एड़ी उचकाकर चाँद को छूना चाहा
चाँद ने कहा - ' एक सीढ़ी लगा लो'
एक सीढ़ी लगाकर नीचे देखा
बचपन के मोहक मन को बड़ा मज़ा आया …
फिर चाँद को देखा, हाथ बढ़ाया
चाँद के इर्द गिर्द तारे टिमटिमाये
'एक सीढ़ी और'
दूसरी सीढ़ी पर पाँव रखते
अल्हड़ हवा का झोंका
मेरे कानों में सोलहवें बसंत की कहानी कहने लगा
नीचे देखूँ या ऊपर
हर सू गुलमोहर से भरा ….
लहराती लटों को संभाल
फिर चाँद को देखा
चाँदनी ने मुझे आगोश में भर लिया
हौले से कहा - 'एक सीढ़ी और …'
……
तीसरी सीढ़ी दुनियादारी के घात-प्रतिघातों से भरी थी
हर प्यादे वजीर बने
शह-मात की बाज़ी खेल रहे थे
घबराकर चाँद को देखा
फिर से एड़ी उचकाने की चेष्टा की
चाँद ने प्यार से छुआ
कहा - 'एक सीढ़ी और …'
गीता सार अर्थवान हुआ -
"जो हुआ अच्छा हुआ जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा होगा,
तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो? तुम क्या लाये थे जो तुमने खो दिया?
तुमने क्या पैदा किया था जो नष्ट हो गया? तुमने जो लिया यही से लिया,
जो दिया यही पर दिया, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, कल किसी और का होगा ... "
'एक सीढ़ी और …' :)
जवाब देंहटाएंteen shabdo ne dil ko chhoo liya didi :)
क्या बात है दी ....जिंदगी को पाने की इच्छा भी और गीता सार भी... कि जिंदगी ना मिलेगी दुबारा
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
वाह रश्मिजी वाकई जीवन ऐसा ही है .....हर पायदान पर एक नया अनुभव ....एक नयी ख़ुशी...एक नया चाँद.....
जवाब देंहटाएंजो दिया यही पर दिया, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, कल किसी और का होगा ... "
जवाब देंहटाएंbeshaq yahi jivan ka mool mantr hai!
bahtu hi sundar!DI!
यही शायद जीवन है...आकांक्षाओं की सीढ़ी दर सीढ़ी चढ़ते जाना...पर मिलता वही है जो प्रारब्ध है...बहुत गहन और सशक्त प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंएक सीढ़ी और...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविता है दी......
सादर
अनु
आपकी कविताए पढ़ना हमेश सुखद होता है , ले में लौटने के लिए बधाईयां और सासू माँ बनने के लिए भी.
जवाब देंहटाएंजीवन अग्रसर है ....
जवाब देंहटाएंगीता साथ है ....
राह की मुश्किलें आसान हैं ....!!
गहन अभिव्यक्ति दी ।
कुछ अच्छा पाने की चाहत में अगले पायदान पर चढ़ते जाना ही जीवन है...सब कुछ अच्छा ही हो यह जरूरी नहीं...उस वक्त गीता ज्ञान बहुत राहत पहुँचाता है
जवाब देंहटाएंगीता ज्ञान ही जीवन में हर समस्या का समाधान करने में समर्थ है .
जवाब देंहटाएंlatest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
आपने लिखा....हमने पढ़ा....
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें; ...इसलिए शनिवार 10/08/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.... आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है ..........धन्यवाद!
सारगर्भित!!!
जवाब देंहटाएंमोह निर्मोह, आसक्ति विरक्ति, राग विराग की अद्भुत व्याख्या और अभिव्यक्ति की है रचना में ! रश्मिप्रभा जी बहुत दिनों के बाद आपको पढ़ कर अपार संतुष्टि हो रही है ! आभार आपका !
जवाब देंहटाएंसच है ..
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर व्याख्या की है कामनाओं की ..और गीता की बधाई
जवाब देंहटाएंचाँद तक जाने वाली सीढ़ी हम सब चाहते हैं ....पर धरती से नाता न टूट जाये ये भूलने लगते हैं
जवाब देंहटाएंदोनों का सुंदर संतुलन देख मन प्रसन्न हो गया
सादर ....
एक सीढ़ी और...
जवाब देंहटाएंऔर मैं राधा हो गई
जै श्री कृष्ण।
jeevan ka sabse achchha yahi arth hai aur phir kuchh khone aur paane ka hisab yahi khatm ho jata hai to phir man tatasth hokar shanti se jeeta hai .
जवाब देंहटाएंजो दिया यही पर दिया, जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, कल किसी और का होगा ... "yahi shaswat sach hai.....
जवाब देंहटाएंNice rashmi ji
जवाब देंहटाएंबहुत उत्कृष्ट प्रस्तुति..गीता का दिव्यज्ञान जिस अंदाज में दिया है वो लाजबाव है..धन्यवाद।।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंएक स्वप्नमयी कविता
मुझे लगा ब्लॉगिंग की बात है , जिंदगी भी तो ऐसी ही !
जवाब देंहटाएंसारगर्भित रचना के साथ फिर से आपको ब्लॉग पर सक्रीय देखकर अच्छा लगा :)
जवाब देंहटाएंचाँद ऐसे ही आकांक्षायें बढ़वाता रहता है, सीढ़ी लगवाता रहता है, सुन्दर पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंwaahhhh umda rachna .. ek siddi aur .... cahto ka akankhsayo ka ... man ko cu gayi .. naman
जवाब देंहटाएंइच्छाओं का अंत नहीं .... जीवन में आगे बढ़ने के लिए एक सीढ़ी और वाला हौसला ही चाहिए ...
जवाब देंहटाएंbahut khub
जवाब देंहटाएंसीड़ी दर सीड़ी ... जीवन भी तो ऐसा ही है ... गीता का नियम शाश्वत है .. सार्थक है ... जीवन का चक्र है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ....
जवाब देंहटाएं"जो हुआ अच्छा हुआ जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो होगा वो भी अच्छा होगा."
जवाब देंहटाएंकाश यह सच होता लेकिन फिर भी जीवन में आगे बढ़ना ही है और ना जाने कौन सी सीढियां चढनी अभी बाकी हैं.
बहुत दिनों बाद आज आपकी कोई रचना पढ़ी वाह वाह कितने सरल भाषा में आपने जीवन दर्शन करा दिया सच मज़ा आ गया... :)
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंआशावान रहूँ शायद चाँद कभी मेरा भी होगा
जवाब देंहटाएंसीढी़ उधार में ले लूँगा उस वक्त :)
जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, कल किसी और का होगा ... "
जवाब देंहटाएंगहन सच्चाई .....