खट खट खट खट.........
मोह दरवाज़े पर
दस्तक देता रहता है !
कान बंद कर लूँ
फिर भी ये दस्तकें
सुनाई देती हैं -
और आंखों में
कागज़ की नाव बनकर तैरती हैं !
आँधी,तूफ़ान,घनघोर बारिश में लगा,
अब ये नाव डूब चली,
पर आँधी थमते
दस्तकें सुनाई देती हैं........
मैं आखिरी कमरे में चली जाती हूँ
पर मोह की दस्तकों से
मुक्त नहीं हो पाती.......
बैठ जाती हूँ हार के
....... प्रभु तुम ही कहते हो,
तुम्हारा क्या गया ?
तुम क्या लाये थे ?
तो - यह मोह,
क्यूँ मेरे साथ चलता है !
मोह दरवाज़े पर
दस्तक देता रहता है !
कान बंद कर लूँ
फिर भी ये दस्तकें
सुनाई देती हैं -
और आंखों में
कागज़ की नाव बनकर तैरती हैं !
आँधी,तूफ़ान,घनघोर बारिश में लगा,
अब ये नाव डूब चली,
पर आँधी थमते
दस्तकें सुनाई देती हैं........
मैं आखिरी कमरे में चली जाती हूँ
पर मोह की दस्तकों से
मुक्त नहीं हो पाती.......
बैठ जाती हूँ हार के
....... प्रभु तुम ही कहते हो,
तुम्हारा क्या गया ?
तुम क्या लाये थे ?
तो - यह मोह,
क्यूँ मेरे साथ चलता है !