मुझे पंख चाहिए
वैसे पंख -
जो मन के पास होते हैं
और वह अपनी जगह से हमेशा कहीं और होता है …
मैं भी घूमना चाहती हूँ
कहाँ ? इस पर क्या सोचना,
सीमित ही है सबकुछ
फिर भी,
सुबह से रात तक की परिक्रमा कर लूँ
तो मन के पंखों को कुछ आराम मिल जायेगा !
मन की आँखों को
या उसके आने को
हर कोई नहीं देख पाता
न समझ पाता है
और अगर देख लिया
समझ लिया
तो निःसंदेह मानसिकता की बात हो जाएगी !
आना-जाना सत्य के आधार पर प्रमाणित होता है
यूँ महीनों,सालों मन से कहीं रह लो,
जी लो
- कोई नहीं मानता
प्रमाण चाहिए
और प्रमाण के लिए मुझे असली पंखों की ज़रूरत है
हाँ,हाँ - परियों वाले पंख !
…………………।
अब प्रश्न उठेगा कि मिलते कहाँ हैं
तो इस बात से तो सभी भिज्ञ हैं
कि दुनिया आश्चर्यों की मिसाल है -
कहीं किसी अनोखे झरने के पास परियां रहती होंगी
पंखों का अद्भुत मेला सजाये
हमें बस कोलम्बस,वास्कोडिगामा होना है
फिर मन से शरीर की उड़ान आसान हो जाएगी
पर !!! ……….
इसमें प्रत्यक्ष गवाह की कठिनाइयां पैदा होंगी !!!
परियों की सुरक्षा ख़तरे में पड़ जाएगी …
समझ में नहीं आता कि अपनी चाह को क्या नसीहत दूँ !
पंख तो मुझे चाहिए
तो एक तथ्य उभरा है दिमाग में
कि पाप हो या पुण्य
तर्क से दोनों को तब्दील किया जा सकता है
वचनं किं दरिद्रतम !
तर्क से पुण्य पाप
पाप पुण्य
होता है न ?!
तो परियों पर आफ़त आ जाने पर कह देना है
"होनी काहू बिधि ना टरै"
और गवाह की ऐसी की तैसी
वह तो यूँ भी बिकाऊ ही होता है
………।
तो सम्पूर्ण कहे का सार है - मुझे पंख चाहिए
उड़ने को आसमान और सशक्त पंख, आवारगी कहीं भी उड़ जाने की।
जवाब देंहटाएंgar mil jaye pankh kahi , gar milte ho pankh kahun ...mujhe bhi chahiye
जवाब देंहटाएंमुझे भी चाहिए....
जवाब देंहटाएंचाहे जैसे भी....
:-)
सादर
अनु
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंsundar manobhaav....
जवाब देंहटाएंpar kuchh meree bhee sun lo
मैं खुद के बनाए
पिंजरे में बंद पंछी सा हूँ
जो पिंजरे की
जालियों के पार
देख तो सकता है
पिंजरे के
नियम कायदों से
मन में छटपटाहट
भी होती है
कई बार खुद को बेबस
महसूस करता हूँ
स्वछन्द उड़ना चाहता हूँ
पर पिंजरे से
इतना मोह हो गया
कोई दरवाज़ा खोल भी दे
तो चाह कर भी
उड़ नहीं पाऊंगा
आप तो विचारों के पंख से उड़ान भर लेती हैं .... सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंपंख मिल जायेंगे ..आशा और विश्वास भरे पंख !
जवाब देंहटाएंशुभकामनाये!
जो मन के पास होते हैं
जवाब देंहटाएंन समझ पाता है
कोई नहीं मानता
कि दुनिया आश्चर्यों की मिसाल है
कि पाप हो या पुण्य
तर्क से दोनों को तब्दील किया जा सकता है
और गवाह की ऐसी की तैसी
वह तो यूँ भी बिकाऊ ही होता है
तो सम्पूर्ण कहे का सार है - मुझे पंख चाहिए
आपको मिल जाये तो पता मुझे भी बताइएगा
मुझे भी जरूर पंख चाहिए
!!
मन की उड़ान तो सबसे तेज़ है ....पलों में मीलों की दूरी और क्षणों में सदियों का फासला तै कर लेता है ....पंख तो अपने आप लग जाते हैं बस सिर्फ डोर को ढील देदो देखो ..मन बिना पंखों के ही परवाज़ पा जाता है .....
जवाब देंहटाएंbahut hi sunder bhavnain hain.
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है ! पंखों के इस अद्भुत खजाने को ढूँढने के लिये कोलम्बस और वास्कोडिगामा बनने के गुर कौन सिखायेगा यह भी तो बताइये ! पंख तो मुझे भी चाहिये ! बिलकुल असली वाले ! मन को सहला कर जागृत करती प्यारी सी रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मन के भावों की अभिव्यक्ति ,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : पाँच( दोहे )
बहुत सुंदर मन के भावों की अभिव्यक्ति ,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : पाँच( दोहे )
मन की उड़ान तो सबसे तेज़ है ....पलों में मीलों की दूरी और क्षणों में सदियों का फासला तै कर लेता है ....पंख तो अपने आप लग जाते हैं बस सिर्फ डोर को ढील देदो देखो ..मन बिना पंखों के ही परवाज़ पा जाता है .....
जवाब देंहटाएंसम्पूर्ण कहे का सार लिए जा रहे हैं इस पन्ने पर बार बार लौटने के लिए!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावयात्रा!
jarur milenge tahedil se mangiye ...aamin ....
जवाब देंहटाएंsundar kavita ..mujhe bhi chahiye pankh
जवाब देंहटाएंपंख
जवाब देंहटाएंपाने को हमारा मन भी बहुत ललचाता है!
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपको पंख मिलें आमीन !
पंखों का अद्भुत मेला सजाये
जवाब देंहटाएंहमें बस कोलम्बस,वास्कोडिगामा होना है
फिर मन से शरीर की उड़ान आसान हो जाएगी
जहाँ शब्दों में इतनी सशक्तता हो, विचारों में ऐसी बुलंदगी हो तो हर एक सोच कब क्षितिज़ के पार जा पहुँचती है पता ही नहीं चलता ....
मन की उडा़न भरने के लिए आप से हैसलों का पंख मुझे भी चाहिए..
जवाब देंहटाएंवैसे पंख -
जवाब देंहटाएंजो मन के पास होते हैं
और वह अपनी जगह से हमेशा कहीं और होता है …
लाजवाब |
मुझे पंख भी चाहिए.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति। ।
जवाब देंहटाएंwahh lajawab prastuti ... pankh chahiye har kisi ko man ke sath ud chale jo ..
जवाब देंहटाएंsubhkamnaye .
बहुत ही सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं:-)
मुझे पंख चाहिए..बेहद खूबसूरत रचना..
जवाब देंहटाएंजादुई अहसास लिए ये पंख ...
जवाब देंहटाएंbhaut hi khusurat aur sarthak abhivaykti......
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता.
जवाब देंहटाएंhttp://yunhiikabhi.blogspot.com
acchi lagi kavy roop mein bodh katha.
जवाब देंहटाएंEk Sachhi प्यार की कहानी Ka Varnan Is Kavita Mein Hai. Being in love is, perhaps, the most fascinating aspect anyone can experience.
जवाब देंहटाएंThank You.
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" गुरुवार २६ मई 2016 को में शामिल किया गया है।
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमत्रित है ......धन्यवाद !