10 जुलाई, 2009

शुक्रगुजार !


दर्द ने मुझे तराशा है,
दर्द देनेवालों की
मैं शुक्रगुजार हूँ........
यदि दर्द ना मिलता
तो सुकून का अर्थ खो जाता,
खुशियों के मायने बदल जाते,
अपनों की पहचान नहीं होती,
गिरकर उठना नहीं आता,
आनेवाले क़दमों में
अनुभवों की डोर
नहीं बाँध पाती.........
मैं शुक्रगुजार हूँ,
उन क्रूर हृदयों का
जिन्होंने मुझे सहनशील होना सिखाया,
सिखाया शब्दों के अलग मायने
सिखाया अपने को पहचानना ........
तहेदिल से मैं शुक्रगुजार हूँ,
दर्द की सुनामियों की
जिसने मुझे डुबोया
और जीवन के सच्चे मोती दिए...........

43 टिप्‍पणियां:

  1. दर्द ने मुझे तराशा है,
    दर्द देनेवालों की
    मैं शुक्रगुजार हूँ........
    यदि दर्द ना मिलता

    रश्मि जी बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना है आभार.

    जवाब देंहटाएं
  2. sach kitni sahi baat keh di,dard denewalo ka shukrana,wahi to hame girkar uthana aur sehenshil hona sikhate hai,ye nazariya dil ko bahut hi achha laga.sunder rachana.

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रिय,
    प्रभा जी,
    आपकी अभिव्यकित एवं प्रस्तुतिकरण मनोभाव एवं एहसास का कोई
    जबाब नहीं ।

    जवाब देंहटाएं
  4. जिन्होंने इतना सब दिया और दे रहे है , उनके हम भी शुक्रगुजार है ... ILu ...!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत भावपूर्ण रचना है रश्मि जी...जीवन में विरोधाभास है तभी जीवन है...दुःख के अनुभव के बिना सुख की कीमत नहीं समझ में आती...शब्दों का चयन अद्भुत है...हमेशा की तरह.
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत खुब लिखा है। दिल को छू लेने वाला मर्म। बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. जैसे आग में tap कर sona प्रखर होता है......... वैसे दर्द में जी कर जीवन का सत्य समझ आता है............ जीवन से प्यार होता है......... बहूत ही सुन्दर अबुव्यक्ति है आपकी

    जवाब देंहटाएं
  8. adbhut kavita
    dard baantti hui kavita
    badhaai is umda kavita k liye.......

    जवाब देंहटाएं
  9. rashmi ji,

    shukrguzaar hun aapki ,aapne itani sundar abhivyakti padhane ke liye di...aur mujhe bhi un logon ko shukriya kahane ka avsar ..jinki wajah se mujhe bhi zindagi ke kuchh moti mil paaye....sundar prastutikaran ke liye badhai

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत खुब लिखा आप ने अगर दर्द ना मिलता तो सुख का एहसास केसे होता...सकुन का अर्थ केसे पता चलता....
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  11. मेरा भी यही मानाना है कि जिन्दगी मे दर्द का होना बहुत ही जरुरी है .............बहुत ही सत्य वचन है दर्द ही आपना और गैरमे फर्क करना पता करता है.........सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  12. एकदम एकदम एकदम सत्य.....

    लग रहा है जैसे मेरे ही ह्रदय के भावों को आपके शब्दों में पढ़ रही हूँ.....अतिसुन्दर रचना,सुखकारी चिंतन...

    जवाब देंहटाएं
  13. आपने बिलकुल सही लिखा है ...इन्ही सब की वजह से तो हम जिंदगी के सही मायने सीखते हैं

    जवाब देंहटाएं
  14. जीवन के प्रति धन्यवाद का यह भाव आस्था से ही उपजता है ।
    कविता की संवेदना से अत्यन्त प्रभावित हूँ । आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  15. DARD NE MUJHE TARASA HAI ..... DARD DENE WALON KA MAIN SHUKRA GUJAAR HUN .... KYA KHUBSURAT AUR PRERANAPRAD BAAT KAHI HAI AAPNE.... PURI RACHANAA HI APNI SARTHAKATA KO DARSHAA RAHI HAI....


    DHERO BADHAAYEE KUBUL KAREN...


    ARSH

    जवाब देंहटाएं
  16. दर्द भी कुछ रोगों की दवा होती है,इससे भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है...

    जवाब देंहटाएं
  17. सार्थक सोच की कविता
    बहुत खूब लिखा है :
    "तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ
    दर्द की सुनामियो की"
    बहुत सुन्दर

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुन्दर रचना है !
    तुम सितम ही करो करम ना करो,
    यूँ भी किसी की किस्मत बनती है||
    दिल का हाल समझता है वही,
    जिसके सीने पे चोट लगाती है||

    जवाब देंहटाएं
  19. रश्मिजी ,दर्द के प्रति सकारात्मक भाव और उससे भी अधिक दर्द देने वालों का शुक्रगुजार होना ,जीवन के प्रति आपके अनुरागमय दृष्टि कोण को उजागर करता है ! उत्कृष्ट विचार की सुन्दर अभिव्यक्ति है आपकी यह रचना !

    जवाब देंहटाएं
  20. दर्द को शुक्रिया कहने का ये अंदाजे-बयां दिल को छू गया..

    जवाब देंहटाएं
  21. बहुत सही लिखा है दीदी...बिलकुल मेरे मन की बात..!

    जवाब देंहटाएं
  22. bilkul apni si lagi ye kahani to.. but self creator ho to tolerable hote hai lakin waqt ya doosre ne diye ho to mushkil hota hai

    जवाब देंहटाएं
  23. सुन्दर तस्वीर के साथ सुन्दर रचना आभार !

    जवाब देंहटाएं
  24. सुन्दर तस्वीर के साथ सुन्दर रचना आभार !

    जवाब देंहटाएं
  25. kon kahta hai k mai dard se hari hu kyuki mai hu to dard bana na ..... mai na hoti to is dard k astitav k kaya mayne hote ....
    mai dard bhi hu
    mai dawa bhi hu
    y bat alag hai
    k kon muze kya mane
    y apni apni samaz hai
    bahut achchi post rashmi di

    जवाब देंहटाएं
  26. रश्मी प्रभा की जादुई लेखनी से निकली एक और दिल को छूती कविता..

    जवाब देंहटाएं
  27. Apki kavitayain bahut acchhi lagi aur haan jaankar bhaut bhahut acchha laga ki apka naam-karan sanskar late shri Shumitra Nandan Pant jee ne khud kiya hai.
    You are really lucky, bas niranntar kavitayain likhti rahiye.
    Aur haan, is bande ne bhi thoda bahut likhna shuru kiya hai, aur apka markdarshan chahta hoon.
    Prabhatsardwal@blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  28. दर्द की इतनी सुन्दर परिभाषा के लिए धन्यवाद.

    जवाब देंहटाएं
  29. रश्मि जी ,
    दर्द ही तो इंसान को समझने का मौका देता है ...दर्द ही तो हमारे भीतर जीने की ललक बढ़Iता है .
    अच्छी रचना ...
    हेमंत कुमार

    जवाब देंहटाएं
  30. सही कहा आपने, यदि खुद पर विश्वास दृढ हों और सोच सकारात्मक हों तो विपरीत परिस्थितिया भी इन्सान को तोड़ नहीं पाती वलिक पहले से भी ज्यादा मजबूती से स्थापित कर जाती है | एक सच्ची कविता |

    जवाब देंहटाएं
  31. दर्द ने मुझे तराशा है,
    दर्द देनेवालों की
    मैं शुक्रगुजार हूँ........

    bahot sahi kaha..unhone hi to jindgi jina sikhai hai hame....

    जवाब देंहटाएं
  32. दर्द ने मुझे तराशा है,
    दर्द देनेवालों की
    मैं शुक्रगुजार हूँ........

    ये दर्द न होते तो
    हम और आप यहाँ न होते ...!!

    जवाब देंहटाएं
  33. यथार्थ के बहुत करीब लगी आपकी रचना...सच में दर्द के बगैर जिन्दगी निरश ही तो है....मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है...

    जवाब देंहटाएं
  34. वाकई में दर्द होने भी जरूरी हैं......... नही तो ख़ुशी के कोई मायने ही नही रह जायेंगे........

    जवाब देंहटाएं
  35. आदरणीय रश्मि जी,
    दर्द को भी अIपने बहुत खूबसूरती के साथ प्रस्तुत किया है....
    पूनम

    जवाब देंहटाएं
  36. दर्द ही ख़ुशी को पहचान देते हैं..खुद के सब से करीब इंसान दुःख में ही आता है..खुशियों में तो खुद को भूल ही जाता है...भावपूर्ण कविता.

    जवाब देंहटाएं
  37. Rashmi ji aapne jo kavita likhi hai wo kabile tareef hai.
    Yah atal satya hai ki jab aapko thokar lagti hai tabhi aapko us avaroodh ka gyaan hridaya ki gahraiyo tak hota hai.
    Waise to mera jivan anubhav itna bada nahi parantu jitna bhi hai utne main he maine iss vishay vastu ka anubhav kiya hai.
    Shayad ise liye main iss kavita k piche chipe vishay vastu se rubru ho saka.
    Apani iss sargarbhin amulya kavita ko hamare sath batna bahut achha laga .
    Iss aditiya rachna k liye sahridaya dhanyawaad.

    जवाब देंहटाएं
  38. यदि दर्द ना मिलता
    तो सुकून का अर्थ खो जाता,

    .....gam ka khzanaa tera bhi hai mera bhi.....

    bahut badi daulat hai.....ye gam...

    जवाब देंहटाएं

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...