आँधियाँ सर से गुजरी हों
टूट गया हो घर का सबसे अहम कोना
तो तुम दुःख के सागर में डूब जाओ
यह सोचकर
कि अब कुछ शेष नहीं रहा
तो तुम्हें एक बार बताना होगा
तुम ऐसा कैसे सोच सकते हो ?
घर का कोना सिर्फ तुमसे ही तो नहीं था
कई पैरों ने की होंगी चहकदमियाँ उस ख़ास कोने में
उस ख़ास घर में …
क्या तुम उन हथेलियों को थामकर मजबूत नहीं हो सकते ?
फिर से एक महत्वपूर्ण कोना नहीं बना सकते ?
जीने के लिए आँधियों का भय रखो
मजबूत छतें बनाओ
आँखों को जमकर बरसने दो
पर जो हथेलियाँ तुम्हारी हैं
उन पर भरोसा रखो !
वक़्त कितना भी बदल जाये
स्पर्श नहीं बदलते
उनका जादू हमेशा परिवर्तन लाता है
तो -
निराशा के समंदर से बाहर निकलो
किनारे तुम्हारे स्वागत में
नए विकल्पों के साथ पूर्ववत खड़े हैं।
दृढ़ता से पाँव रखो
खुद को पहचानो
फिर देखो,
कुछ भी असंभव नहीं
अदम्य इच्छाशक्ति के बलबूते असंभव को भी संभव होते देर नहीं लगती ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रेरक रचना
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (28-06-2015) को "यूं ही चलती रहे कहानी..." (चर्चा अंक-2020) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
सच में कितनी बार
जवाब देंहटाएंबनते हैं समुंदर
निराशा के
डूबता उतराता
निकल आता है
लड़ते भिड़ते
पानी से देखते
हुऐ किनारे को
रुके हुऐ इंतजार में ।
बहुत सुंदर ।
बहुत सुन्दर ! अंतिम 8 पंक्तिय बेहद प्रेरक है ! शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंनिराशा के समंदर से बाहर निकलो
जवाब देंहटाएंकिनारे तुम्हारे स्वागत में
नए विकल्पों के साथ पूर्ववत खड़े हैं।
दृढ़ता से पाँव रखो
खुद को पहचानो
फिर देखो,
कुछ भी असंभव नहीं .....बहुत सुन्दर रचना
क्या बात
जवाब देंहटाएंसब कुछ संभव है अगर इंसान चाहे और मन में ठान ले ... प्रेरक रचना ...
जवाब देंहटाएंऊर्जा देते भाव ...
बहुत ही सकारात्मक सोच की प्रेरणा देती पोस्ट
जवाब देंहटाएंकेवल हम ही अकेले नहीं जिसपर दुःख गुजरता है
जवाब देंहटाएंहर किसी को हिम्मत के साथ उसका सामना करना चाहिए
सादर !!
वाकई...खोने को यहाँ कुछ नहीं पाने को सारा आकाश है..
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