07 जून, 2020

जीत किसकी होगी ?





एक तरफ हैं हालातों के घुड़सवार,
जिरहबख्तर पहने और
हाथों में है लपलपाती तलवार
तो दूसरी तरफ,
मजबूरियों की पैदल लंबी कतार,
इन्द्र छद्म वेश में फिर आकर
ले गए छल से
कवच कुंडल का देवदत्त उपहार
अस्त्र_शस्त्र के नाम पर है
सिर्फ हौसलों की छोटी_सी कटार
इधर बख्तियार, उधर लाचार
सनातन है यह विचार
कि समरथ को नहीं दोष गोसाईं
आरोपी तो सदा आम जन है भाई.....
अब कहो कि अनुमान क्या कहते हैं ?
जीत किसकी होगी ?
या होगा वही, जो इतिहास में नहीं होता
पर समय और सच को पता है
कि जीत तो हौसलों की ही होती है
उन्हीं की होगी भी,
किंतु अमरबेल है विडंबना !
समर ईसा पूर्व का हो या आज का
जीत का श्रेय समर्थ को ही जाता है !
हमारा क्या है
पढ़ेंगे, पढ़ाएंगे
जो वर्णित है इतिहास में,
वही अगली पीढ़ी को बताएंगे।

6 टिप्‍पणियां:

  1. सादर नमस्कार,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा मंगलवार (09-06-2020) को
    "राख में दबी हुई, हमारे दिल की आग है।।" (चर्चा अंक-3727)
    पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है ।

    "मीना भारद्वाज"


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  2. इतिहास को बदल कर खुद इतिहास होने के जुगाड़ कर रहा हो जब कोई कैसे करें इतिहास के बताये पर विश्वास?

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  3. आरोपी तो सदा आम जन हे
    बहुत ही सुन्दर रचना

    जवाब देंहटाएं

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 कितनी आसानी से हम कहते हैं  कि जो गरजते हैं वे बरसते नहीं ..." बिना बरसे ये बादल  अपने मन में उमड़ते घुमड़ते भावों को लेकर  आखिर कहां!...