(दशरथ मांझी नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी के चेहरे में दिखा … और सोच की खलबली होती रही )
सुना था दशरथ मांझी के प्रेम को
प्रेम ! तलाश ! परिवर्तन !
- यह सब एक पागलपन है
धुन में सराबोर, झक्की से चेहरे
पत्थर मारो, या कुछ भी कहो
धुन के आगे कोई भी रुकावट नहीं होती !
यूँ तो शाहजहाँ की उपमा दी गई है
लेकिन बहुत फर्क है
आर्थिक सामर्थ्य और आत्मिक सामर्थ्य में
… शाहजहाँ ने एक सौंदर्य दिया
दशरथ मांझी ने सुविधा दी
सत्य मिथक के मध्य सुना है
शाहजहाँ ने कारीगरों के हाथ कटवा दिये थे
और मांझी ने अपने को समर्पित कर दिया !
सोचती हूँ प्रेम में डूबा
पत्थरों को छेनी से तोड़ता मांझी
उन पहाड़ों से क्या क्या कहता होगा
क्या क्या सुनता होगा
फगुनिया के लिए क्या क्या
कैसे कैसे सोचता होगा !
एक एक दिन को
उसने कैसे जीया होगा
अनुमान मांझी तक नहीं जाता
उन सड़कों पर भी नहीं
जो दशरथ मांझी के नाम से है …
कभी मिलूँगी उन पहाड़ों से
उसकी आँखों को पढ़ने की कोशिश करुँगी
जिसमें एक एक दिन के पन्ने हैं !
"आत्मिक सामर्थ्य..."
जवाब देंहटाएं...एक शब्द... जिसमें पहाड़ सा जीवन जीवट के साथ जी लेने की ताकत होती है...!
प्रेम ऐसा भी हो सकता है , सहसा विश्वास नहीं होता। अद्भुद कहानी और फिल्मांकन भी।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंदशरथ माँझी सोच की सीमा से बाहर की बात है हम अंदाजा लगा पाते हैं उस तक पहुँचना मुमकिन कहाँ है ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (26-08-2015) को "कहीं गुम है कोहिनूर जैसा प्याज" (चर्चा अंक-2079) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाकई , वो संवाद भी खास ही होगा ।
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, आर्थिक संकट का सच... ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंपिक्चर जानदार होनी चाहिए ... अभी तक देखि नहीं ... पर आपके शब्द इसकी कहानी कह रहे हैं ...
जवाब देंहटाएंवाकई दशरथ मांझी को पढ़ने की जरूरत है
जवाब देंहटाएंऐसी प्रेम कथा जिसे समझने के लिए भी आजकल के लोगों के लिए मुश्किल है.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंपर वो आग कहाँ से ले आएंगे हम अपने सीने में ?
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