28 अक्टूबर, 2007

अद्भुत शिक्षा !







सब पूछते हैं-आपका शुभ नाम?
शिक्षा? क्या लिखती हैं?
हमने सोचा - आप स्नातक की छात्रा हैं
मैं उत्तर देती तो हूँ,
परन्तु ज्ञात नहीं,
वे मस्तिष्क के किस कोने से उभरते हैं!
मैं?
मैं वह तो हूँ ही नहीं।
मैं तो बहुत पहले
अपने तथाकथित पति द्वारा मार दी गई
फिर भी,
मेरी भटकती रूह ने तीन जीवन स्थापित किये!
फिर अपने ही हाथों अपना अग्नि संस्कार किया
मुंह में डाले गंगा जल और राम के नाम का
चमत्कार हुआ
............अपनी ही माँ के गर्भ से पुनः जन्म लेकर
मैं दौड़ने लगी-
अपने द्वारा लगाये पौधों को वृक्ष बनाने के लिए
......मैं तो मात्र एक वर्ष की हूँ,
अपने सुकोमल पौधो से भी छोटी!
शुभनाम तो मेरा वही है
परन्तु शिक्षा?
-मेरी शिक्षा अद्भुत है,
नरक के जघन्य द्वार से निकलकर
बाहर आये
स्वर्ग की तरह अनुपम,
अपूर्व,प्रोज्जवल!!

13 टिप्‍पणियां:

  1. inn laino ko dekh kar
    padh kar
    aatm ranjit kar
    mera mann bhi
    kahta hai..........
    kyon nahi mere mann
    main aisee deep prajwalit hoti hai
    kyon nahi mere mann ka
    rath bhi "di" ke bhanti daurti hai
    kyon nahi
    kyon nahi

    par main khud ko saantwana
    deta hoon
    koi baat nahi tu bhi to chinta mat kar
    tu bhi "di" ke sannidhya main rah kar
    kutch kabhi payega
    kutch sikh lega.........

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  2. सुन्दर भावपूर्ण रश्मियों से मन ओतप्रोत हो गया है,रश्मि जी.

    काश! मेरे ब्लॉग पर भी सुन्दर रश्मि का प्रकाश हो जाये.

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  3. मेरी शिक्षा अद्भुत है,
    नरक के जघन्य द्वार से निकलकर
    बाहर आये
    स्वर्ग की तरह अनुपम,
    अपूर्व,प्रोज्जवल!!

    ओह , आपकी यह रचना आपके जीवन के पन्नों को खोलती है .. नि:शब्द हो बस स्वर्ग की ओर बढते कदम देख रही हूँ ..

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  4. मन को छू गई ये रचना..
    बहुत सुंदर

    मैं?
    मैं वह तो हूँ ही नहीं।
    मैं तो बहुत पहले
    अपने तथाकथित पति द्वारा मार दी गई
    फिर भी,
    मेरी भटकती रूह ने तीन जीवन स्थापित किये!
    फिर अपने ही हाथों अपना अग्नि संस्कार किया
    मुंह में डाले गंगा जल और राम के नाम का
    चमत्कार हुआ

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही गहरे भावों को संजोया है…………अद्भुत्।

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  6. कितना प्रकाश आपके अन्दर है जो निरंतर अन्धकार को हटाता जाता है ...!
    प्रबल जिजीविषा देती हुई रचना ...

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  7. beshak aap abhi 1 varsh ki hain...lekin jante hain aapme poorv-janam ke sanskar aur bhool/sudhar sab yaad honge....so umeed hai....ab ye jindgi sukhkar hogi.

    :)

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  8. khubsurat shil me hamesha hi aap kuch naya kahti hain..aisa lagata hai jaise har rachna ek shodh ho..aapki rachnaoon ki tajgi mere akarshan ka bisisht karan hai..bade hee sahaj tareeke se atyant goodh baat..sadar badhayee aaur margdarshan ki aakanksha ka bhav liye aamantran ke sath

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  9. -मेरी शिक्षा अद्भुत है,
    नरक के जघन्य द्वार से निकलकर
    बाहर आये
    स्वर्ग की तरह अनुपम,
    अपूर्व,प्रोज्जवल!!
    amazing!!!

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  10. शुभनाम तो मेरा वही है
    परन्तु शिक्षा?
    -मेरी शिक्षा अद्भुत है,
    सच में अद्भुत ही है आपकी शिक्षा हर परिस्थिति में सबल होती सी ... आभार ।

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  11. स्वर्ग की तरह अनुपम,
    अपूर्व,प्रोज्जवल!!

    अद्भुत दी....
    सादर.

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  12. अपने ही हाथो अपना संस्कार करके फिर से जन्म लेने की हिम्मत जुटाना...दृढ़ इच्छाशक्ति का परिणाम सबके सामने है...आज आप शिखर पर हो...अद्भुत यात्रा !!

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...