05 जुलाई, 2014

लड़की है न !






उसे सुनते हुए लगेगा
- वह विद्रोही है
बोलते हुए वह झाँसी की रानी दिखाई देती है
पर इस सुनाई - दिखाई से परे
उसकी बौखलाहट से परे
उसकी असंयत आंतरिक स्थिति के कारण से सब उदासीन हैँ
……… लड़की है न !
 लड़की प्राचीन युग की हो
मध्यकाल की हो
आधुनिकता की सहचरी हो
उसके आस-पास सबक की बस्तियाँ बसी हुई हैं
चेहरे पहचाने हुए हैं !
वही चेहरे
जो कहते हैं -
"तुम्हारा एक वजूद है
अपना अस्तित्व बनाओ - वह ईश्वर की देन है
हारना तुम्हारी किस्मत नहीं
तुम्हारी सोच तुम्हारी किस्मत है"  …
हादसों के बाद
विवाह के बाद
बेटी की माँ बनने के बाद -
    यही चेहरे सख्त हो जाते हैं !
भाषा बदल जाती है !
रस्सी पर नट की तरह चलने के मशविरे
गिरने पर उलाहने
उदाहरणों की भरी बोरियाँ उलटने मेँ
ये चेहरे
अपने को सर्वज्ञानी मान लेते हैं
अपने पूर्वपदचिन्हों को बेदाग बताते हैं  …

सामने जो लड़की है
उसे मान लेना होता है
वर्ना - आत्महत्या,अर्धविक्षिप्तता के रास्ते खुले हैं
और इस विकल्प में भी उपदेश
क्योंकि ....... आखिर में तो वह लड़की है न !

22 टिप्‍पणियां:

  1. रस्सी पर नट की तरह चलने के मशविरे
    गिरने पर उलाहने
    उदाहरणों की भरी बोरियाँ उलटने मेँ
    ये चेहरे
    अपने को सर्वज्ञानी मान लेते हैं

    सच .... हमारे परिवेश का कटु सच .....

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत कुछ कड़वा है अभी भी और सत्य है ।

    जवाब देंहटाएं
  3. लगता नहीं कि अब के ज़माने में भी समाज ऐसे सच सकता है, परन्तु यही यथार्त है! दुःख होता है, परन्तु समाज की इन अवधारणाओं को बदलने का कर्त्तव्य भी तयो हमारा हीं है ना, कब तब केवल विलाप होगा!

    जवाब देंहटाएं
  4. सच है...दुखद है मगर...वाकई सच है..
    बेहद सार्थक रचना..

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर सार्थक रचना
    एक छोटा सा अनुरोध,अगर उचित लगे तो मेरे ब्लॉग के लिंक को आपके ब्लॉग में जोड़ने का कष्ट करें

    जवाब देंहटाएं
  6. लड़ने का हौसला साथ न हो तो बेटे की माँ की भी दुर्गति हो जाती है
    हमेशा की तरह अद्धभुत अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  7. एक कविता, जिसका प्रवाह और प्रभाव एक दूसरे को पूर्णता प्रदान कर रहा है... सन्देश न सिर्फ स्पष्ट है, बल्कि आँखों में आँखें डालकर अभिव्यक्त हो रहा है... शब्दों का उलझाव बिल्कुल नहीं और सीधी बात कहने में पूरी तरह सक्षम है यह कविता..
    कल फ़िल्म "बॉबी जासूस " देखते हुये उसका एक सम्वाद कि वो बुरी लड़की नहीं है - बस अलग है, दिल को छू गया... और आख़िर में बाप-बेटी का सम्वाद सारे अवसाद पीछे छोड़ गया.
    बात आपकी कविता की दीदी... हमेशा की तरह ज़बरदस्त!!

    जवाब देंहटाएं
  8. उसके आस-पास सबक की बस्तियाँ बसी हुई हैं
    चेहरे पहचाने हुए हैं !
    ........... फिर भी वो पराजित हो जाती है
    बेहद सशक्‍त भाव

    जवाब देंहटाएं
  9. कटु सत्य को लिखा है ... अपने समाज के परिवेश को लिखा है ...
    सच की खुरदरी धरातल का एहसास कराती है रचना ...

    जवाब देंहटाएं
  10. सशक्‍त भाव लिए अद्धभुत रचना..

    जवाब देंहटाएं
  11. हर संघर्ष उसे और सबल बनाता है...आज लडकियाँ इस बात को साबित कर रही हैं

    जवाब देंहटाएं
  12. ओह। जो सदियों से नहीं बदला क्या अब बदलेगा ? :( . उम्मीद तो है सवेरा होगा जरूर।

    जवाब देंहटाएं
  13. उसे सुनते हुए लगेगा
    - वह विद्रोही है
    बोलते हुए वह झाँसी की रानी दिखाई देती है
    पर इस सुनाई - दिखाई से परे
    उसकी बौखलाहट से परे
    उसकी असंयत आंतरिक स्थिति के कारण से सब उदासीन हैँ
    ……… लड़की है न !
    बिलकुल सत्य कहा है !

    जवाब देंहटाएं
  14. सामने जो लड़की है
    उसे मान लेना होता है
    वर्ना - आत्महत्या,अर्धविक्षिप्तता के रास्ते खुले हैं
    और इस विकल्प में भी उपदेश
    क्योंकि ....... आखिर में तो वह लड़की है न !


    सही कहा

    जवाब देंहटाएं
  15. आखिर क्यूँ और कब तक ? क्यूंकि आखिर में तो वह लड़की है न ! सच कहा आपने एक लड़की के लिए ज़माना कभी नहीं बदलता......फिर चाहे वो कोई भी युग क्यूँ न हो।

    जवाब देंहटाएं
  16. वही चेहरे
    जो कहते हैं -
    "तुम्हारा एक वजूद है
    अपना अस्तित्व बनाओ - वह ईश्वर की देन है
    हारना तुम्हारी किस्मत नहीं
    तुम्हारी सोच तुम्हारी किस्मत है" …
    हादसों के बाद
    विवाह के बाद
    बेटी की माँ बनने के बाद -
    यही चेहरे सख्त हो जाते हैं !
    भाषा बदल जाती है ! … ek-ek shabd sach …. kathni aur karni me bahut fark hota hai … badalti huyi paristhitiyon me apni apni suvidha ke hisab se updeshon kii bhasha bhi badal jati hai… logon ke swar aur tevar, vichardhara sab badal jati hai …. kyunki wo bol sachche jo nahin hote, ranga siyar aakhir kab tak apni asliyat chhupayega…..

    जवाब देंहटाएं
  17. बेटी की माँ होना कितना भिन्न है , बेटियां भी नहीं समझती कई बार !!
    उपदेशक जाने किस भाषा में कहते हैं , कहीं उनका अनुभव होता है तो कहीं खीझ , मगर उसे सुनना है , नटी बनना है , क्योंकि वह लड़की है , फिर लड़की की माँ भी !!

    जवाब देंहटाएं
  18. बस एक चुप्पी सी छा जाती है..

    जवाब देंहटाएं
  19. रस्सी पर नट की तरह चलने .... का आदेश हमारे आस पास से ही सुनाई देता है ... बेतिया मात्र करतव्य करने के लिए ही नहीं होती

    जवाब देंहटाएं
  20. Relocating is usually a frustrating and tiresome experience. Whether you need to shift your house, taking help of professional packers and movers in Bangalore will create your career simpler. If you are one of those who feel that movers and packers Bangalore will put additional burden on your pocket by charging higher fees for their solutions, following guidelines may help you in finding the right assistance organization in your area:

    Packers and Movers Pune

    Packers and Movers Bangalore

    जवाब देंहटाएं
  21. "तुम्हारा एक वजूद है
    अपना अस्तित्व बनाओ - वह ईश्वर की देन है
    हारना तुम्हारी किस्मत नहीं
    तुम्हारी सोच तुम्हारी किस्मत है" …

    यह सोच ही बहुत कुछ बदल सकती है
    सादर !

    जवाब देंहटाएं

दौड़ जारी है...

 कोई रेस तो है सामने !!! किसके साथ ? क्यों ? कब तक ? - पता नहीं ! पर सरपट दौड़ की तेज़, तीखी आवाज़ से बहुत घबराहट होती है ! प्रश्न डराता है,...