रुलाई की
जाने कितनी तहें लगी हैं
आँखों से लेकर मन के कैनवस तक …
कोई नम सी बात हो
आँखें भर जाती हैं
गले में कुछ फँसने लगता है
ऐसे में,
झट से मुस्कान की एक उचकन लगा देती हूँ
....... बाँध टूटने का खौफ रहता है
…
…
…
रो लेंगे जब होंगे साथ
देखेंगे कौन जीतता है
और फिर -
खुलकर हँसेंगे खनकती हँसी
छनाक से शीशे पर गिरती बारिश जैसी
………
होना है इकठ्ठा
बेबात हँसना है
सलीके से किराये की ज़िन्दगी बहुत जी लिए …………… !!!