मेरी ख़ामोशी
इधर-उधर घूमती पुतलियाँ
ढूँढती हैं शब्दकोश
ताकि कह सकें
कि कैसा लगता है
जब तपते माथे पर
कोई ठंडी हथेली नहीं रखता
और बिना बीमारी
बीमार सा चेहरा लिए
कुछ पूछने पर
कोई जवाब नहीं देता
जैसे कुछ सुनाई नहीं दिया हो ...
इसे मामूली अभिनय न कहिये
जबरदस्त कला है यह
आपकी भर्तस्ना
हर कोई फुसफुसा कर करेगा
आप अपने चिंदी से सत्य को
सुनाने की मोहलत भी न पायेंगे
और फिर भी सुनाया
तो अवाक चेहरा कहेगा
"क्या बोल रहे हो !"
और तब -
तुम भी असमंजस में पड़ जाओगे
कि वाकई !!! तुम कह क्या रहे थे !!!
फिर,
जैसे फंदे के गिर जाने पर
बुनावट गलत हो जाने पर
कुछ बुनाई को उधेड़ा जाता है
और धीरे धीरे सलाई पर फंदों को चढ़ाया जाता है
वैसे ही
एकांत की तलाश करते हुए
मस्तिष्क की सलाई से
सत्य/असत्य को तुम उधेड़ते रह जाओगे
चूकि जीवन स्वेटर नहीं है
तो हर बार एक फंदा छूट जायेगा
..........
पूरी ज़िन्दगी की कहानी
कहाँ हूबहू लिखी जाती है
आत्मकथा' भी थोड़ी बेईमानी कर जाती है
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (19.12.2015) को " समय की मांग युवा बनें चरित्रवान" (चर्चा -2194) पर लिंक की गयी है कृपया पधारे। वहाँ आपका स्वागत है, धन्यबाद।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शुक्रवार 18 दिसम्बर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआत्मकथा भी थोड़ी बेईमानी कर जाती है |बहुत खूब.....-marriage
जवाब देंहटाएंपूरी ज़िन्दगी की कहानी
जवाब देंहटाएंकहाँ हूबहू लिखी जाती है
आत्मकथा' भी थोड़ी बेईमानी कर जाती है
.. सच कुछ तो अन्धकार में रखना ही पड़ता है। .
बहुत सुन्दर रचना
हूबहू लिखने के लिए ताकत कहाँ से लाएंगे ये चतुर मानव ?
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ..... मंगलकामनाएं आपको !
बाकई, शब्द शब्द आवाज
जवाब देंहटाएं" पूरी ज़िन्दगी की कहानी
जवाब देंहटाएंकहाँ हूबहू लिखी जाती है
आत्मकथा भी थोड़ी बेईमानी कर जाती है "
इमानदारी से चलती कलम कितने जटिल सत्य सहजता से कह जाती है... !!
....सच लिखने का हृदय अंदर ही धड़कता है , और अपने सा ईमानदार कोई और नहीं बस अंदर झांक कर कहानी तो सुने कोई ... बेहतरीन रचना रश्मि प्रभा जी
जवाब देंहटाएंकहीं थोड़ी होती है
जवाब देंहटाएंहोनी ही होती है
कहीं पूरी की
पूरी ही होती है
बहुत जरूरी होती है
सच आत्मकथायें
समझ में नहीं आती हैं
बेईमानी जरूरी है
इनाम ले कर
कुछ ना कुछ
तभी आती हैं ।
Bht sahi......sach bhi mn se puchhta hai kai baar mujhe swikaaar to kr lenge n ...... Koi nakhush ho gaya to...... Shuru se ant tk haqiqat bayan karti post
जवाब देंहटाएंBht sahi......sach bhi mn se puchhta hai kai baar mujhe swikaaar to kr lenge n ...... Koi nakhush ho gaya to...... Shuru se ant tk haqiqat bayan karti post
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है मगर आपकी लेखनी थोड़ी कठिन है समझने के लिए मुझे कभी कभी बीच में रुकना पड़ता है मगर आपकी रचनाओं का अर्थ गहरा होता है
जवाब देंहटाएंHindi Shayari
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