01 जुलाई, 2015

ईश्वर अपनी ओर खींचता है




जीवन के किसी मोड़ पर 
अचानक हमें लगता है -
"हम हार गए हैं,
ज़िन्दगी ऊन के लच्छे सी उलझ गई है"  … 
पर किसी न किसी तरह 
कोई न कोई 
खासकर माँ
उसे पूरा दिन 
पूरा ध्यान लगाकर सुलझाती है 
.... 
समस्या का चेहरा कितना भी विकराल हो 
उससे निबटने का हल होता है,
कोई न कोई मजबूत हथेली मिल ही जाती है  … 

निःसंदेह,
मन अकुलाता है 
न भूख लगती है 
न प्यास 
न शब्द मरहम का काम करते हैं 
लेकिन ऐसी स्थिति में ईश्वर अपनी ओर खींचता है 
मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारा  … 
हर दहलीज पर माथा टेकना 
हारे मन की उपलब्धि होती है 
सर पटकते पटकते लगता है 
किसी ने नीचे हाथ रख दिया हो 
और वहीँ से विश्वास का 
कुछ कर दिखाने का 
पाने का 
गंतव्य शुरू होता है !

विराम 
विकल्प 
समाधान
परिवर्तन  - हर तूफ़ान का होता है !

समस्याएँ एक तरह की अनुभवी शिक्षा है 
जहाँ न दम्भ होता है 
न दब्बूपन 
होती है एक चाहत 
सहने की 
कुछ कर दिखाने की 
विनम्रता की 
टूटे मन को जोड़ने की  … 

तो,
हारिये न हिम्मत, बिसारिये न हरी नाम।।
जा ही विधि राखे राम, ता ही विधि रहिये।।

18 टिप्‍पणियां:

  1. संकट को हरि ही हरता है इसीलिए वह हरि है !

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  2. डूबते को तिनके के सहारे की तरह ईश्वर ही उबारता है अंतत: ।

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  3. सच ही कहा है जेही विधि रखे राम तेहि विधि रहिये

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, मुसकुराते रहिए और स्वस्थ रहिए - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2 - 06 - 2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2024 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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  6. ओशो कहते हैं कि समस्याएँ माँजती हैं इंसान को, तब कहीं जाकर उसकी चमक उसे वापस मिलती है. आपकी रचना सचमुच प्रेरक है दीदी!

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  7. सच है, अगर समस्याए आती है तो उन्हे सुलझानेवाले हाथ भी होते है

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  8. समस्याएँ एक तरह की अनुभवी शिक्षा है
    ..सच है समस्याएं उसी के हिस्से ज्यादा आती हैं जो हिम्मत रखता है .....
    बहुत सुन्दर रचना

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  9. प्रेरणाप्रद कवि‍ता है दी..बहुत सुंदर

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  10. बेहद उम्दा...बहुत ही प्रेरना दाय कविता...

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  11. हर शाम की एक सुबह जरूर होती है
    और भगवान के दर पे अक्सर मन को उस सुबह का अहसास और संबल मिलता है
    सादर !!

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  12. समय से निपटने को हथेली जरूर मिलती है ... ऊपर वाला दुःख के साथ सुख भी तो पास ही रखता है ...

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  13. आस्था और विश्वास जगाती पंक्तियाँ...

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  14. हारिये न हिम्मत, बिसारिये न हरी नाम।।

    अद्भुत .....

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