07 जून, 2020

जीत किसकी होगी ?





एक तरफ हैं हालातों के घुड़सवार,
जिरहबख्तर पहने और
हाथों में है लपलपाती तलवार
तो दूसरी तरफ,
मजबूरियों की पैदल लंबी कतार,
इन्द्र छद्म वेश में फिर आकर
ले गए छल से
कवच कुंडल का देवदत्त उपहार
अस्त्र_शस्त्र के नाम पर है
सिर्फ हौसलों की छोटी_सी कटार
इधर बख्तियार, उधर लाचार
सनातन है यह विचार
कि समरथ को नहीं दोष गोसाईं
आरोपी तो सदा आम जन है भाई.....
अब कहो कि अनुमान क्या कहते हैं ?
जीत किसकी होगी ?
या होगा वही, जो इतिहास में नहीं होता
पर समय और सच को पता है
कि जीत तो हौसलों की ही होती है
उन्हीं की होगी भी,
किंतु अमरबेल है विडंबना !
समर ईसा पूर्व का हो या आज का
जीत का श्रेय समर्थ को ही जाता है !
हमारा क्या है
पढ़ेंगे, पढ़ाएंगे
जो वर्णित है इतिहास में,
वही अगली पीढ़ी को बताएंगे।

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...