06 अक्तूबर, 2014

इश्क़




कहीं मुझे इश्क़ न हो जाए   .... !"
इश्क़ होने का डर क्यूँ?
और डरने से भी क्या?
इश्क़ सोचकर होता नहीं
कि उसे वक़्त दिया जाए
.... इश्क़ इंतज़ार भी नहीं करता दूसरे का
अपनी आग खुद जला लेता है
उसकी आँच में तपकर निखरता जाता है !

इश्क़ नहीं ढूँढता प्रतिउत्तर
वह अपनी ख़ामोशी को कहता है
अपनी ख़ामोशी को सुनता है
हीर कह लो
या राँझा
वह अपनी किस्मत आप ही लिखता है
आप ही जीता है
ये अलग बात है कि शोर उसे समेटने को बढ़े
 नुकीले पत्थर बरसाए
जो इश्क़ में डूब जाए
उसे कोई खौफ़ नहीं होता  …

दरअसल इश्क़ अपने सपनों से होता है
काल्पनिक छवि सजीव हो
ऐसा हर बार नहीं होता
पर सजीव हो तो खुद पे ऐतबार होता है !

कौन कहता है इश्क़ को कोई नाम दिया ही जाए
इश्क़ को इश्क़ भी ना कहो
तो भी ओस की बूँदें इश्क़ सी टपकती हैं
इश्क़ सी खूबसूरत हो जाती हैं
सिरहाने छुपकर
आँखों के समंदर की सीप में मोती बन जाने को
हर रात सपनों में उतरती हैं
ज़िद्द बढ़ जाए
तो खुली आँखों में भी सपनों सा खुमार बन जाती है !

इश्क़ न नाम है
न डर
न इंतज़ार
न प्रश्न  … इश्क़ की पूरी जमीन अपनी है
विश्वास के बीज लगाओ
लहलहाती फसलों में गुम हो जाओ  ……………………। 

22 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ।

    एक बात और

    और इस सब से
    अलग भी कुछ होता है
    जितना खुद से होता है
    किसी और से नहीं होता है ।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (07-10-2014) को "हमे है पथ बनाने की आदत" (चर्चा मंच:1759) (चर्चा मंच:1758) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच के सभी पाठकों को
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं
  3. इश्क है सपनों से और ये इश्क का खुमार है
    इश्क कोई शब्द नहीं बस ये प्यार है ।

    जवाब देंहटाएं
  4. Bahut hu khubsurat iskadar bayaan kyaa aapne ishq urf.... ishq ho gya :) ....

    जवाब देंहटाएं
  5. कौन कहता है इश्क को बाया नहीं किया जा सकता क्या खूब बयां किया है आपने इश्क को वाह ! मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है कृपया पधारें एवं पसंद आने पर मुझे ज्वाइन करें http://parulpankhuri.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  6. कौन कहता है इश्क को बयां नहीं किया जा सकता क्या खूब बयां किया है आपने वाह ! कभी मेरे ब्लॉग पर भी पधारें आपका हार्दिक स्वागत है http://parulpankhuri.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
  7. ik yahi ahsas hai ishk jiska nam n hote huye bhi dilodimag par benami adhikar jata leta hai ...

    जवाब देंहटाएं
  8. कहीं मुझे इश्क़ न हो जाए .... !"
    इश्क़ होने का डर क्यूँ?
    खुद को खोने का डर और क्या ? :)
    लेकिन इश्क करने जैसा है लेखनी से हो की सपनों से हो चाहे जिससे भी हो,
    खुद को खोकर ही बहुत कुछ पाया जा सकता है !

    जवाब देंहटाएं
  9. इश्क़ न नाम है
    न डर
    न इंतज़ार
    न प्रश्न … इश्क़ की पूरी जमीन अपनी है
    ...बहुत बढ़िया ..

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत खूब !
    खुद से इश्क़ होना बहुत आवश्यक है ...

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत खूब ... प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो ...

    जवाब देंहटाएं
  12. इश्क़ न नाम है
    न डर
    न इंतज़ार
    न प्रश्न … इश्क़ की पूरी जमीन अपनी है
    विश्वास के बीज लगाओ
    लहलहाती फसलों में गुम हो जाओ …..

    bahut sundar Rashmi ji …. Ishq ki puri jameen apni hai, vishwas ke beej lagao … wah ! wah ! kitni khoobsurat baat kahi hai …

    जवाब देंहटाएं
  13. aapki aankhon mein kuch mehke hue se raaj hain...ishq ki koi umar nahin..ishq ki koi umeed nahin...ishq bas ishq ke liye hota hai

    जवाब देंहटाएं
  14. इश्क़ न नाम है
    न डर
    न इंतज़ार
    न प्रश्न … इश्क़ की पूरी जमीन अपनी है
    विश्वास के बीज लगाओ
    लहलहाती फसलों में गुम हो जाओ ……………………
    ...वाह..लाज़वाब अभिव्यक्ति...

    जवाब देंहटाएं
  15. प्यार के कई रूप कई नाम हैं
    हम किसी एक से नहीं बाँध सकते
    सादर !

    जवाब देंहटाएं
  16. वाकई ......इश्क के लिए सिर्फ विश्वास ही काफी है ........वह खुद ब खुद लहलहा उठेगा

    जवाब देंहटाएं
  17. विश्‍वास के बीज लगाओ ............. सच्‍ची बात

    जवाब देंहटाएं
  18. आज बहुत से लोग आंखों के रोग से ग्रस्त है और उनके रोगों को ठीक करने के उपाय बताने जा रहा है जैसे- जायफल को पीसकर दूध में मिलाकर सुबह-शाम आंखों पर लगाए इससे आंखों का रोग ठीक हो जाता है। इस प्रकार के और भी नुसखें पाने के लिए यहां पर Click करें। आच्छा लगे तो Share करें।
    आंखों आना का औषधियों से उपचार

    जवाब देंहटाएं

एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...