हम जो बोलते हैं
उसे तौलते भी जाते हैं
मन इंगित करता रहता है
-ये है सही और ये गलत
गलत को दिखाती मन की ऊँगली
हम धीरे से हटा देते हैं
या फिर तर्कों से भरा ज़िद्दी अध्याय खोल लेते हैं
अपनी बात रखते हुए
सही को काटते हुए
अंततः हम वहाँ पहुँच जाते हैं
जहाँ से लौटना अपमानजनक लगने लगता है !
तटस्थता में हम घुटने लगने लगते हैं
'यह मेरी गलती थी' - इसे कहने में वर्षों लगा देते हैं
जानते हुए भी
कि इसकी घुटन हमें ही जीने नहीं दे रही !!
गलती का एक रास्ता भारी पड़ता है
फिर क्यूँ दोराहे, चौराहे बनाना ?
ज़िद्द की कोई उम्र नहीं होती
वह तो वही दम तोड़ देती है
जहाँ वह जन्म लेती है !
मृत भावनाओं को पालने से
उसकी राक्षसी भूख मिटाने से
कुछ नहीं मिलता
सिवाए बंजर जमीन के
और वहाँ कोई मृगतृष्णा भी नहीं होती
सारे जीवनदायी भ्रम तक खत्म हो जाते हैं
साँसें चलती हैं
तो जी लेते हैं
पर ये जीना भी कोई जीना है !!!
अपनी गलती मानने की गलती कहाँ कर पाते हैं .......... !!
जवाब देंहटाएंजी रहे हैं जीने का अर्थ जाने बिना....बहुत सटीक चिंतन और उसकी उत्कृष्ट अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंज़िद्द की कोई उम्र नहीं होती
जवाब देंहटाएंवह तो वही दम तोड़ देती है...बहुत सटीक...
विचारणीय बात.....
जवाब देंहटाएंउन्हें ये ज़िद थी कि हम बुलाते/ हमें ये उम्मीद वो पुकारें
जवाब देंहटाएंहै नाम होठों पे अब भी लेकिन आवाज़ में पड़ गयी दरारें!
ये अहम है, ज़िद्द है जो दीवर खड़ी कर देता है, दूरियाँ पैदा करता है!!
बहुत सुन्दर ढंग से आपने इसे रेखांकित किया है!!
अपनी गलती मानने जैसा बड़प्पन होना आसान कहाँ है ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भाव!!
सादर
अनु
पर जीना है और इसी तरह जीना है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
धीरे से ऊँगली का हटाना ही तो अपनी आग में घी जैसा है..
जवाब देंहटाएंसिर्फ साँसों का चलना , सुबह और शाम का ढलना ही तो जीवन नहीं , कई बार एक पूरी उम्र समझते नहीं है लोग !
जवाब देंहटाएंखुद की गलती होते हुये भी गलती न मानने की कोशिश करना, और उसके फेवर मे सारे तर्क जुटाकर उन तर्कों के सहारे मै ही सही दूसरा गलत होने का ज़ी जान लगाकार सेल्फ डिफेन्स करना, जिद्द ऐसी ही एक चीज है जिससे अहंकार को पोषण मिलता है, खुद की गलती मान लेना उतना सरल नही है मन को, क्योंकि मान लेने मे उसकी हार है और मन हर हाल मे जितना चाहता है !
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर खूबसूरत कथ्य...
जवाब देंहटाएंगलती माने ...... ये कहाँ सीख पाते है हम जीवन भर
जवाब देंहटाएं.विचारणीय ..बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंसही कहा...विचारणीय प्रश्न है ये।।।
जवाब देंहटाएंवाजिब प्रशन है ... प्रभावी तरीके से रचना में उतारा है आपने ...
जवाब देंहटाएंअहंकार ही यह सब करवाता है..शरण में आये बिना यह गलता नहीं है..
जवाब देंहटाएंhow easily you put question and solution in initial 10 line .
जवाब देंहटाएंSabse jyada agar himmat lagti hai to sach ko accept karne ke liye
जवाब देंहटाएंsend free unlimited sms anywhere in India no registration and no log in
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sahi kaha di
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachna