एक लम्बी सी चिट्ठी लिखना चाहती हूँ
बहुत कुछ लिखना चाहती हूँ
पर कोई ऐसा नाम जेहन में नहीं
जिससे धाराप्रवाह सबकुछ कह सकूँ …
चीख लिखूँ
डर लिखूँ
सहमे हुए सन्नाटे लिखूँ
सूखे आँसुओं की नमी लिखूँ
बेवजह की खिलखिलाहट लिखूँ
लिखूँ आँखों में उतरे सपने …
सोच रही हूँ नाम
कौन होगा वह
जो बिना किसी प्रश्न,तर्क कुतर्क के
पढ़ेगा मेरी चिट्ठी
और समझेगा !
कुछ दूर चलकर ही
सुनने-समझने की दिशा बदल जाती है
क्योंकि हर आदमी
अपना प्रभावशाली वक्तव्य सुनाना चाहता है !
चिट्ठी छोटी सही
छोटा सा मेसेज ही सही
पढ़ने की फुर्सत नहीं
पढ़ने लगे,सुनने लगे
तो सलाह-मशविरे बीच से ही शुरू
- पूरा कोई नहीं पढता
सुनना तो बहुत दूर की बात है -
ज़िन्दगी स्केट्स पर है
यह काम,वह काम
यह ज़रूरत,वह ज़रूरत
भावनाओं को समझने की बात दूर
कोई सुनता भी नहीं
भावनाएँ - बकवास हैं !
फिर प्रश्न तो है न कि
अपनी बकवास किसे सुनाऊँ ?!
अपनी परछाई के अलावे किसी के पास समय नहीं
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंइसीलिये तो
वो सबकुछ
नहीं लिखा
जाता है
जो उबल कर
बाहर आता है
बचा खुचा
बाद में परोस
दिया जाता है
जिसे वैसे भी
कोई नहीं खाता है
सोच में चिट्ठी
जरूर होती है
खाली कागज
लिफाफे में
एक बंद करने
के बाद बस
पता लिखकर
छोड़ दिया
जाता है :)
वाह, क्या डूब के लिखा है ! और सत्य लिखा है , खो गया पढ़ते पढ़ते :)
जवाब देंहटाएंवैसे चलो हम तैयार हैं , सुनाओ ?
ढेरों मंगलकामनाएं !!
:)
हटाएंहमें भी इंतज़ार रहेगा आपकी चिट्ठी का ! तर्क करने की अपेक्षा खामोश होकर सुनने से भी बहुत से समाधान मिल जाते हैं सुनने वाले को भी और सुनाने वाले को भी ! तो सोचिये मत जल्दी से पोस्ट कर दीजिये ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंएक मिनट भी नहीं लगा यह पढ़ने में। लिखिये..खूब लिखिये। :)
जवाब देंहटाएंभावनाएं यदि बकवास है , तो बकवास सुनाने के लिए भी कुछ सोचना चाहिए क्या , सुना ही देनी चाहिए ! :)
जवाब देंहटाएंजिस देश में सभी समझदार हो जाएं वहां मानवमूल्यों का ग्राही मिलना मुमकिन नहीं है...शुक्र है ब्लॉग है और कुछ अनजाने-अनचीन्हें लोग हैं...जो संवेदनाओ को जीते हैं...आप लिखती रहिये हम बैठे हैं इधर...एक-एक शब्द पढने और गुनने के लिये...
जवाब देंहटाएंइंतज़ार रहेगा आपकी चिट्ठी का !
जवाब देंहटाएंकुछ बातें सुनने मे बहुत अच्छी नहीं होती मगर सुननी पड़ती हैं
जवाब देंहटाएंवाह, सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंजो खुद को पढ़ सकता है वही आपकी चिट्ठी पढ़ पायेगा, जो खुद की आवाज सुनने में सक्षम है वही आपकी आवाज भी सुन पायेगा बिना प्रश्न,तर्क,कुतर्क के, निसंकोच चिट्ठी लिख कर तो देखिये :)
जवाब देंहटाएंज़रूर
हटाएंहम हैं ना दीदी!! बेझिझक हमको सुनाइये... हमको तो वैसे भी दुनिया इमोसनल फूल सम्झता है.. आप बस सम्बेदना से भरा चिट्ठी अपने छोते भाई के नाम लिख दीजिये.. एकीन मानिए, आपके आँसू हमारे आँखों में दिखाई देंगे और आपकी मुस्कान में हमारा ठहाका!!
जवाब देंहटाएं:)
हटाएंकैसे मन की पीर लिखूँ।
जवाब देंहटाएंअपने मन से बड़ा कौन है साथी .. उस इश्वर से ज्यादा किसका साथ ... असल पीर तो वाही सुन और दूर कर सकते हैं .. गहरा अर्थ लिए ...
जवाब देंहटाएंफिर प्रश्न तो है न कि
जवाब देंहटाएंअपनी बकवास किसे सुनाऊँ ..... बात तो सही है .. जो ना समझे उसके लिए तो अपनी बात बकवास ही हो जाती है ..
फिर प्रश्न तो है न कि
जवाब देंहटाएंअपनी बकवास किसे सुनाऊँ ..... बात तो सही है .. जो ना समझे उसके लिए तो अपनी बात बकवास ही हो जाती है ..
बस ऐसे में ही किसी हुमसोज़ ....किसी हम खयाली की ज़रुरत महसूस होती है .....एक सच्चे दोस्त की ..जो कहने से पहले ही मेरा दर्द जान ले ......
जवाब देंहटाएंएक चिट्ठी स्वयं को लिखी जाये | बहुत सुन्दर |
जवाब देंहटाएंमेरे नाम सब लिख डालिए .....वादा रहा कभी निराशा नहीं होगी
जवाब देंहटाएंचिट्ठी ....
जवाब देंहटाएंकितना अपनापन है ना इस शब्द में, प्यार, अपनापन, दुलार, रूठना , मनाना सारी भावनाओं की पोटली जैसी। लिखिए तो सही फिर देखिये ये कैसे अपना नाम पता ठिकाना ढूंढ लेगी … बहुत सुन्दर भाव
kuch door chalkar hi sun ny or samjhany ki disha badal jati h............sahi kaha aapny di har aadmi chahta h keval usy suna jaye.....................
जवाब देंहटाएंकिसे कहूँ कुछ भी अपना... अद्भुत भावाभिव्यक्ति... जैसे हममें से बहुतों के मन की बात आपने लिख दी हो. बहुत बधाई.
जवाब देंहटाएंBahut hi achha post. didi aapne bahut hi achhe tarike se sadharan words me samjhaya hai* thank you so much*
जवाब देंहटाएंaap hamare blog par v jarur visit kijiyega hame bahut hi khushi hogi*
thanks again*
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अभिव्यक्ति का शीर्षक निश्चित रूप से विचार करने योग्य है .... परन्तु अब तो खुद ही सोच में होगीं आप की आखिर किसे ..... लिखें ?
जवाब देंहटाएंक्यूँकि प्रतिक्रियाओं में ज़ाहिर हो रहा है कितने लोग प्रतीक्षारत हैं ..... फिर देर किस बात की, लिख डालिये एक ख़त खुद के नाम ही ..... सुकून मिलेगा और ये प्रश्न भी नहीं रहेगा
आधा काम तो अभिव्यक्ति ने कर दिया है
सादर
शायद हमारी इसी बेचैनी के लिये ब्लॉग का जन्म हुआ है..और आपके दिल के जज़्बात सुनने के लिये ब्लॉग जगत पर कई सुधी पाठक मौजूद हैं..सुंदर कविता।।।
जवाब देंहटाएंBahut khub
जवाब देंहटाएंsend free unlimited sms anywhere in India no registration and no log in
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