tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post7110295244409030386..comments2024-02-27T16:32:32.383+05:30Comments on मेरी भावनायें...: कहानी कुछ और होगी सत्य कुछ औररश्मि प्रभा...http://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comBlogger27125tag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-30016822610624573882014-05-30T12:48:27.222+05:302014-05-30T12:48:27.222+05:30रश्मि जी , आपने जैसे मेरी भावनाओं को ही सुन्दर सार...रश्मि जी , आपने जैसे मेरी भावनाओं को ही सुन्दर सार्थक शब्द दे दिये हैं । यही सच है जिसे परम्परावादी विचारक मानना नही चाहते । गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-73401375709453511652014-02-27T17:34:51.844+05:302014-02-27T17:34:51.844+05:30yadi pita ke prati gahra virodh tabhi jata diya ho...yadi pita ke prati gahra virodh tabhi jata diya hota to mahabharat mein jeewan ke itne prasang kaise dekh milte...bhot gambhir avlokan hai apka maa....उर की विह्वलताhttps://www.blogger.com/profile/14764051195341423638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-54283098345989427782014-02-26T12:06:48.286+05:302014-02-26T12:06:48.286+05:30एक सर्वथा भिन्न और चौंका देने वाला दृष्टिकोण.... स...एक सर्वथा भिन्न और चौंका देने वाला दृष्टिकोण.... सुखद और गहन ...!!!Sarashttps://www.blogger.com/profile/04867240453217171166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-74686841011853816992014-02-25T21:31:33.226+05:302014-02-25T21:31:33.226+05:30स्वयं को पार्श्व में रख अयोग्य को आगे रखते ही महाभ...स्वयं को पार्श्व में रख अयोग्य को आगे रखते ही महाभारत का प्रारम्भ हो चुका आदि, आरोह और अवरोह, तीनों भीष्म ही रहे।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-74350686711615521572014-02-25T16:36:21.615+05:302014-02-25T16:36:21.615+05:30नित नई नई अनुभूति देती है आपकी रचना
नित नई नई अनुभूति देती है आपकी रचना <br />विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-50557086996149512322014-02-25T10:01:14.661+05:302014-02-25T10:01:14.661+05:30कहीं गहरे में उतरती हुई..गहन अभिव्यक्ति..कहीं गहरे में उतरती हुई..गहन अभिव्यक्ति..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-8469813749448119782014-02-24T10:51:18.078+05:302014-02-24T10:51:18.078+05:30भीष्म का आत्मसंवाद कितने प्रश्नों की कहानी कहता है...भीष्म का आत्मसंवाद कितने प्रश्नों की कहानी कहता है ! यदि उन्होंने सत्य का साथ दृढ़ता से दिया होता तो महाभारत ना होता या इसकी कहानी और ही होती! <br />सटीक !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-26776763199740276342014-02-24T10:38:33.070+05:302014-02-24T10:38:33.070+05:30कुरुक्षेत्र के युद्ध का परिणाम अंधे धृतराष्ट्र की ...कुरुक्षेत्र के युद्ध का परिणाम अंधे धृतराष्ट्र की महत्वाकांक्षा का परिणाम लगता है मुझे तो,<br />भीष्म का अंतिम समय में यूँ पश्चाताप करना शायद उनकी नजर में ठीक ही हो,!<br />Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02336964774907278426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-12213854081850545722014-02-24T10:29:12.602+05:302014-02-24T10:29:12.602+05:30इतिहास के पन्नों से निकल कर एक और सत्य इस कविता मे...इतिहास के पन्नों से निकल कर एक और सत्य इस कविता में मुखर हुआ है...जो कहा जाना चाहिए था...पर कहा नहीं गया Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-91167525875109720412014-02-24T09:22:28.306+05:302014-02-24T09:22:28.306+05:30बढ़िया प्रस्तुति- -
आभार आदरणीया -बढ़िया प्रस्तुति- -<br />आभार आदरणीया -रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-3297595573038153492014-02-24T00:46:38.091+05:302014-02-24T00:46:38.091+05:30अपराध बोध से बच पाना मुश्किल है...क्राइम और पनिशमे...अपराध बोध से बच पाना मुश्किल है...क्राइम और पनिशमेंट का सिद्धांत है...अपने कर्मों का फल जीवन के अंत तक पीछा नहीं छोड़ता...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-88213687466547241172014-02-23T21:30:59.008+05:302014-02-23T21:30:59.008+05:30kai bar bahut kuchh anayas hi ghatit ghatnaayen ji...kai bar bahut kuchh anayas hi ghatit ghatnaayen jiwan bhar pachhtawe ka karan bn jata hai ...jisse kai log prabhawit ho jate hain bhism pitamah ke mn e bhawon ki sundar prastuti rashmi jee ,,,,Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-1976607487805425632014-02-23T18:49:27.213+05:302014-02-23T18:49:27.213+05:30??????रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-30359065450570567942014-02-23T18:49:08.122+05:302014-02-23T18:49:08.122+05:30इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-61671836990789422752014-02-23T18:27:55.403+05:302014-02-23T18:27:55.403+05:30..विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-43283517362353089172014-02-23T15:49:51.770+05:302014-02-23T15:49:51.770+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की...बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (24-02-2014) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow"> "खूबसूरत सफ़र" (चर्चा मंच-1533) </a> पर भी होगी!<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-60991663890779938922014-02-23T14:22:02.609+05:302014-02-23T14:22:02.609+05:30जब प्रारब्ध ही प्रतिकूल हो
तो अनुकूलता की शांति कह...जब प्रारब्ध ही प्रतिकूल हो<br />तो अनुकूलता की शांति कहाँ सम्भव है !<br />...... आपकी लेखनी कई बार नि:शब्द कर देती है <br />बेहद गहन एवं उत्कृष्ट पोस्ट <br />सादरसदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-66901989075813417882014-02-23T13:29:02.066+05:302014-02-23T13:29:02.066+05:30दीदी! सत्य तो यही है कि 'प्रान जाए पर वचन न जा...दीदी! सत्य तो यही है कि 'प्रान जाए पर वचन न जाए' हमारी परम्परा थी, जो आज प्रान जाए "प्रवचन" न जाए' हो गई है!! प्रतिज्ञा भीष्म की हो या फिर राम की, बिना किसी तर्क के.. किंतु कभी सोचा है किसी ने कि इच्छा मृत्यु का वरदान था भीष्म के लिए या अभिशाप!! मृत्यु अवश्यम्भावी है इसलिए इसे टालने का वरदान केवल और केवल शाप ही हो सकता है... और जितनी दुर्दशा उन्होंने देखी वो शायद उसी अभिशाप का परिणाम था, साथ ही पूर्व जन्म के पापों की सज़ा! तभी तो बाकी वसुओं को जन्म के साथ ही मृत्यु दे दी माता ने, देवव्रत ही बच गए थे सज़ा भुगतने! <br />बहुत ही सम्वेदनशील विवेचना की है आपने दीदी! चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-29405226861548952282014-02-23T13:15:43.261+05:302014-02-23T13:15:43.261+05:30पर सत्य क्या होगा ... ये तो काल के गर्भ में खो चूक...पर सत्य क्या होगा ... ये तो काल के गर्भ में खो चूका है ... मात्र कयास ही जीवन रह गया है अब ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-86487874521386127002014-02-23T12:13:31.216+05:302014-02-23T12:13:31.216+05:30कुरुक्षेत्र की नीव तो
रख दी गयी थी
उसी दिन
जब ...कुरुक्षेत्र की नीव तो <br />रख दी गयी थी <br />उसी दिन <br />जब ली थी देवव्रत ने प्रतिज्ञा <br />बस तैयार करना था <br />युद्ध का मैदान <br />जिसको सजाने में <br />लग गए वर्षों <br />कर सकते थे भीष्म सब कुछ <br />पर पिता के दिए वरदान का भी तो <br />करना था उपसंहार . <br /><br />बहुत अच्छी प्रस्तुति .... यह विषय मेरा प्रिय विषय है . :)संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-45598088146828207532014-02-23T10:19:04.381+05:302014-02-23T10:19:04.381+05:30अदभुद !
पर कच्चे मन
के अधूरे प्रश्न
कचोटते रहते...अदभुद ! <br />पर कच्चे मन <br />के अधूरे प्रश्न <br />कचोटते रहते हैं <br />क्या करे कोई <br />भीष्म तुम तब <br />भी थे सुना है <br />भीष्म तुम अब <br />भी हो बताते भी हो <br />पर आज के भीष्म <br />को देखकर भ्रम <br />क्यों होने लगता है <br />वाकई भीष्म था <br />और उसकी प्रतिग्या भी ?सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-53627074990604207952014-02-22T23:48:55.132+05:302014-02-22T23:48:55.132+05:30ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन ब्लॉग-बुलेटिन: एक ...<br />ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन <a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/02/blog-post_22.html" rel="nofollow"> ब्लॉग-बुलेटिन: एक रेट्रोस्पेक्टिव </a> मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !<br /><br />ब्लॉग बुलेटिनhttps://www.blogger.com/profile/03051559793800406796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-4832108905081320202014-02-22T20:35:53.973+05:302014-02-22T20:35:53.973+05:30मैं भीष्म
वाणों की शय्या पर
अपने इच्छित मृत्यु वरद...मैं भीष्म<br />वाणों की शय्या पर<br />अपने इच्छित मृत्यु वरदान के साथ<br />कुरुक्षेत्र का परिणाम देख रहा हूँ<br />या ....... !<br />अपनी प्रतिज्ञा से बने कुरुक्षेत्र की<br />विवेचना कर रहा हूँ ?!?<br />इन्ही शब्दों को पुन: प्रतिध्वनित कर इतना ही कह पा रहा हूँ <br />की जो आपने बयाँ किया सच में एक सच है... साधुवाद! इस ब्लॉग को आगे भी पढ़ रहा हूँ....Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17542637480462532637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-24370213762532087702014-02-22T20:10:23.188+05:302014-02-22T20:10:23.188+05:30जब प्रारब्ध ही प्रतिकूल हो
तो अनुकूलता की शांति कह...जब प्रारब्ध ही प्रतिकूल हो<br />तो अनुकूलता की शांति कहाँ सम्भव है !<br />...भीष्म के मन तक पहुँचने और उसका दर्द समझने का एक अनुपम प्रयास...अद्भुत प्रस्तुति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6221999038038580932.post-3663727391160156412014-02-22T19:50:59.762+05:302014-02-22T19:50:59.762+05:30बहुत खूब दीदी,
यदि भीष्म को भी ये पढ़ने को मिले तो...बहुत खूब दीदी, <br />यदि भीष्म को भी ये पढ़ने को मिले तो उनकी भी पश्चाताप कि अग्नि थोड़ी शांत होगी । <br />और सत्य तो काल गढ़ लेता है कहानी कि कब फिक्र हुई है इसको। <br />आभार -Desk Of Kunwar Aayesnteen @ Spirtualityhttps://www.blogger.com/profile/03765004784786272791noreply@blogger.com