वक्त हो तो बैठो
दिल की बात करूँ....
कुछ नमी हो आंखों में
तो दिल की बात करूँ...
तुम क्या जानो,
अरसा बीता,
दिल की कोई बात नहीं की,
कहाँ से टूटा
कितना टूटा-
किसी को ना बतला पाई,
रिश्तों के संकुचित जाल में
दिल की धड़कनें गुम हो गईं !
पैसों की लम्बी रेस में
सारे चेहरे बदल गए हैं
दिल की कोई जगह नहीं है
एक बेमानी चीज है ये !
पर मैंने हार नहीं मानी है
दिल की खोज अब भी जारी है....
वक्त है गर तो बैठो पास
सुनो धड़कनें दिल की
इसमें धुन है बचपन की
जो थामता है -रिश्तों का दामन
फिर.............
वक्त हो तो बैठो,
दिल की कोई बात करूँ............
दिल की बात करूँ....
कुछ नमी हो आंखों में
तो दिल की बात करूँ...
तुम क्या जानो,
अरसा बीता,
दिल की कोई बात नहीं की,
कहाँ से टूटा
कितना टूटा-
किसी को ना बतला पाई,
रिश्तों के संकुचित जाल में
दिल की धड़कनें गुम हो गईं !
पैसों की लम्बी रेस में
सारे चेहरे बदल गए हैं
दिल की कोई जगह नहीं है
एक बेमानी चीज है ये !
पर मैंने हार नहीं मानी है
दिल की खोज अब भी जारी है....
वक्त है गर तो बैठो पास
सुनो धड़कनें दिल की
इसमें धुन है बचपन की
जो थामता है -रिश्तों का दामन
फिर.............
वक्त हो तो बैठो,
दिल की कोई बात करूँ............
bahut sunder rachana
जवाब देंहटाएंbadhai
regards
रश्मि जी आपकी कविता " वक्त है ? " दिल तक उतर गयी । बहुत बढिया मनभावन प्रस्तुति आपकी ।
जवाब देंहटाएंma'am bilkul sahi likhaa....................
जवाब देंहटाएंwaqt ho to baitho ............
mujhe bahut pasand aaya hai isko likhne kaa swabhii maani tarikaa
waqt ho to baitho
बहुत बढिया! एक सुन्दर एहसास।
जवाब देंहटाएंbadhiya rachana .
जवाब देंहटाएंmain baithunga na,
जवाब देंहटाएंamma ki har baat sunne.
main baithunga
bahut hi sachha aur achchha likha hai
aisee meethee baat sun ne ke liye waqt bhee hai dil bhee hai bahut achha likha hai sada kee tarah tum ne
जवाब देंहटाएंAnil
वक्त न थमता है न कोई सुनता है :) बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना
जवाब देंहटाएंrashmi ji,
जवाब देंहटाएंbahut khoobsurat rachna hai ,
thodi der baitho to dil ki baat karoon............
par waqt hi to nahi kisi ke paas.
aapne bahut khoobsurati se ye baat kah di hai.
saabhar
वक्त हो तो बेठॊ,
जवाब देंहटाएंदिल की........
क्या बात है, लगता है कवि अपने सारे भावदिल मे छुपा कर बेठा है, इस युग मै, जहां पेसा ही सब कुछ है, भावनयें कुछ नही,
धन्यवाद इस सुन्दर कविता क लिये.
पैसे की लम्बी रेस में सारे चहरे बदल गए हैं बिल्कुल सच है "घर वालों ने प्यार जताकर ,गैरों ने मक्कारी से /मुझ को तो मिल जुल कर लूटा सबने बारी बारी से ""
जवाब देंहटाएंवाकई आज के यांत्रिक युग में भावनाओ की समझ बन पाए इतना समय नहीं लोगो के पास | ईश्वर आपके "दिल की खोज" को मंजिल प्रदान करे |
जवाब देंहटाएंkaha kisi ke pass waqt hai..kisi ki dhadkano ko sunne ke liye....bahut pyari kavita hai...
जवाब देंहटाएंसुकून की, दिल की बातें अब कहाँ होती है ...
जवाब देंहटाएंहँसने के लिए भी टीवी की ज़रुरत होती है..
Aapki rachna ke liye main to yah kahunga.-- Bhavna kavita men kuchh aise bahati hai, kavita khud hi sab kuchh kah deti hai. Bahut achha likhti hain aap. virasat men mili lagati hai pratibha.bahut khoob.
जवाब देंहटाएंkavita achchi lagi
जवाब देंहटाएंkaha se toota
जवाब देंहटाएंkitna toota
kisi ko na batla paii
bahut hi sunder abhivyakti hai...
वक्त है तो बैठो
जवाब देंहटाएंदिल की बात करुं
कुछ नमी हो आंखों में
तो दिल की बात करुं
बहुत सुन्दर पंक्तियां हैं।
पैसों की लम्बी रेस में
जवाब देंहटाएंसारे चेहरे बदल गए हैं
दिल की कोई जगह नहीं है
एक बेमानी चीज है ये !
bilkul sahi kaha dil to kaanch ka tukda,paisa raab ban gaya.bahut sundar rachana ke liye badhai
सुंदर और सार्थक लगी आपकी रचना ....बधाई
जवाब देंहटाएंआज का सत्य, आज अगर किसी चीज की कमी है इन्सान के पास तो वो वक्त है.,
जवाब देंहटाएंआज पैसो की दौड़ में इंसान इतना व्यस्त हो गया है कि,
उसके पास अपने खुद की मन की बात सुनने का वक्त नहीं है.....
वो ये नहीं जनता की उसका स्वयं का हृदय क्या चाहता है.......
वो सिर्फ पैसो की अंधी दौड़ में दौडे जा रहा है.......
रिश्ते अपनी पहचान खो चुके है, वो भी समय के गुलाम हो गए है......
रिश्ते समय के अनुसार निभाए जाते है आज.......
वक्त हो तो बैठो,
दिल की कोई बात करू....
गर पैसो को दिल का हाल सुना सको तो ठीक है.......
मैं तो न सुन पाउँगा.....
वक्त नहीं सिर्फ पैसा है मेरे पास........
अब रिश्तो को इन्ही से निभाऊंगा........
सुनो धड़कने दिल की..,
इसमें धुन है बचपन की.......
कानो में earphone लगा है.......
कुछ सुनाई नहीं देता है आज......
दिल की बातो को दिल में ही रहने दो.......
वक्त नहीं है अभी फुर्सत में बात करेंगे.......
न उन्हें फुर्सत होगी.......
न हाले ऐ दिल बयां होगा.......
दिल कि खोज अब भी जरी है .............
जवाब देंहटाएंकौन सा दिल तलाश करोगे कौन सा दिल अपने पास रखोगे
वो धुन बचपन कि खो गई अब क्या अब रोता अलाप रखोगे
मन को समझाया है आज क्या सिर्फ बचपन कि याद रखोगे
कैसे-कैसे रिश्ते बनते वक़्त को देख सब हैं बदलते,क्या करोगे ?
कौन सा दिल तलाश करोगे ,किन-किन रिश्तों का मान रखोगे akshay-mann
सुंदर रचना है।
जवाब देंहटाएंवक्त का ही तो रोना है। कमबख्त इतना भी नहीं बचा है कि अपनों के दिल की बात भी सुन सकें। उसे तो अब हम ऐसी कविताओं कहानियों में सुना करे हैं।
जवाब देंहटाएंsach hai di..!
जवाब देंहटाएंkaha kiske par itna wakt hai..!
sab apni apni zindagi me uljhe hai..!
aur agar hai bhi to EGO aade aa jati hai..!
koi kisi ki nahi sunna chahta..!
neways....
machin ban chuke hai hum sab pata hi nahi chalta kab hum apne sabhi rishton ko khote chale jate hain
जवाब देंहटाएंDil nam ho jata hai
जवाब देंहटाएंdharkan sunte hi
Dil ek baat sunana chahta hai
per koi paas baitha hi nahin
dil ki kya koi baat karu
koi sunata hi nahin.....
Very nice write! Don't know why we have fallen in trap in these unknown things!
रश्मि प्रभा जी,
जवाब देंहटाएंभावना की रसधार रचना में बहती है।
कविता अपने आप ही सब कहती है।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
जो बात हम अपनों से न कह सके....
जवाब देंहटाएंजो सौगात(वक्त) हम अपनों से न मांग सके...
वो आपने इस रचना me कहा है....
मन् कहता है...अपनों को पढाये ये रचना....
हमे तो वो न समझे कभी.....
शायद इससे पढ़ के ही समझ जाए....
nice question..........मगर माँ ये बात भी पूछने वाली है ? माँ अगर बेटे से पूछे की ,बेटा क्या तुम्हारे पास वक़्त है मेरे लिए, तो आप ही बताये बेटे को कैसा लगेगा...मुझे भी बिल्कुल अच्छा नहीं लगा...आपके दिल की धड़कने कही गुम नहीं हुई है,क्योकि आपके दिल की धड़कन मै सुन रहा हूँ.....तभी तो मै जिन्दा हूँ !
जवाब देंहटाएंमाँ....' मेरा दिल धड़कता है, तुम्हारे दिल की धड़कने सुन-सुन कर
तन्हा धड़कने की आदत इसे लगती नहीं है '...................
बेहद ही खूबसूरत रचना माँ
रश्मि जी:
जवाब देंहटाएंकविता की ये पंक्तियां विशेष कर अच्छी लगी
वक्त है तो बैठो
दिल की बात करुं
कुछ नमी हो आंखों में
तो दिल की बात करुं
आकाश
क्यू कहती हो वक़्त हो तो बैठो ?
जवाब देंहटाएंक्यू कहती हो धड़कने गुम हुई ?
आँखों की नमी बाट ले ,
वक़्त को वक़्त पर समेत ले ,
धड़कने गा रही जो धुन वो सुन ले …ILu!
क्यू कहती हो वक़्त हो तो बैठो ?
जवाब देंहटाएंक्यू कहती हो धड़कने गुम हुई ?
आओ -
आँखों की नमी बाट ले ,
वक़्त को वक़्त पर समेत ले ,
धड़कने गा रही जो धुन वो सुन ले …!