आंसुओं की नदी में
मैंने अपने मन को,
अपनी भावनाओं को
पाल संग उतार दिया है.........
आंसुओं के मध्य
जाने कितनी अजनबी आंखों से
मुलाक़ात हो जाती है-
फिर उन लम्हों को पढ़ते हुए
मेरी आँखें
उनके जज्बातों की तिजोरी बन जाती हैं.........
जाने कितनी चाभियाँ
गुच्छे में गूंथी
मेरी कमर में,मेरे साथ चलती हैं.....
और रात होते
मेरे सिरहाने,
मेरे सपनों का हिस्सा बन जाती हैं,
जहाँ मैं हर आंखों के नाम
दुआओं के दीप जलाती हूँ !
मैंने अपने मन को,
अपनी भावनाओं को
पाल संग उतार दिया है.........
आंसुओं के मध्य
जाने कितनी अजनबी आंखों से
मुलाक़ात हो जाती है-
फिर उन लम्हों को पढ़ते हुए
मेरी आँखें
उनके जज्बातों की तिजोरी बन जाती हैं.........
जाने कितनी चाभियाँ
गुच्छे में गूंथी
मेरी कमर में,मेरे साथ चलती हैं.....
और रात होते
मेरे सिरहाने,
मेरे सपनों का हिस्सा बन जाती हैं,
जहाँ मैं हर आंखों के नाम
दुआओं के दीप जलाती हूँ !
बहुत सुन्दर शब्द चित्रण।
जवाब देंहटाएंbhout acchi likhi hai aap ne.ya line jana kitni ajnabi
जवाब देंहटाएंक्या कहे आपको दीदी... U r Just amazing ...
जवाब देंहटाएंउन लम्हों को धन्यवाद ... जब यह जज्बात, यह भावनाए दुआये बन कर दीप प्रज्वलित कर गई ...
Bhawanao ki behtar avivyaqti.
जवाब देंहटाएंजाने कितनी चाभियाँ
जवाब देंहटाएंगुच्छे में गूंथी
मेरी कमर में,मेरे साथ चलती हैं.....
और रात होते
मेरे सिरहाने,
मेरे सपनों का हिस्सा बन जाती हैं,
जहाँ मैं हर आंखों के नाम
दुआओं के दीप जलाती हूँ !
bahut sundar bhav,sab ki bhavnao ka guchha saath liye sab ke liye dua mangi,bahut sundar.
वाह...चाभियाँ जिस तरह से सिरहाने आई....बहुत अच्छा लगा|
जवाब देंहटाएंआज अपरान्ह में ही मैंने चंद पंक्तियाँ लिखी ..सुन्दर इतेफाक है कि उसके भावः आपकी इस रचना से मिलते-से लगे ..
जवाब देंहटाएं--"रात रोज आती ...
जोगी का फेरा लगाती,
सिरहाने ...
सपनो के दीप जलाती,
तकिए के पास ....
उम्मीद का सेंक सुलगा,
नई सुबह की ...
आश जगा जाती"
jitni aapki tarif karun utna kam hai di aur mujhe kavita kya hoti hai ye hi nahi pata to kaise main kuchh tippni karun. ha par padane main kafi manbhawan hai.
जवाब देंहटाएंहर बार की तरह आपकी लेखनी ने जादू बिखेरा!
जवाब देंहटाएं*****EXCELLENT
जवाब देंहटाएं*****EXCELLENT
जवाब देंहटाएंdi...
जवाब देंहटाएंbas aap ke chabhiyo ke guchhe me ek chabhi ban kar jeena chahti hu,taki har raat aap ki dua mile ...aur agli subah suraj bhi aap ki duao se apni roshni prajwalit kare...
bahut bahut achee hai kavita
जवाब देंहटाएंDi aapke man, aapki bhawnaaon ki nauka ke ghat se aansuon k dariya main uthee lehren....iss tink ko bhi kinare ka rasta dikhatee hain....
जवाब देंहटाएंshaant hain fizayen duniya ki, ye haule se hi sahi, ek shor sa kar jaati hain....
ye duaaon ke dip hamare maarg darshak bhi hain....aur iss jazbaat ki tijori par hame bhi haque hai.....
sundartam kavita....apne hi andaaj main....
...Ehsaas!
विलक्षण शब्द संयोजन...अद्भुत रचना...वाह...
जवाब देंहटाएंनीरज
Rashmi ji ,
जवाब देंहटाएंApke dvara logon,duniya,samast vishva ke liye jo duayen dee jatee hain vo nishit hee faleebhoot hongee.sundar bhavpoorna kavita ke liye hardik badhai.
Sath hee meree santakloj ...kavita se kisee ke ansoo chhalak padenge..ye maine likhte samaya soacha bhee naheen tha.Itnee samvedansheelta,sahridayata..to adarneeya Pant ji kee kripa drishti se hee nikal saktee hai.
shubhkamnayen.
Hemant Kumar
बहुत ही सुंदर हमेशा की तरह
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत प्रभावशाली और यथाथॆपरक रचना है । आपकी पंिक्तयां हृदयस्पशीॆ है । भाव और िवचार के समन्वय ने रचना को मािमॆक बना िदया है । मैने अपने ब्लाग पर एक लेख िलखा है- आत्मिवश्वास के सहारे जीतंे िजंदगी की जंग-समय हो पढें और प्रितिक्रया भी दें-
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokvichar.blogspot.com
sabka dard samjh unke liye dua ek masoom dil hi kar skata hai
जवाब देंहटाएंisliye to
alwys love u
आंसुओं के मध्य जाने कितनी अजनबी आंखों से मुलाकात हो जाती है................
जवाब देंहटाएंजहाँ मैं हर आंखों के नाम दुआओं के दीप जलाती हूं..
ये जिस समय लिखा होगा आपने तब मन मे भावनाए कुछ इस तरहां उठी होंगी जिस तरहां कोई लहर उठती है किसी डूबती नय्या को बचाने के लिए...
जैसे कोई आँख नम होती है रोती आँखों को चुप कराने के लिए.....
जैसे कोई खामोशी खुशियों
का पैगाम लाती है...
आपके जैसा कोई नही लिखता ....
ये रचना संजीवनी है बहुत ही अच्छी है...
दुआएं ही प्रज्वलित होती है जहाँ,उन सपनों के मध्यम से ,भावनाओं को स्पर्श कर रही हूँ ..............
जवाब देंहटाएंप्रणाम स्वीकार करिए ....
बहुत ही सुंदर अभिवयक्ति
जवाब देंहटाएंaansuon ki nadi men bhavnaon ko paal sang utaarna..........bahut sundar roopak.
जवाब देंहटाएंaur ajnabi aankhon men bhi pahchaan bana lena...aur un ankhon ke naam duaon ka deep jalane ki baat....bahut khoobsurat...mann ki gahrayi tak pahunchane wali sundar rachna.
badhai
didi aapne bahut accha likha hai . itni achi kavita ke liye meri badhai sweekar karen.
जवाब देंहटाएंpls visit my blog for my poems. http://poemsofvijay.blogspot.com/
dhanyawad.
vijay
jahaaN maiN hr aankho ke naam
जवाब देंहटाएंduaao ke deep jlaati hooN...
jeena issi ka naam hai...
NAV VARSH KI SHUBHKAAMNAAYE
---MUFLIS---
Rashmiji,
जवाब देंहटाएंNaya sal apke jeevan men bhee dheron khushiyan le kar aye aur hamen apke madhyam se nayee rachnayen padhvata rahe is mangal kamna ke sath.
Poonam
बहुत ही सुंदर अभिवयक्ति!
जवाब देंहटाएंआपको तथा आपके पूरे परिवार को आने वाले वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
Ye aapki sabse acchi kavitao mein se ek hai
जवाब देंहटाएंpoori kavita ,bhavnao ka mishran hai ..
badhai ..
vijay
Pls visit my blog for new poems:
http://poemsofvijay.blogspot.com/