इतिहास गवाह है,
विरोध हुआ
बाल विवाह प्रथा का
सती प्रथा का
दहेज प्रथा का
कन्या भ्रूण हत्या का
लड़कियों को बेचने का
उनके साथ हो रहे अत्याचार का ...
पुनर्विवाह के रास्ते बने
लड़का-लड़की एक समान का नारा गूंजा
सम्मान के नाम पर
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस निर्धारित हुआ
लेकिन,
कुछ अपवादों को छोड़कर
हर क्षेत्र में उठ खड़ी होने पर भी
महिलाओं के प्रति
न सोच बदली
न स्थिति
शिक्षित होने पर भी
नसीहतों की ज्वाला में
उसे जलना पड़ता है ।
स्वेच्छा से विवाह -
तो स्वच्छन्द !
आत्मनिर्भरता के परिणामस्वरूप
परिवार के लिए देर से लौटी
तो कलंकिनी !
व विवाह नहीं किया
तो लानत,
विवाह नहीं टिका
तो मलामत ।
पति अत्याचारी
तो भी उलाहना
अकेली किसी के साथ हँस बोल लिया
तो मिथ्यानुमानों के संदेह !
बच्चों के लिए
सम्पूर्णतः उसकी जिम्मेदारी
एक कप सुबह की चाय पति ने दे दी
तो कटाक्ष करने से
अधिकांश लोग पीछे नहीं हटते !
'दिवस' मनाना
और हृदय से सम्मान देना
दो अलग स्थितियाँ हैं !
नवरात्रि हो
या महिला दिवस
स्थिति जो कल थी
वही लगभग आज भी है
और कल भी होगी ।
बिल्कुल सही कि स्थिति आज भी वैसी ही है ।जब तक नारी स्वयं ही नारी की इज़्ज़त नहीं करेगी कुछ नहीं बदलने वाला । नारी के प्रति समाज की सोच बदलने की ज़रूरत है ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंअन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
बिलकुल सत्य कहा संगीता जी ने-जब तक नारी स्वयं ही नारी की इज़्ज़त नहीं करेगी कुछ नहीं बदलने वाला । अपने प्रति अपनी खुद की सोच ही पहले बदलने की ज़रूरत है ।
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं रश्मि जी
अच्छी कविता। सोच को बदलने की जरूरत तो है।
जवाब देंहटाएंसशक्त लेखन
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 10 मार्च 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
बहुत बहुत सराहनीय रचना |
जवाब देंहटाएंएक कप सुबह की चाय पति ने दे दी
जवाब देंहटाएंतो कटाक्ष करने से
अधिकांश लोग पीछे नहीं हटते !
'दिवस' मनाना
और हृदय से सम्मान देना
दो अलग स्थितियाँ हैं !
नवरात्रि हो
या महिला दिवस
स्थिति जो कल थी
वही लगभग आज भी है
और कल भी होगी ।
बहुत सटीक
Fantastic post
जवाब देंहटाएंPlease visit my blog🙏
"'दिवस' मनाना
जवाब देंहटाएंऔर हृदय से सम्मान देना
दो अलग स्थितियाँ हैं !
नवरात्रि हो
या महिला दिवस
स्थिति जो कल थी
वही लगभग आज भी है
और कल भी होगी ।" - एक कटु सत्य का यथार्थ चित्रण ...🙏🙏