मैं एक सच्चा वाक्या प्रस्तुत करती हूँ आपके आगे - देश के ऐसे नागरिकों को क्या आप संवेदनशील कहेंगे ? क्या यह होती है देश के प्रति निष्ठा? हाँ , बातें हैं देश के लिए ही !.......
मेरा बेटा, ( जो एक आर्मी ऑफिसर है ) - ट्रेन से अपने लोकेशन पर जा रहा था। उसी कम्पार्टमेंट में एक महाशय एक लड़की पर प्रभाव जमाते हुए जोश में कह रहे थे - जवाब देना है, हमें हाथ-पर-हाथ रखकर नही बैठना है! मैं चाहता हूँ युद्ध हो, मैं अनुभव करना चाहता हूँ......... बहुत देर से उनकी बातें सुन रहा था मेरा बेटा, अनुभव की बात पर उसने पूछा - "क्या आपके घर का कोई सदस्य फौज में है?" उन्होंने कहा - 'नही'। मेरे बेटे ने कहा - 'फिर? फिर आप क्या अनुभव कर पाएँगे और किस मायने में? पहले अपने घर से किसी को देश की सुरक्षा में भेजें , फिर ऐसी बात कहें..........!!!'
मेरा बेटा, ( जो एक आर्मी ऑफिसर है ) - ट्रेन से अपने लोकेशन पर जा रहा था। उसी कम्पार्टमेंट में एक महाशय एक लड़की पर प्रभाव जमाते हुए जोश में कह रहे थे - जवाब देना है, हमें हाथ-पर-हाथ रखकर नही बैठना है! मैं चाहता हूँ युद्ध हो, मैं अनुभव करना चाहता हूँ......... बहुत देर से उनकी बातें सुन रहा था मेरा बेटा, अनुभव की बात पर उसने पूछा - "क्या आपके घर का कोई सदस्य फौज में है?" उन्होंने कहा - 'नही'। मेरे बेटे ने कहा - 'फिर? फिर आप क्या अनुभव कर पाएँगे और किस मायने में? पहले अपने घर से किसी को देश की सुरक्षा में भेजें , फिर ऐसी बात कहें..........!!!'
वो महापुरुष थोड़ा रुके और फिर अपना प्रश्न दागा - 'आप क्या करते हैं?' बड़े फक्र से मेरे बेटे ने कहा - 'मैं फौज में हूँ, मैं एक आर्मी ऑफिसर हूँ!'
उन्होंने तो चुप्पी साध ली, पर आप कहिये - क्या यह कोई टाइम पास मसला है, या कोई बौद्धिक अनुभव?
बहुत सरीक . कई जगह पर ऐसे फाकू उस्ताजो से पाला पड़ जाता है . धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो हमें फक्र है -- म्रगंक एक फौजी है ...
जवाब देंहटाएंफक्र है आप पर -- आप उसकी माँ और हमारी दीदी है ...
बौधिक अनुभव --- कितने लोग समझते है इसे ? देश मैं कोई आतंकवादी हमला होता है तो २-३ दिन हल्ला मचाते है लोग ... फिर सब अपने में मस्त ... अगर आज देश हर घर से १ व्यक्ति को फौज में भरती करने लगे तो कोई युद्ध नहीं चाहेंगा... आज आर्मी related फिल्म आती है.. देखने सब जाते है, वाह वाह करते है... जय हिंद और न जाने क्या क्या...( में भी इन सब में शामिल हु) पर उस बात को अनुभव कितने कर पाते है ? कहना और करना ..और सिर्फ कहना ही कहना ... बहोत फरक है दोनों में ...
निश्चित ही आप जो कह रही है वो सही है... आज हमे आवश्यकता है की हर एक नागरिक अपनी जिम्मेदारी को समझकर अपने सामर्थ के अनुसार काम करे. हम जो भी करे उसमे देश हित की भावना हो... तब हम कह सकते है हम भारतीय है.
जवाब देंहटाएंसच है की हम चाहते हैं युद्ध हो भी तो भी अब उत्तर देने का समय आ गया है | किन्तु यह राय देने से पहले हमें अपना योगदान निर्धारित करना होगा | हम हमारे देश को बदला लेने के लिए क्या देने जा रहे हैं केवल शब्द? तब तो भारत के पास भिन्न भाषाओँ के सेंकडों शब्द कोष हैं माँ भारती अब उस से बहुत कुछ मांगती है - जय हिंद
जवाब देंहटाएंpalo ki khata sadiya bhugtati hain...
जवाब देंहटाएंyudh kisi masle ka hal nahin hai.
yadi thopa jaye to ladna to hai hi samman ke atam samman swabhimaan. bhi kuch hota hai ki nahi.
Waise Itihaas bhi gawah hai hai yudh se kabhi masle hal nhi hua.
Live n let live.
Rahi tym pass ki baat wo humare mahaan desh mein 80% logo ko koi kaam nhi na hi unke paas dimaag hai kuch achcha sochne ka.
siway Bhagwan aur sarkaar ko dosh dene ke...
unse poochha jaaye ki unhone bhagwan sarkaar ya desh ke liye aaj tak kya kiya hai aur kya kar sakte hain....?????
जख्मी हूं क्यूंकि मैं भी तेरे जैसा जिस्म और नाम रखता हूं
जवाब देंहटाएंईमान कि बात मत करो,मैं देश के लिए अपनी जान रखता हूं
माँ का आँचल,बहन का प्यार रखता हूं ,किसी कि नज़रों का
वो सुना-सुना इंतज़ार रखता हूं
अब बोलो तुम ज़रा क्या यही खता है मेरी आज
तेरे लिए सब छोड़ आया,अब दिल में छुपाकर अपना छोटा सा
परिवार रखता हूं
तुझसे मिले ना मिले वो प्यार ,दिल में नही कोई सवाल रखता हूं
मैं तेरा ख़्याल रखता हूं बस यही एक अधिकार रखता हूं
मैं किन-किन की नज़रों में व्यापार करता हूं ?
तो सुनिए हाँ ये सच है कि मैं व्यापार करता हूं
तेरे लिए, देश के लिए अपनी खुशियों ,अपने सपनो का
बहिष्कार करता हूं
और तेरी हिफाज़त के लिए एक बन्दूक,एक खंज़र,
एक तलवार रखता हूं
ये सच है मैं जानता हूं कि तुम मेरी कीमत नही जानोगे फिर भी
तेरे कदमो में अपनी माँ से मिला वो आशीर्वाद,वो प्यार रखता हूं
मैं बस यही व्यापार करता हूं,दिल मैं नही कोई सवाल रखता हूँ
हाँ तेरी हिफाज़त के लिए एक बन्दूक,एक खंज़र,
एक तलवार रखता हूं
ये कविता मेरे बड़े भाई को समर्पित आप उन्हें ये जरूर पढाना.......
यहाँ पर तमाशा देखने वाले बहुत हैं.......तालियाँ बजाने वाले भी बहुत हैं.......दुःख बटने वाले प्यार बाटने वाले अमन और शान्ति फेलाने वाले बहुत कम भाई ने सही जवाब दिया.......अच्छा लगा की आपने ये बात सबके सामने रखी.......... आपका शेतानु
अक्षय-मन
मैंने भी मेरे ब्लॉग पर इस बारेमे लिखा है..की सब लोग बोल रहे थे जब मुंबई में हुवा तब की अपने सिपाही कुछ नहीं कर रहे है..मैंने मेरे घर में मेरे पतीमहोदय से ही कहा था की घर के खानेके टेबल पे रोटी सब्जी खाते खाते ये बात करनी आसन है...वो लोग वहा काम कर रहे है उनको कुछ भी कहेने का आपको कोई हक्क नहीं है..
जवाब देंहटाएंऔर ये ही बात सही है...हम सब को यहाँ बाते बनानी आती है..वो माँ की हालत सोचिये जो अपने बेटे को जिसका अंत मालूम नहीं है उनको भेज रही है..हम तो एक ट्रेन को आने में देरी होती है तो सरकार की गलतिया ढूंढ़ते है..किसीको कुछ भी बोलने का हक्क नहीं है...
बहोत सही कहा आपके बेटे ne..और आपके बेटे को सलाम है मेरा और आपको वंदन..
na to yeh time pass masla hai aur na hi bodhik
जवाब देंहटाएंyeh to byikyti ke aatma hai jo dheere mar rahi hai
na sochne ki shakti na smjhane ki.................................................................??????????????????
धन्य हैं आप जिसका ऐसा हीरे सा बेटा है...बहुत सही सवाल किया उसने...इश्वर उसे हमेशा स्वस्थ और खुश रखे...
जवाब देंहटाएंनीरज
आप का सवाल बिलकुल उचित है,ओर हमे खम्खां मै भी ऊंची ऊंची नही छोडनी चाहिये, लेकिन जब जनता का कोई भी अपना मरता है किसी हादसो मै, जो बिलकुल निर्दोष होता है तो उस ओर परिवार को दर्द होता है, ओर एक आम आदमी चिल्लाने के सिवाया ओर कर भी क्या सकता है, लेकिन जो वाक्या आप ने बताया, यहां यह बात गलत है.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
Didi Shekhchilli ka naam to aapne suna hi hoga. jake pair na fate biwai so ka jane pir parai.
जवाब देंहटाएंनववर्ष की शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंआपको व आपके बेटे को हमारा धन्यवाद । आज जो कुछ सुरक्षित हम महसूस कर रहे हैं वह इन्हीं के कारण कर रहे हैं। भारत के साथ जो देश आजाद हुए वहाँ की और भारत की सेना में जमीन आसमान का अन्तर है। बोलना बहुत सरल है, वे करते हैं,, जब जरूरत होती है, हम बोलते हैं जरूरत हो या न हो।
घुघूती बासूती
जो मुंह में बर्फ रखने में सक्षम नहीं वह उस ठंक का एहसास भी नहीं कर सकता रश्मि प्रभा जी। जिस तरह बारिश की हर बूंद सूखी जमीन का तृप्त करती है। उसका एहसास हमें खुशी देता है, उमंग पैदा करता है। वह अनमोल होती है। वैसे ही आपका बेटा फौज में है, वह और आप सही मायने में उस सेवाभाव को निकटता से महसूस कर सकते हैं। समझ सकते हैं। डींगे हांकना तो आसान है, शायद टे्रन वाले भाईसाहब को बॉर्डर पर खड़ा भी कर दिया जाए, तो उनकी सांसे वहीं पूरी हो जाएं। लेकिन अच्छा लगा, क्योंकि मेरे परिवार में फौज का ताल्लुक रहा है। मेरे चाचा करगिल लड़ाई में शहीद हुए थे। वह जज्बा, जोश महसूस कर सकते हैं। थोड़ा ही सही। पर आपके बेटे को सलाम।
जवाब देंहटाएंआपको व आपके बेटे को नववर्ष की शुभकामनाएँ।
कोई फौज में जाना नही चाहता, लेकिन युद्ध की बात पर सभी फड़कने लगते हैं| क्या कहें यही सच्चाई है समाज की|
जवाब देंहटाएंमुझे ये जान कर बहुत खुशी हुआ की आप एक फोज की माँ है! और उसने बहुत ही सही जबाब दिया!
जवाब देंहटाएंविहार की अमूल्य धरती किसी परिचय की मोहताज नही है । और उससे भी कही पन्त जी परिचय के मोहताज नही है । आपने जो लिखा है उससे तो पता चलता है कि आपको कविताई सोच विरासत में मिली है । जिसकी बानगी आपने बखूबी पेश किया है । अच्छा लगा । एक बार मेरे और जरूर झांकना । आपको धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबौद्धिक स्तर पर तो मैं नही जानती की क्या कहूं?
जवाब देंहटाएंचूंकि मेरे बड़े भाई वायु सेना में थे, कारगिल युद्ध के
समय, वे गुजरात के कच्छ क्षेत्र में नलिया स्टेशन
पर पोस्टेड थे. तब जो अनुभव मैंने या मेरे परिवार
ने किए, वे यही कहते हैं की युद्ध से विनाश ही होता
है, और जहाँ तक उन महाशय के अनुभव की बात है,
तो ये कहूँगी, 'अनुभव' युद्ध में जाकर करें, और अपने
स्वजनों को भी कराएं, तभी उनका 'अनुभव' पूर्ण होगा!
वाकई ये बात सिर्फ़ बौधिक सुख की नही है और वो शख्स इसे कैसे अनुभव कर सकता है ,इन लोगों को सिर्फ़ बात करने केलिए वजह चाहिए,
जवाब देंहटाएंवाकई आपको अपने ऊपर फक्र होनी चाहिए एक आप एक फौजी ऑफिसर की माँ हैं...
आपको ढेरो बधाई और नव वर्ष की मंगलकामनाएं
जी ग़ज़ल में ढूँढने के क्रम में उसके खुशबु की चर्चा करी है मैंने .. आप मेरे ब्लॉग पे आई आपका ढेरो स्वागत है आपका स्नेह परस्पर मिले यही उम्मीद करूँगा ....
अर्श
ये एक ज्वलंत मसला है इस समय, युद्ध होना चाहिए या नहीं.. हर कोई अपनी अपनी भावना के अनुरूप ही अपने विचार व्यक्त करता है.. हर किसी के अन्दर गुस्सा है ये तो तय है पर ये भी सच है कि हर कोई युद्ध चाहता भी नहीं है..! युद्ध होने को तो हफ्ते या महीने भर का ही होगा पर उसका परिणाम महीने दो महीने या साल भर नहीं बल्कि जाने कितनी सदियाँ भुगतती हैं..
जवाब देंहटाएंजो इंसान सरहद पर देश कि सुरक्षा में बैठा है अपना घर परिवार छोड़ कर.. उसे ज्यादा सही पाता होता है कि युद्ध के बाद क्या होता है.. ?? हम लोगो को क्या है? मुह से बोलना ही तो है, बोल दिया कि अब तो युद्ध होना चाहिए.. क्यूँ कि अब हर महीने कहीं ना कही बम ब्लास्ट हो ही रहा है.. नए साल की शुरुआत ही इस खाणार से हुयी कि असम में तीन जगह बम ब्लास्ट हुआ.. तो ये सब देख कर यही लगता है कि अब रोज-रोज के मरने से अच्छा है की एक बार में ही मर जाये हम..
पर इस बार जो भी हो ऐसा हो कि फिर कभी युद्ध कि जरुरत ही ना पड़े.. मुझे पाता है ना युद्ध होगा ना हमले फूकेंगे.. सब कुछ ऐसा ही चलता रहेगा.. जो जनता अफजल के फांसी टलने को इतने सालों से हजम किये बैठी है चुपचाप, वो फिर से खामोश हो जायेगी.. क्यूँ?
क्यूँ कि आजकल किसी के पास खुद के लिए वक़्त नहीं है तो देश के लिए कहाँ से आएगा?
रश्मी जी मैने आपका सत्य वाकया पढ़ा, वास्तव में अगंभीर लोगों की यह निशानी है ॰॰॰॰ इस को पढ़ने के बाद मुझे प्रतिक्रिया स्वरुप यह पंक्ति बनाने को मजबूर होना पड़ा है॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰
जवाब देंहटाएंबदल गया है वक्त अब मानव का कारवां भटक गया है
चाहत में अब मजा नहीं द्वेषचक्र में इंसा फंस गया है
>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>>विनोद बिस्सा
लोग दूसरे के मामले में ज्यादा एक्सपर्ट होते हैं। जो फ़ौज में नहीं है वह फ़ौज के बारे में ज्यादा बयान देता है।
जवाब देंहटाएंRespected Rashmi ji,
जवाब देंहटाएंYah to un mahashaya ke ooper seedha tamacha hai.jo apnee bevakoofee bharee baten train men kar rahe the.
Sath hee ye apke liye ,samaj ke liye garv kee bat ki ap ek army officer kee man hain.
Poonam
जिसने आर्मी लाइफ को जीया नही वह क्या जानेगा .:) बढ़िया पकड़ा
जवाब देंहटाएंरश्मि जी जानकर खुशी हुई आपका बेटा आर्मी में है मेरा सस्नेह नमन है देश के वीर को और
जवाब देंहटाएंआपको भी ...!
आदरणीय रश्मि जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी पोस्ट के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
नव वर्ष मंगल मय हो !
सादर
द्विजेन्द्र द्विज
आदरणीय रश्मि जी
जवाब देंहटाएंबहुत ही अछी पोस्ट के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
नव वर्ष मंगल मय हो !
सादर
द्विजेन्द्र द्विज
जिसके पैर ना फटे बेवाई, वो क्या जाने पीर पराई ।
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा की
जवाब देंहटाएंरश्मि की प्रभा
रूपी
देश के रक्षक
को शत नमन
--------------
ऐसे वीरों
और सपूतों की
बदौलत है
देश में अमन
अतिसुन्दर प्रस्तुति, साधुवाद !! मेरे ''यदुकुल'' पर आपका स्वागत है....
जवाब देंहटाएंFIRST I FEEL SORRY I DIDNOT ABLE TO TYPE MY VIEWS IN HINDI, REALLY I M SO SORRY FOR THAT AND TRYING TO LEARN HINDI TYPING,
जवाब देंहटाएंI M AGREE WITH YOUR SON SAYING THAT SIRF BATEE KARNE SEE KUCH NAHI HOGA,
AISEE HEE MERE KOO UN LOGO SEE KAFI DER THAK LARAI KARNI PARTI HAI, JO BOLTEE HAI KEE INDIA ME COROUPTION KAFI HAI BINA PAISE DIYEE KOI KAM NAHI HOGA,TAB MEE UNKO BOLTA HOO KE AGAR TUM PAISE DENA TOO BAND KAROO APNEE APP HE HO JAYEGEE,
DAILY USE MEE HEE LOG ITNA CORRUPTION DE DETEE HAI KEE JAISE ROAD KOO SAFF KARNE WALEE KOO GOVT SEE SALREY MILTI HAI, FIR USEE UM KUCH MONEY KYO BOLTEE HAI KEE LEE LO ORR JARA JYADA SAFI KAR DO,THIS IS OUR RIGHT TO SAY HIM TO WORK PROPRELY, MANY OTHER CASE LIKE POST MAN ON DEWALI, SALES TAX PERSONS,TELEPHONE LINE MAN ETC
AGAR HUM STICK HO FIR YEE APNEE APP HE BAND HO JAYEGEE, SIRF BOLNE SEE NAHI HOTA KEE DESH KA KUCH NAHI HO SAKTA, YEE DESH HAMARA HAI ORR HUME HE ISEE THEEK KARNA HAI, SO 99.9% I NEVER GIVE BRIBE TO ANY ONE CHAIYE MERE WORK KITNA BHEE LATE KYO NA HOO JAYEE,
THE TRUTH IS MY LIFE MOTIVE AND ALWYS TRY TO BE WITH TRUTH
hmm sahch kahti hai aap
जवाब देंहटाएंanubhav ghar baithe nahi hota
jiska koi apna nahi ho wo nahi jaanta ki yudh hai kya kya nuksaan hota hai
bahut achha jawaab diya aapke bete ne
आपकी यह पोस्ट पढ़कर मुनव्वर राना का एक शेर बहुत याद आया :
जवाब देंहटाएं" चलो चलते हैँ मिल-जुलकर वतन पर जान देते हैं
बहुत आसान है कमरे में वन्दे मातरम कहना "
Sabse pahle me us bete ki maa hone par aapko badhai deta hu, Aapne dridhnishchay kar apne bete ko desh ki seva karne ke liye samarpit kiya jiske liye pura desh aapka aabhari hain aur aajeevan rahega,
जवाब देंहटाएंRahi baat yuddh ki to yah ek jwalant masla hain desh ke har naagrik ke liye, ki yuddh hona chahiye ki nahi, ye baat jarur kahunga ki gandhiji ke kathnanusaar to aaj ke samay me desh ko chalaa nahin sakte ki koi ek gaal par maare to dusra bhi aage kijiye,
Dushmano ko sabak sikhana hi chahiye nahi to ek din hum apne desh me alpsankhyak bankar ghoom rahe honge,
Agar yuddh hi antim vikalp hota ho to jaroor karna chahiye aur mujhe fakr hain apne fouji bhaiyon par ki unhe sirf ek ishaara milne ki deri bhar hai, 101 ghante me dushman to apne pairo tale rond dalenge.
Magar haan, ye ek bahas ka mudda nahi hona chahiye, atisamvedansheel muddo ko iss tarah ki bewaqt mulakaton me nahi uchaalna chahiye,
Agar chote muh badi baat kar di ho to maaf kijiyega,
Aapke javaad ki pratiksha me,
Dilip Gour
Gandhidham
mrigank ki ye baat chu gayi man ko. bahut sahi baat kari usne.apne gharon mei baith ke sab bhashan dete hain, magar jo yudh ki seema per ho usae hi pata hai ki yudh kya hota hai......aur us maa ko bhi salaam jisne apne tukdae ko army join kerne se nahi roka......
जवाब देंहटाएंyoon to her maa ko apne bete se behad lagav hota hai, magar mrigank tumhare liyae kya hai, mujhae pata hai........
Your blog keeps getting better and better! Your older articles are not as good as newer ones you have a lot more creativity and originality now keep it up!
जवाब देंहटाएं