रुलाई की
जाने कितनी तहें लगी हैं
आँखों से लेकर मन के कैनवस तक …
कोई नम सी बात हो
आँखें भर जाती हैं
गले में कुछ फँसने लगता है
ऐसे में,
झट से मुस्कान की एक उचकन लगा देती हूँ
....... बाँध टूटने का खौफ रहता है
…
…
…
रो लेंगे जब होंगे साथ
देखेंगे कौन जीतता है
और फिर -
खुलकर हँसेंगे खनकती हँसी
छनाक से शीशे पर गिरती बारिश जैसी
………
होना है इकठ्ठा
बेबात हँसना है
सलीके से किराये की ज़िन्दगी बहुत जी लिए …………… !!!
मनभावन भाव ....बहुत सुंदर लिखा है दी !!
जवाब देंहटाएंकिराये की जिंदगी सलीके से !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !
बहुत अलग सोच और नजरिया से उपजी अद्भुत कविता.
जवाब देंहटाएंजो मन में आये वो कर जाना चाहिए ... वर्ना जिंदगी ऐसे सवाल करती रहेगी कदम कदम पर ...क्यों जी जिन्दगी सलीके से ...
जवाब देंहटाएंमन को छूते शब्द....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भाव।
जवाब देंहटाएंhttp://chlachitra.blogspot.in/
http://cricketluverr.blogspot.in/
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (01-06-2015) को "तंबाखू, दिवस नहीं द्दृढ संकल्प की जरुरत है" {चर्चा अंक- 1993} पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
जब दिल करे रोने का तब भी कोई रो न सके भला यह कैसी आजादी....गहराई से आते हैं जो आँसूं वह उतने ही सच्चे हैं जितनी खनकती हँसी...
जवाब देंहटाएंbahut achi kavita hai
जवाब देंहटाएंआँखें भर जाती हैं
जवाब देंहटाएंगले में कुछ फँसने लगता है
ऐसे में,
झट से मुस्कान की एक उचकन लगा देती हूँ
....... बाँध टूटने का खौफ रहता है exceelent
हर समय सलीके मेन जीवन यन्त्रचलित सा लगता है.
जवाब देंहटाएंखुल कर हँसी के लिये बेतहाशा आँसू पहले बहें.
I became member of 'hamari vani'
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