05 सितंबर, 2008

मेरी,तेरी,उसकी बात.........


(१)
मेरी तपस्या की अवधि लम्बी रही,
रहा घनघोर अँधेरा ,
सुबह - नए प्रश्न की शक्ल लिए
खड़ी रही..........
वो तो चाँद से दोस्ती रही
इसलिए सितारों का साथ मिला -
तपस्या पूरी हुई,
सितारे आँगन में उतर आए !

(२)
तुमने मुझे 'अच्छी'कहा
तो घटाएं मेरे पास आकर बैठ गयीं,
मेरी सिसकियों को अपने जेहन में भर लिया....
सारी रात घटाएं रोती रहीं,
लोग कहते हैं -
' अच्छी बारिश हुई '

(३)
घर तो यहाँ बहुत मिले
पर,
हर कमरे में कोई रोता है !
मेरे पास कोई कहानी नहीं,
कोई गीत नहीं,
मीठी गोली नहीं,
चाभीवाले सपने नहीं....
कैसे चुप कराऊँ ?
सपने कैसे दिखाऊं? -
कोई सोता भी तो नहीं.........

(४)
समुद्र मंथन से क्या होगा !
क्या होगा अमृत पाकर?
क्या मन की दीवारें गिर जायेंगी?
क्या जीने से उकताहट नहीं होगी?
क्या अमृत तुम्हारा स्वभाव बदल देगी?
............... इन प्रश्नों का मंथन करो
संभव हो - तो,
कोई उत्तर ढूंढ लाओ !

24 टिप्‍पणियां:

  1. तुमने मुझे 'अच्छी'कहा
    तो घटाएं मेरे पास आकर बैठ गयीं,
    मेरी सिसकियों को अपने जेहन में भर लिया....
    सारी रात घटाएं रोटी रहीं,
    लोग कहते हैं -
    ' अच्छी बारिश हुई '

    (३)
    घर तो यहाँ बहुत मिले
    पर,
    हर कमरे में कोई रोता है !
    मेरे पास कोई कहानी नहीं,
    कोई गीत नहीं,
    मीठी गोली नहीं,
    चाभीवाले सपने नहीं....
    कैसे चुप करों,
    सपने कैसे दिखाऊं? -
    कोई सोता भी तो नहीं.........

    shayed sab log na sahmat hon mujh se par bahut se log hionge bhee

    main aisee kavitayon ko mahan rachana kahata hoon

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  2. aapki ye sabhi rachnaayen bahut gahraai liye hue hain.
    1-tapsya ke baad gyaan roopi prakash mila.....
    2-is baarish ne mann ka dard chaaron or barsa diya........
    3-aaj sab haqikat jaante hain unko bahlana aasaan nahi hai..........
    4-sach aaj zindagi ek saarheen si ho gayi hai.kisi se mail - jol nahi sab apane men simate hue se...
    bahut achchhi soch le kar aayi hain .
    regards

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  3. तुमने मुझे 'अच्छी'कहा
    तो घटाएं मेरे पास आकर बैठ गयीं,
    मेरी सिसकियों को अपने जेहन में भर लिया....
    सारी रात घटाएं रोटी रहीं,
    लोग कहते हैं -
    ' अच्छी बारिश हुई '

    वाह दिल को छु गई आपकी यह रचना बहुत खूब

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  4. Rashmi ji aap shabdo me jaan dal deti ho, shabdo ko khud b khud ek mahatv mil jata hai, ek naya aayam mil jata hai, shabdo ke sunder motion ko ek rachna rupi mala me piro deti hai aap jisse unki khubsurti or bhi badh jati hai.......

    Rani Mishra

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  5. Saari raat ghatayen rori rahi....achhi barsaat hui. kya gazab line hai. poori kavita bahut badhia ban padi hai. Rashmiji, achha likhti hain aap.

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  6. DI behad khubsurat shabdon ke moti ghade hai aapne aur ye vishal sagar sarikha kavi man hi kar sakta hai.......!

    anmol kaavy moti!

    ...Ehsaas!

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  7. Sabhi kavitaye hamesa ki tarah achchi hai, parantu ye line :

    तुमने मुझे 'अच्छी'कहा
    तो घटाएं मेरे पास आकर बैठ गयीं,
    मेरी सिसकियों को अपने जेहन में भर लिया....
    सारी रात घटाएं रोती रहीं,
    लोग कहते हैं -
    ' अच्छी बारिश हुई '

    Bahut hi achchi lagi.

    जवाब देंहटाएं
  8. aap ne hmesha ki hi tarah bahut hi accha likha hai.
    badahi

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  9. experiments with truth.........हर एक शब्द सच बयां कर रहा है!स्वाभाविक बात लिखी है आपने,ऐसा ही तो होता है!और जहाँ तक उत्तर ढूंढ कर लाने की बात है तो मेरा उत्तर यही है की अब समुंद्र मंथन की नहीं(क्योंकि इससे जो अमृत प्राप्त होता है ,एक दुसरे से छिनने-झपटने मे विषाक्त हो जाता है),अब खुद के मंथन की जरुरत है(क्योंकि इससे जो अमृत प्राप्त होगा कोई छीन नहीं पायेगा)और इससे जो अमृत प्राप्त होगा यही हमलोगों को सही तरीके से जीने मे मदद करेगा, ............ चारो रचनाये चौराहे की तरह है और हर राह दूर तक जाती है....बेहद ख़ूबसूरत रचना mam

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  10. बहुत उम्दा, क्या बात है!आनन्द आ गया.

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  11. तुमने मुझे 'अच्छी'कहा
    तो घटाएं मेरे पास आकर बैठ गयीं,
    मेरी सिसकियों को अपने जेहन में भर लिया....
    सारी रात घटाएं रोटी रहीं,
    लोग कहते हैं -
    ' अच्छी बारिश हुई '
    सभी रचनाये एक से बढ कर एक, किस की तारीफ़ करे किसे छोडे डर लगता हे एक की तारीफ़ करे तो दुसरी नाराज ना हो जाये.
    धन्यवाद

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  12. तुमने मुझे 'अच्छी'कहा
    तो घटाएं मेरे पास आकर बैठ गयीं,
    मेरी सिसकियों को अपने जेहन में भर लिया....
    सारी रात घटाएं रोटी रहीं,
    लोग कहते हैं -
    ' अच्छी बारिश हुई '

    kya kahuuN ?

    जवाब देंहटाएं
  13. तुमने मुझे 'अच्छी'कहा
    तो घटाएं मेरे पास आकर बैठ गयीं,
    मेरी सिसकियों को अपने जेहन में भर लिया....
    सारी रात घटाएं रोटी रहीं,
    लोग कहते हैं -
    ' अच्छी बारिश हुई '

    यूँ हर पंक्ति प्रभावी है.शब्द-चयन आपका ,सुबहान-अल्लाह!
    लेकिन उक्त पंक्तियों ने अन्दर तक हिलोर दिया.इतनी सहजता से आप इतनी बड़ी बात कह जाती हैं.बहुधा ऐसा लेखन कम ही देखने में आता है.

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  14. bhut dard hai en rachnao mai, aapney jiwan ki sachayi ko samney rakh diya hai,aur mai es kabil nahi ki koi comment dey saku en rachnao per

    जवाब देंहटाएं
  15. yeh mere subhagya hai ki aap jaise mahan aitihasik dharohar ,divya vibhuti ke sanidhya aur sneh hume prapt huwa.
    Hum is kabil nahin ki aapki kabitawon par apne kuch comments likh saken ,
    Aap vishal hain, aapke samne koi aur bhi nahin.

    Aapki lekhani se roj nayi nayi rachnayen hoti rahem aisa mera biswas hai.

    Aap jan mans ki awaj hai.
    aap jan manas ki bedana ko samjhti hain.

    AAp hamara gaurav hai.

    Bharat Desh ko aapke uapar naaj Hain.

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  16. shabd hi nahin mil rahe hain, kya kahoon? wakai main aapki bhavnaaye shabdon ka roop le ke jab kagaj par utarti hain to phir us aanand ko bayan karne ke liye shabd chote pad jate hain. bahut hi acchi rachnaye bilkul aapki bhavnaaon ki tarah....najuk...komal...makhmali.

    जवाब देंहटाएं
  17. घर तो यहाँ बहुत मिले
    पर,
    हर कमरे में कोई रोता है !
    मेरे पास कोई कहानी नहीं,
    कोई गीत नहीं,
    मीठी गोली नहीं,
    चाभीवाले सपने नहीं....
    कैसे चुप कराऊँ ?
    सपने कैसे दिखाऊं? -
    कोई सोता भी तो नहीं......
    दर्द अच्छे से उभारा है आपने..

    जवाब देंहटाएं
  18. "चाभीवाले सपने नहीं....
    कैसे चुप कराऊँ ?
    सपने कैसे दिखाऊं? -
    कोई सोता भी तो नहीं........."

    " अम्मा "आज भी धीरुभाई बनाने के सपने दिखा रही हैं , और आपने सपनो की चाभी ही गुम कर दी !!!

    बेहतरीन और बहुआयामी रचनाए लिखी हैं आपने..

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  19. १. 'वो तो चाँद से दोस्ती रही इसलिए सितारों का साथ मिला'....
    दीदी शायद इतनी ज्यादा गुढ बाते कह गई आप जो मेरे समझ मे नही आ रहा, मै इससे नही जुड पाया क्षमा चाहुंगा |

    २. 'अच्छी बारिश हुई'..
    यह बिल्कुल घुमा कर रख देनी वाली रचना है, ना जाने कितनी बार पढ गया पर एक भुल-भुलैया से कम नही है.. जब अन्त पहुँचो तो शुरुआत रह्स्यमयी लगती है, जब फिर से शुरुआत पढो तो अन्त अन्तहीन लगता है... ना जाने यह एक भम है, या फिर एक निराशा या एक छोटी सी आशा... जो भी है बहुत खुबसुरत है और बहुत ही अच्छी है... मैने कहा नही और देखो छम छम की आवाजे फिर आने लगी... अरे थम भी जा वो कजरारे बादल|

    ३.'कोई सोता भी तो नहीं'......... धीरे धीरे आ रे बादल धीरे धीरे आ आ... मेरी दीदी सो रही है, शोर ना मचा| :०)

    ४.'समुद्र मंथन से क्या होगा !'....
    शायद आगे सिर्फ पंक्ती पुरी कविता का सार कहने के लिये सक्षम है.... "क्या जीने से उकताहट नहीं होगी?"

    बहुत खुब रश्मी दी....

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  20. तुमने मुझे 'अच्छी'कहा
    तो घटाएं मेरे पास आकर बैठ गयीं,
    मेरी सिसकियों को अपने जेहन में भर लिया....
    सारी रात घटाएं रोटी रहीं,
    लोग कहते हैं -
    ' अच्छी बारिश हुई '
    bahut sunder...
    mujhae sabse zyada ye hi pasand ayi....
    rashmi jo tumhe personal level per jaanta hai,tumhari kuch rachnayein wohi samajh sakta hai...hai naa...
    anita.

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  21. छोड़ दऱुमो की चंचल छाया
    तोड़ पऱकृित से भी माया
    बाले तेरे बालजाल में
    कैसे उलझा दूं लोचन
    पऱकृित किव सुिमॊानंदन पंत ने अापका नामकरण संस्कार िकया है। मुझे किवता नहीं भाती। लेिकन पढ़ते रहने की अादत से किवताअों के संपकॆ में भी अा जाता हूं। जैसे अाज अापकी भावनाअों से टकराया। कल भी एक युवती किव की किवताएं पढ़ी थी। नहीं जंचा। अाज अापका पढ़ा। अच्छा लगा। अापका पऱोफाइल भी देखा। पता चला िक अाप पटना की हैं,जहां मैने जीवन के ३२ बसंत देखे हैं।
    अापकी किवताअों की िवशेषता सरल शब्द हैं। मैं पतरकार होने के नाते जानता हूं िक अाप कुछ भी िलखे,अगर वे सरल नहीं हैं,गरल बन जाते हैं। अाज छायावादी किवयों की िकताबें िसफॆ लाइबऱेरी की शोभा बन गयीं हैं। भाव के स्तर पर उनकी किवताअों की कोई सानी नहीं, लेिकन हम अाज िसफॆ जेनरल नॉलेज की िकताबों में उनका पऱोफाइल भर देख पाते हैं। वह भी इसिलए की वे इतने महान किव-किवयतरी हैं िक िविभन्न पऱितयोगी परीचछाअों में उनके बारे में पूछा जाता है। किव अपनी किवताअों की लोकिपऱयाता से जांचा जाता है। कबीर-रहीम जैसे तत्वगयानी किव िसफॆ इसिलए अाज भी जनमानस में जीिवत हैं क्योंिक उन्होंने जनभाषा का सहारा िलया था।

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दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...