कैलेंडर के पन्ने बदल देने से
31 दिसम्बर से 1 जनवरी हो जाने में
वर्ष ना पुराना होता है
ना नया ।
दोनों लम्हें
किसी मुंडेर पर
साथ बैठ जाते हैं।
बीते लम्हों का किस्सा
नए लम्हों को
नई सोच देने की कोशिश करता है !
पूछता है वो बीता लम्हा संजीदगी से,
"लिया था जो संकल्प पहले,
उसे निभाया क्या ईमानदारी से,
जो नए संकल्प आज उठा रहे ?"
सुबह तो रोज होती है,
तारीखें भी रोज बदलती हैं,
उसी बदलने के क्रम में
वर्ष बदल जाता है,
और शुरू होती है 365 दिनों की दौड़ ,
जो सदियों से जारी है
जारी रहेगी।
साल, युग तो तब बदलेगा
जब तुम्हारी सोच में सूर्योदय हो
...
आओ हम आह्वान करें
मन की दहलीज पर
सूर्योदय की प्रतीक्षा करें
जो परम्पराएं हमें जोड़ती थीं,
उनका सम्मान करें,
बड़ों का आशीष ले,
छोटों को आशीष देकर
नए वर्ष की पहचान लौटाएं ...
मंगलकामनाएं आपके लिये सपरिवार। खुश रहें यही कामना है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (02-01-2019) को "नया साल आया है" (चर्चा अंक-3204) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रशंसनीय प्रस्तुति...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएं'आओ हम आह्वान करें
जवाब देंहटाएंमन की दहलीज पर
सूर्योदय की प्रतीक्षा करें
जो परम्पराएं हमें जोड़ती थीं,
..........'
- मंगलमय आवाहन सार्थक हो !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3.1.2019 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3205 में दिया जाएगा
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
बहुत सुन्दर नव-वर्ष संकल्प ! लेकिन ऐसे संकल्प निभाए कम जाते हैं, भुलाए अधिक जाते हैं. 3,4 जनवरी तक आधे संकल्प-धारी मैदान छोड़ देते हैं और 31 जनवरी तक बाक़ी के आधे!
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय प्रस्तुति...https://www.punjabkesari.in/
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर,, नए वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंhttps://www.bollywoodtadka.in/