profile/16964838805138081044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-75990987539246305982010-07-24T13:49:25.717+05:302010-07-24T13:49:25.717+05:30बहुत ही सहजता से बहुत कुछ कह जाती हैं आप.बहुत ही सहजता से बहुत कुछ कह जाती हैं आप.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-51413252224075614612010-07-24T10:35:35.368+05:302010-07-24T10:35:35.368+05:30जब सब साथ हों
तो एक चाय भी बिना तू तू मैं मैं के
...जब सब साथ हों<br />तो एक चाय भी बिना तू तू मैं मैं के <br />कहाँ स्वादिष्ट होती है !<br />.....tu tu main main ki chini gholkar achi chai banai hai......rachna padhkar dil garden garden ho gaya.....!!!!!CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-39238431388004035272010-07-24T07:14:31.110+05:302010-07-24T07:14:31.110+05:30बहुत सुन्दर ! ठहरिये ठहरिये ! बुलाएँ चाहे ना बुलाए...बहुत सुन्दर ! ठहरिये ठहरिये ! बुलाएँ चाहे ना बुलाए चाय के लिए हम भी आते हैं ...Indranil Bhattacharjee ........."सैल"https://www.blogger.com/profile/01082708936301730526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-3213794392488877682010-07-23T23:07:15.975+05:302010-07-23T23:07:15.975+05:30तो एक चाय भी बिना तू तू मैं मैं के
कहाँ स्वादिष्ट ...तो एक चाय भी बिना तू तू मैं मैं के<br />कहाँ स्वादिष्ट होती है<br />वाह जी ,आपने तो मन की बात कह दी<br />चलो हम भी स्वादिष्ट चाय पी ही लेते है |<br />खूबसूरत कविता |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-4393230840359848922010-07-23T17:24:08.877+05:302010-07-23T17:24:08.877+05:30Achha hua jo aaj aapki yah rachana padhi...kuchh m...Achha hua jo aaj aapki yah rachana padhi...kuchh mera manbhi isitarah se uchaat ho raha tha/hai!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-56836604107502395662010-07-22T23:20:35.403+05:302010-07-22T23:20:35.403+05:30कमाल की सहजता है ...
सच...बहुत अच्छी लगी कविता.....कमाल की सहजता है ...<br />सच...बहुत अच्छी लगी कविता..चैन सिंह शेखावतhttps://www.blogger.com/profile/18079689283863767097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-88069664465933830382010-07-22T17:14:00.015+05:302010-07-22T17:14:00.015+05:30सुन्दर शब्द रचना, दिल को छूते भाव ।सुन्दर शब्द रचना, दिल को छूते भाव ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-68732223929158753092010-07-22T17:12:11.979+05:302010-07-22T17:12:11.979+05:30और मैं कहूँगी भी क्या ?
कि हवा अच्छी नहीं लगती ..
...और मैं कहूँगी भी क्या ?<br />कि हवा अच्छी नहीं लगती ..<br />सब हँसेंगे<br />'ये क्या बात हुई '<br /><br />ये क्या बात हुई ????? अरे वाह मेरे मन की बात आपने कैसे जानी.??? बहुत तेज ब्लॉग है ये !!!!!!अरे मैं जा रही हूँ मेरा बहुप्रतीक्षित फोन जो आने वाला है सच कह रही हूँ और हाँ बहुत अच्छी लगी ये कविता .रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-77650911493438931922010-07-22T16:46:32.870+05:302010-07-22T16:46:32.870+05:30बहुत कोमल अभिव्यक्ति!बहुत कोमल अभिव्यक्ति!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-74461703783290792532010-07-22T11:54:57.377+05:302010-07-22T11:54:57.377+05:30और मैं कहूँगी भी क्या ?
कि हवा अच्छी नहीं लगती ..
...और मैं कहूँगी भी क्या ?<br />कि हवा अच्छी नहीं लगती ..<br />सब हँसेंगे<br />'ये क्या बात हुई '<br />खुद के सवाल और खुद के जवाब बहुत खूबसूरत कई बार मन चाहे जवाब पाने के लिये अपने से बातें करना भी बहुत अच्छा लगता है। शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-20155377519388734652010-07-22T11:16:20.390+05:302010-07-22T11:16:20.390+05:30rashmi di, bahut hi man bhayi aapki yah kavita .ma...rashmi di, bahut hi man bhayi aapki yah kavita .man ki baat ko aapne kitani hi sarlta ke saath shabdo mai piro kar kae diya hai. ahsaason se bhari hui behat reen rachna.kabhi kabhi bahuto ke man me aksarhi yah ahasaas uthta rahata hai jise aapne bakhubi prastut kiya hai.<br /> poonamपूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-91968199207339348012010-07-22T10:55:22.123+05:302010-07-22T10:55:22.123+05:30मम्मी जी...एहसासों को बहुत खूबसूरती से शब्दों में ...मम्मी जी...एहसासों को बहुत खूबसूरती से शब्दों में पिरोया है आपने....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-60159452670144779992010-07-22T10:11:47.616+05:302010-07-22T10:11:47.616+05:30तो देर किस बात की ?
हलो ...
(ख़ास नाम ख़ास लोगों क...तो देर किस बात की ?<br />हलो ...<br />(ख़ास नाम ख़ास लोगों को पता है)<br />कोई सवाल नहीं ,<br />जल्दी आओ ...<br />रश्मि जी आपने बिलकुल उनके मन की बात कह दी जो इस अजाब से गुजर रहे हैं। मैं भी उनमें से एक हूं। जब भी मोबाइल लेकर किसी नंबर को डायल करने की बात आती है तो यही भाव मन में आते हैं कि पता नहीं क्या कर रहे होंगे,किस काम में व्यस्त होंगे। तब लगता है क्यों न पहुंच ही जाएं। <br />यह भी संयोग ही है कि ऐसे अहसास से गुजरते हुए मैं इस समय ट्रेन में हूं और भोपाल जा रहा हूं। ऐसे में आपकी कविता पढ़कर ऐसा लगा जैसे महसूस हम कर रहे थे और आपने अपनी कलम उन्हें दे दी। बधाई और आभार।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-91401787783805391392010-07-22T07:58:24.166+05:302010-07-22T07:58:24.166+05:30न हवा को समझाया जा सकता है
न मुझे बहलाया जा सकता ह...न हवा को समझाया जा सकता है<br />न मुझे बहलाया जा सकता है<br />(बहल जाने की उम्र होती है) !<br /><br />हाँ , बहल जाने की एक उम्र होती है ..<br /><br />जिन नंबरों को घुमाना चाहती हूँ<br />उन्हें पास बुलाते हैं<br />बेसिर पैर की बातें करते हैं<br />और एक कमरे में<br />बेतुकी बातों पर हँसते-हँसते सो जाते हैं..<br /><br />घुमाये जाने वाले नंबर पास आकर कहीं ज्यादा दूर न लगे ...तो ही चाय का स्वाद बना रहता है ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-16012744654059992292010-07-22T07:47:47.411+05:302010-07-22T07:47:47.411+05:30बहुत बढ़िया और रोचक!बहुत बढ़िया और रोचक!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-24486384966572607522010-07-22T00:45:23.358+05:302010-07-22T00:45:23.358+05:30बड़ी विकत स्थिति है....
आपका तो खास नाम भी नहीं पत...बड़ी विकत स्थिति है....<br />आपका तो खास नाम भी नहीं पता....हैलो....<br /><br />:) :) भावनाओं को सहजता से लिखा है....संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-36432349915618513362010-07-21T23:15:36.251+05:302010-07-21T23:15:36.251+05:30सुबह की चाय तब बनेगी
जब नींद पूरी होगी
वेसे हम तो...सुबह की चाय तब बनेगी<br />जब नींद पूरी होगी<br /> वेसे हम तो गुलाम भी नही इस चाय के जी. बहुत सुंदर लगी आप की यह चाय की कविता शर्तो समेतराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-73060019063582486762010-07-21T22:19:41.291+05:302010-07-21T22:19:41.291+05:30वाह, आपका तरीका तो भा गया। बतियाना मोबाल पर बन्द। ...वाह, आपका तरीका तो भा गया। बतियाना मोबाल पर बन्द। सबके साथ घर पर बात होगी, चाय की प्याली पर या खाने की थाली पर।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-6277127205209147972010-07-21T22:18:56.732+05:302010-07-21T22:18:56.732+05:30रश्मि जी लगता है मेरे मन की बात कह रही हैं आप ! सर...रश्मि जी लगता है मेरे मन की बात कह रही हैं आप ! सर्व भौमिक भाव को बहुत सजहता से कहा है आपने इस कविता में.. कविता इक बार में समझ नहीं आती कि कितनी गहरी बात कह रही हैं आप... बहुत सुंदर !अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-32035180306860173942010-07-21T21:02:28.232+05:302010-07-21T21:02:28.232+05:30बहुत ही सहजता से बहुत कुछ कह जाती हैं आप.
शायद जीव...बहुत ही सहजता से बहुत कुछ कह जाती हैं आप.<br />शायद जीवन को बहुत ही करीब से देखने और समझने के कारण<br />यह आपके लिए एकदम सहज हो गया है.<br /><br />लोग छोटी सी बात को भी कितना बढ़ा चढ़ा कर सुनाते हैं,<br />और एक आप हैं<br />जो बड़ी से बड़ी बात को भी कितने सरलता से कह जाती हैं.<br /><br />कई बार तो दूसरी - तीसरी बार में जाकर समझ आता है कि,<br />अरे मूल बात पर तो गौर किया ही नहीं था.<br />आपके ब्लॉग 'Life teaches everything' से ही स्पष्ट होता है<br />कि आपने जीवन के सारे रूप - रंग बहुत पास से देखा है,<br />आपकी सोच एकदम xray मशीन कि तरह बाह्य परत को छोड़ भीतर तक देख लेती है. <br /><br />आज के दौर में जहाँ सतह पे जीने को ही,<br />लोगों ने जीवन का मार्ग बना लिया है,<br />वहां जिस उलझन कि बात आप कर रहे,<br />वो तो बिलकुल स्वाभाविक ही है.<br /><br />सच, किसको फुर्सत है,<br />अब किसी भी रिश्ते के लिए.<br />साथ चाय पीना,<br />आपसी नोक झोंक,<br />इनके लिए रिश्ते में अधिकार चाहिए,<br />और अधिकार?<br />'देने' से बनता है,<br />केवल 'लेने' वाला समाज,<br />अधिकार और रिश्ता<br />कहाँ से महसूस कर पायेगा.<br /><br />ये सब अब गए दिनों की बातें ही हैं.<br />समझदार लोग इन बातों में समय 'बर्बाद' नहीं करते. <br />सब अब इनको भ्रम मानते हैं, जिसे आज नहीं कल टूटना ही है.<br /><br />खैर जाने ही दें<br />जिन 'खास लोगों' को मालूम है<br />वो लौट आयेंगे ही,<br />क्यूंकि कहीं न कहीं वो भी लौटने का ही इंतज़ार कर रहे हैं.Suman Sinhahttps://www.blogger.com/profile/05417887549882830927noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-68757028952010863042010-07-21T20:20:34.378+05:302010-07-21T20:20:34.378+05:30aap yun kahengi...to kaun na aayega bhala...
bahu...aap yun kahengi...to kaun na aayega bhala...<br /><br />bahut sundar..bahut hi sundar :)<br />pranamAvinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-37937650318785898282010-07-21T19:35:40.441+05:302010-07-21T19:35:40.441+05:30mera number to aapke paas hai nahee ...........:)
...mera number to aapke paas hai nahee ...........:)<br /><br />aisaa bhee hota hai jee............Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-47794950694278999902010-07-21T19:25:38.926+05:302010-07-21T19:25:38.926+05:30और मैं कहूँगी भी क्या ?
कि हवा अच्छी नहीं लगती ..
...और मैं कहूँगी भी क्या ?<br />कि हवा अच्छी नहीं लगती ..<br />सब हँसेंगे<br />'ये क्या बात हुई '<br />मन के भावों को, कितनी ख्ब्सूरती से शब्दों में बाँधा है, हमेशा की तरह...बहुत सुन्दरrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.com