मृत्यु अंतिम विकल्प है जीवन का
या जीवन का दूसरा अध्याय है ?
जहाँ हम सही मायनों में
आत्मा के साथ चलते हैं
या फिर अपूर्ण इच्छाओं की पूर्ति का
रहस्यात्मक खेल खेलते हैं ?!
औघड़,तांत्रिक शव घाट पर ही
खुद को साधते हैं
... आखिर क्यों !
जानवरों की तरह मांस भक्षण करते हैं
मदिरा का सेवन किसी खोपड़ी से करते हुए,
वे सामने से गुजरते व्यक्ति को कुछ भी कह देते हैं !!
यह क्या है ?
कितनी बार सोचा है,
बैठकर किसी औघड़ के पास
उलझी हुई गुत्थियाँ सुलझाऊँ ...
क्या सच में कोई मृत्यु रहस्य उन्हें मालूम है,
या यह उनके भीतर के जीवन मृत्यु का द्वंद्व है !,
ध्यान समाधान है
अथवा नशे में धुत नृत्य !
खामोशी
स्वयं को निर्वाक कर लेने का
स्रोत है कोई
या किसी अंतहीन चीख की अनुगूंज !!
जो जीवित दिखाई दे रहे,
वे क्या सचमुच जीवित है
जिनके आगे हम राम नाम की सत्यता का जाप करते हैं
वे क्या सचमुच मूक बधिर हो चुके हैं ?
सत्य की प्रतिध्वनि मिल जाये
तो सम्भवतः जीवन का रहस्य खुले ...
जवाब देंहटाएंजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
24/11/2019 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
http s://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
सुन्दर... प्रस्तुति|
जवाब देंहटाएंसारे रहस्य खुले हुऐ हैं इस जीवन के।
जवाब देंहटाएंकुछ तो है ....सुंदर प्रस्तुति
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