कहने को तो खेल है,
पर सबके मायने हैं !
कितकित ... एक पैर पर छोटे से दायरे को
कूद कूदकर पार करना,
कहीं क्षणिक विराम के लिए
दोनों पाँव रखना,
फिर बढ़ना ... ज़िन्दगी ही है !
रुमाल चोर ...
मस्तिष्क को जाग्रत रखना,
दृष्टि को गिद्ध दृष्टि बनाना,
पीछे से दौड़ते हुए
कौन कब मुज़रिम बना दे,
कौन जाने ! ... ज़िन्दगी ही है !
लुक्काछुप्पी ...
किसी का छुप जाना,
किसी की खोज ... ज़िन्दगी ही है !
रस्सी कूद ...
बाधाओं को पार करना,
धरती से रिश्ता बनाये रखना ... ज़िन्दगी ही है !
शतरंज ...
हर मोहरे का दिन होता है,
सोची-समझी चाल चलने के बाद भी,
बादशाह का घिर जाना,
मात खाना ... ज़िन्दगी ही है !
लूडो ...
समयानुसार एक से छः अंकों की ज़रूरत,
आखिरी पड़ाव पर गोटी का कट जाना,
फिर से शुरुआत करना,
... ज़िन्दगी ही है !
पतंग ...
उड़ान उड़ान उड़ान
माझे की सधी हुई पकड़,
दूसरे से आगे जाने के लिए,
जीत के लिए.
दूसरे की डोर काटना ... ज़िन्दगी ही है !
कागज़ की नाव बनाना,
पानी में उसे उतारना,
यही संदेश देता है,
लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती ...
बचपन में खेला गया यह खेल,
... ज़िन्दगी ही है !
रस्साकस्सी, गोली,गोटी, पिट्टो, लट्टू, चोर सिपाही ...
इन सारे मासूम खेलों में
ज़िन्दगी है !!!