दौर का कमाल है,
बड़े बुजुर्गो की कौन कहे
जिनके दूध के दांत भी नहीं टूटे हैं
वे भी बुद्धिजीवी हैं,
वे सोच समझकर भले न बोलें,
आपका मान हो न हो
आपको उसके मान का ख्याल रखना है,
अन्यथा बुरा असर पड़ेगा !
पहले तो छोटी सी बात पर कान उमेठे जाते थे
बड़ों के बीच से भगा दिया जाता था
घड़ी देखकर पढ़ने बैठा दिया जाता था
बात असर,बेअसर की करें
तो अति किसी बात की अच्छी नहीं
- वह प्यार हो या गुस्सा हो !
नि:संदेह, जन्मगत गुण अवगुण होते हैं,
पर वस्तु हो, फसल हो या मनुष्य
समय पर सिंचाई,
काट छांट... उसके लिए जरूरी है
उत्तम, श्रेष्ठ,बुद्धिजीवी घोषित करने से पहले
उसे मौसम को सहने का ढंग सिखाइए
कीड़ों से बचाइए,
सही -गलत का फर्क बताइए
...
भले ही जमीन आपकी है,
पर हवाओं के रुख़ का सामना तो करना ही होगा !!!