13 मई, 2020

निर्णय ज़रूरी है 





निर्णय ज़रूरी है
एक चिड़िया के लिए
एक माँ के लिए,
आंधियों का क्या कहना,
कई बार दूसरों की नज़र का सुकून भी
गले से नीचे नहीं उतरता,
पर एक एक निर्णय के पहले
उड़ान भर लेने से पहले
नन्हें चूजों के मासूम सुकून को
देखना होता है,
जिनसे सुबह होती है
बहारें आती हैं
जिनकी दृष्टि और समझ
बड़ी सूक्ष्म होती है ...
कहते हैं न कि जहाँ न पहुंचे रवि
वहाँ पहुंचे कवि"
बिल्कुल यही बात बच्चों पर भी लागू होती है
एक पिता नजरअंदाज भी कर दे
लेकिन गर्भनाल के रिश्तों को अनदेखा अनसुना करना
संभव ही नहीं ।
उनकी मानसिक,आत्मिक खुराक को समझना होता है
किताब,कॉपी के किस पन्ने से उसे बेहद लगाव है,
इसे अनदेखा करना,
उसके मन पर बेतरतीबी से खींची गई
लकीरें बन जाती हैं ।
आँधी जैसी भी हो,
अनहोनी लाख सर पटके
लेकिन एक बच्चे के लिए माँ
वह सब बन जाती है,
जिसकी कल्पना उसने भी नहीं की होती है !
ज़रूरी है उनके मन की थाह
एक माँ अगर उस गहराई से दूर रह जाये
तो मुश्किल है उसमें कागज़ की नाव भी चलाना ...
परिस्थितियों को उनके अनुकूल करते करते
माँ होम होती चली जाती है
राख हो जाती है,
अस्थियां जलमग्न हो जाती हैं
लेकिन,
नाव से उतरने के पहले
झंझावातों का
सामना करने के लिए
दोनों हाथों से गढ़े गए हाथों में
एक मजबूत पतवार थमा जाती है ।


10 टिप्‍पणियां:

  1. यथार्थ का सुन्दर चित्रण..अति उत्तम सृजन मैम ।

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१६-०५-२०२०) को 'विडंबना' (चर्चा अंक-३७०३) पर भी होगी
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का
    महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    **
    अनीता सैनी

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  3. माँ तो माँ ही होती है, सदा अपनी संतति को सबल देखने की चाह लिए

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  4. माँ होम होती चली जाती है
    राख हो जाती है,
    अस्थियां जलमग्न हो जाती हैं
    लेकिन,
    नाव से उतरने के पहले
    झंझावातों का
    सामना करने के लिए
    दोनों हाथों से गढ़े गए हाथों में
    एक मजबूत पतवार थमा जाती है.
    - सब कुछ कह दिया आपने ,इससे आगे कहने को बचता ही क्या है !

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  5. दोनों हाथों से गढ़े गए हाथों में
    एक मजबूत पतवार थमा जाती है ।
    बहुत ही सुन्दर सार्थक सृजन
    वाह!!!

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  6. होम होती हुई माँ अपने अस्तित्व को पा जाती है ।

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