जीवन के किसी मोड़ पर
अचानक हमें लगता है -
"हम हार गए हैं,
ज़िन्दगी ऊन के लच्छे सी उलझ गई है" …
पर किसी न किसी तरह
कोई न कोई
खासकर माँ
उसे पूरा दिन
पूरा ध्यान लगाकर सुलझाती है
....
समस्या का चेहरा कितना भी विकराल हो
उससे निबटने का हल होता है,
कोई न कोई मजबूत हथेली मिल ही जाती है …
निःसंदेह,
मन अकुलाता है
न भूख लगती है
न प्यास
न शब्द मरहम का काम करते हैं
लेकिन ऐसी स्थिति में ईश्वर अपनी ओर खींचता है
मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा …
हर दहलीज पर माथा टेकना
हारे मन की उपलब्धि होती है
सर पटकते पटकते लगता है
किसी ने नीचे हाथ रख दिया हो
और वहीँ से विश्वास का
कुछ कर दिखाने का
पाने का
गंतव्य शुरू होता है !
विराम
विकल्प
समाधान
परिवर्तन - हर तूफ़ान का होता है !
समस्याएँ एक तरह की अनुभवी शिक्षा है
जहाँ न दम्भ होता है
न दब्बूपन
होती है एक चाहत
सहने की
कुछ कर दिखाने की
विनम्रता की
टूटे मन को जोड़ने की …
तो,
हारिये न हिम्मत, बिसारिये न हरी नाम।।
जा ही विधि राखे राम, ता ही विधि रहिये।।