बाल-विवाह , सती-प्रथा ,
अग्नि-परीक्षा........................
जाने कितने अंगारों से गुजरी
ये मासूम काया !
यातनाओं के शिविर में,
विरोध की शिक्षा ने ,
उसे संतुलन दिया ,
शरीर पर पड़े निशानों ने
'स्व' आकलन का नजरिया दिया !
हर देहरी पर ,
'बचाव' की गुहार लगाती,
अपशब्दों का शिकार होती,
लान्छ्नाओं से धधकती नारी ने
अपना वजूद बनाया.........
माँ सरस्वती से शिक्षा,
दुर्गा से नवशक्ति ली ,
लक्ष्मी का आह्वान किया-
प्रकाशपुंज बनकर ख़ुद को स्थापित किया !
समाज का दुर्भाग्य -
उसकी शक्ति,उसकी क्षमताओं से परे
ह्त्या पर उतर आया !
आज फिर ,
कुरुक्षेत्र का मैदान है ,
और कृष्ण नारी सेना के सारथी............
यकीनन,
जीत निश्चित है !
rashmi ji,
जवाब देंहटाएंnaari hriday ko bahut sundar shabdon se sajaya hai...usaki shakti ko saraaha hai...aaj naari ko hi krishn karoop le kar naari sena ka saarathi bhi ban.na hoga...sach hi jeet nishchit hai..bahut ojpurn rachna..badhai
yakinan jeet nishchit hain... par is nyaay aur astitav yudh ki awadhi anishchit hain...... aaj samana ek duryodhan ya dushasan se nahi hain... ab to kanha ka intezaar nahi khud Krishna banney ki jaroorat hain....
जवाब देंहटाएंaapki soch ko " SALAM"
NAARI KE ROOP KO BAKHUBI UTAARAA HAI AAPNE.. BED KHUBSURATI SE ... DHERO BADHAAYEE AAPKO...
जवाब देंहटाएंARSH
सही है... जीत तो निश्चित है....सभी देवी देवताओं का साथ ले कर हर नकारात्मकता को पीछे छोड़ आगे तो बढ़ना ही है...बहुत अच्छा लिखा है दी..
जवाब देंहटाएंbahut acha likha hai...
जवाब देंहटाएंhamesha ki tarah sochne ko majboor karta
Jise maa saraswati ne shikshit kiya ho, Durga ne shaqti pradan ki ho, jo lakshmi ka hi swarup ho, Krishn jiske sarthi hon, kaun rok payega jitne se use, Bas sangharsh ki disha sakaratmak honi chahiye.
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी रचना .....!नारी तो सब कुछ सहते हुए भी हर रिश्ता.निभाने... का प्रयास करती ही है...!पर इस समाज का नजरिया ना जाने कब बदलेगा?
जवाब देंहटाएंकृष्ण सारथी ना भी होते तो तो भी राठी अब अपनी शक्ति जान गए हैं बहुत ही अच्छी रचना आयी है इस बार भी आप की कलम से
जवाब देंहटाएंbahut achchha likha hai....naari ka sangharsh........हर देहरी पर ,
जवाब देंहटाएं'बचाव' का गुहार लगाती,
अपशब्दों का शिकार होती,
लान्छ्नाओं से धधकती नारी ने
अपना वजूद बनाया.........
"....और कृष्ण नारी सेना के सारथी..."
जवाब देंहटाएंकाश ऐसा ही हो....स्त्री जाति के उज्जवल भविष्य की कामना करती आपकी ये रचना अनमोल है...
नीरज
कहते है न्, की सोना भी अग्नि में तप कर ही कुंदन बनता है... और जहा - माँ का साथ हो, कृष्ण सा सारथि हो वहा जीत निश्चित ही है ..!
जवाब देंहटाएंjab krishna sarthi hon to jeet nishchit hi hoti hai.
जवाब देंहटाएंbahut sashakt rachna
सदियों से होते आ रहे अत्याचार ने नारी को प्रबल मानसिक शक्ति का स्वामिनी बना दिया है............वो कभी हार नहीं सकती..........न पहले न आज..........
जवाब देंहटाएंहम सब इस मै आप के संग है, बहुत ही सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
रश्मि जी ,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक रचना ...नारी की शक्ति को आपने बखूबी समझाया है .....बहुत खूब ....!!
दिगंबर जी से सहमत .....
जवाब देंहटाएंइतना आसान नहीं है हमें जीतना .....
... अब तारीफ क्या करें ... आपकी अभिव्यक्तियाँ तारीफ के स्तर से ऊँची होती हैं ... सिर्फ नई-नई रचनाएँ पढने चले आते हैं ... बधाई !!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सशक्त रचना मैम
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है!
जवाब देंहटाएंbhut shi nari ne sab badhaye par kri hai apni shktise apne samrthy ya apna aur apni svym ki yogyta se ab samaj ki bari hai kivo use soubhagy bnaye yaapna durbhagy .
जवाब देंहटाएंapke vishvas kijay ho ho
jeet nishchit hai .
badhai
बहुत सुन्दर लिखा आपने..साधुवाद !!
जवाब देंहटाएंदिल को छूने वाली रचना...!!
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विश्व पर्यावरण दिवस(५ जून) पर "शब्द-सृजन की ओर" पर मेरी कविता "ई- पार्क" का आनंद उठायें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ !!
Hmmm, u have raised ur voice on a very important topic. SInce ages women are getting dominated in one form or other. Even if women in India are independent now to a large extent but still the domination continues, if not "this" way then "that" way...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक लिखा है......
जवाब देंहटाएंप्रेरित करने वाली रचना...........
sundar !
जवाब देंहटाएंऔर कृष्ण नारी सेना के सारथी...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सशक्त रचना ..
बहुत ही सुन्दर !
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