02 जनवरी, 2022

नया साल

 

नया साल,

 कुछ शोर

कुछ सन्नाटे में आया

और एक पूरा दिन गुजारकर

अंगीठी के आगे बैठ गया है ।

बीते साल का सूप पीते हुए

यह नया साल ओमिक्रोन से बचने की तरकीब बता रहा है,

और लोग !!!

अपनी अपनी बुद्धिमत्ता के पर्चे बाँट रहे हैं,

"अरे कुछ नहीं होगा,

हुआ भी तो कोई दिक्कत नहीं,

मरना तो है ही,

कैसे - वह भी तय है,

अगर इसीसे तो क्या कर सकता है आदमी !"

और कुछ लोग मासूमियत से सुनते हुए

डबल,ट्रिपल मास्क लगाकर बैठ जाते हैं . . .

"जो भी हो ख्याल तो रखना ही होगा"

ह्म्म्म ...

भीड़ से एक आवाज आती है,

कुछ नहीं होगा यह सब पहनने से,

जब होना है, हो ही जायेगा !

नया साल 

अपनी एक वर्षीय यात्रा को 

ध्यान में रखकर

महामृत्युंजय मंत्र पढ़ रहा है ...

जो गरजते हैं वे बरसते नहीं

 कितनी आसानी से हम कहते हैं  कि जो गरजते हैं वे बरसते नहीं ..." बिना बरसे ये बादल  अपने मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को लेकर  आखिर कहां!...