08 मई, 2009

मुझसे सुंदर कौन???

मैं हूँ पायल,
मैं हूँ गीत,
रिमझिम-रिमझिम बारिश हूँ...
मैं हूँ खनकती पुरवाई,
मैं ही बसंत की खुशबू हूँ...
मैं हूँ आँगन,
मैं हूँ पवन,
मैं ही बाबुल की दुनिया हूँ....
मैं हूँ ममता का दूजा रूप,
भाई की कलाई की डोरी हूँ,
मैं हूँ शक्ति,
मैं विद्या हूँ,
मैं ही लक्ष्मी का रूप हूँ....
बुलबुल हूँ,
गौरैया हूँ,
कोयल की गूंजती कूक हूँ....
धरती में हूँ,
अम्बर पे हूँ,
मुझसे सुंदर कौन?
थामलो मेरा हाथ,
मुझसे कर लो बात,
मैं ही मन हूँ,
मैं हूँ जीवन,
धड़कनों के संग-संग हूँ....
क्यूँ मुझको यूँ खोते हो,
मुझसे सुंदर कौन?
कहो...मुझसे सुंदर कौन??????????

37 टिप्‍पणियां:

  1. कोई नहीं.....:) इससे सुन्दर तो कोई हो ही नहीं सकता....!!बहुत अच्छी लिखी है दीदी..

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  2. ईश्वर प्रदत्त इस रूप को कौन खोना चाहेगा ? जो प्रेम ममता और दया की प्रतिमूर्ति है

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  3. अगर सब लोग ये समज जाये ...तो कितना अच्छा..
    पर सब को सब कुछ मालूम है पर समजना na चाहे उसे कोई कैसे समजाये..
    सोये हुवे कोई जगाये ..जगे हुवे कौन जगाये भाई

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  4. koi nahi. Is pyari si gudiya se sunder kaun ho satka hain bhala.....Womens are always my first choice but blogger banney ke baad to indian women ke naye roop se parichay hua... I salute INDIAN WOMENS to and me as well:-)Wo Ekta ji ke serial ke koi patra hamare aas pass society mein generally to nahi nazar aati han rare cases mein jarro mil jati hain......

    Accha likhti hain..... ye baar baar kahna bhi ab accha nahi lagta :-)

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  5. bhaut sunder likha hai apne..sach to hai saare roop hai is nanhi si chulbuli si gudiya mein

    dil chhu gayee ye rachna.....
    isase sunder kaun ho skata hai bhala???

    love u
    miss u

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  6. sabhi rishte ko kis bebaaki aur mulaayam se dor me majbooti se aapne baandhaa hai .. kamaal ki ye kavita hai bahot pasand aayee... is pe aapko dhero badhaayee..

    arsh

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  7. सुन्दर कविता लिखी है आपने बधाई

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  8. बहुत ही सुन्दर रश्मि जी,

    आजकल तो स्थिति कुछ भयानक होती जा रही है, क्या कह सकते हैं, बेटियों को तो जन्म ही नहीं लेने दे रहे कुछ लोग मुझे आपकी इस कविता न भीतर तक छुआ तो अपनी बहुत पुरानी कविता कि चार पंक्तियाँ याद आई

    "वो घर आँगन को महकाती
    रचती सपनों का संसार
    पर निष्ठुर समाज ने उसको
    दिया जन्म से पहले मार"

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  9. मुझसे सुंदर कौन॰॰? भावों का अच्छा संयोंजन है॰॰॰ बहुत शानदार॰॰॰॰॰ शुभकामनायें ॰॰॰

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  10. 'मैं' की इतनी सुन्दर परिभाषा .... बहुत खूब... अक्सर मै मे अहम छिपा दिखाई देता है ...

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  11. बेटियाँ बसंत की खुशबू हैं,भाई की कलाई की डोरी हैं..बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
    समाज को एक नेक और जरुरी सन्देश देती हुई कविता और साथ दिया चित्र भी पसंद आया.काश हर कोई यह भाव समझे और कन्या का महत्व भी.

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  12. ... dil ko chhoone vaalee abhivyakti, atyant prasansaneeya, atisundar !!!!!!

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  13. आदरणीय रश्मि जी ,
    बहुत सही बात अपने लिखी है .बेटियाँ तो पायल ,झंकार ,खुशबू ,सरगम ,संगीत ...सभी कुछ होती हैं. इनके लिए जितनी भी उपमाएं दी जाएँ कम हैं .तस्वीर भी बहुत प्यारी है.
    पूनम

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  14. ale waah tumse sundal aul kaun ,tumhi to sabse sundal rajkumaali ,pariyon ki laani ,humaari shajaadi ,humaari beti aur kaun .

    sundar bhaav rashmi ji

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  15. किसी शायर ने कहा है " शौके -दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर " वस्तुतः सौंदर्य वस्तु में नहीं देखने वाले की द्रष्टि में होता है ! पूरी प्रकृति की चेतना को समेटे हुए आपकी रचना बहुत सुन्दर है और उससे भी सुन्दर है रचना में समाहित नारी का सौंदर्य !

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  16. bahut saksham rachna ...sach hi isase sundar koi nahi...

    pyaari rachna...rashmi ji isake liye aapko bahut bahut badhai

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  17. बहुत बढ़िया लगी आपकी यह रचना

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  18. वास्तव में बहुत ही गहरी बात लिखी है आपने..!आज बेटी का होना तो गुनाह बना दिया गया है..लेकिन समाज को सोचना चाहिए की क्या..माँ,बेटी,बहिन,भाभी,मौसी,चाचीया पत्नी विहीन परिवार की कल्पना की जा सकती है..?बेटी तो हर रूप में सुन्दर ही होती है...!माँ दुर्गा के सभी रूप..हो या नारी के,सभी का अत्यंत महत्त्व है...!आपको बेहतरीन रचना के लिए बधाई...,

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  19. मुझसे सुन्दर कौन ???

    यह तो एक् माँ ही बता सकती है की मुझ से सुंदर कौन ... यह समझने और देखने के लिए माँ सा ह्रदय , माँ सी दृष्टी और माँ से जज़्बात चाहिए ...! ILU .

    HAPPY Mother's Day ....!

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  20. बहुत प्यारी सी भावना ,बहुत प्यरिसी भावना |आपकी कविता पढ़कर मेरे मन मे ये दो पंकतया आई
    छोटी सी नन्ही सी के लिए
    जब तुम हँसती हो तो
    हरसिंगार के फूल झड़ते है |
    shobhana

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  21. रश्मि जी ,
    जितनी सुन्दर तस्वीर ..उतनी ही बढ़िया भावनाएं ...बच्चियों को तो जितने भी नाम दिए जाएँ कम हैं ...
    बहुत बढ़िया लगी ये रचना .
    हेमंत कुमार

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  22. बहुत प्यारी है आपकी कविता...

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  23. जो न हो बेटियाँ संसार में
    जीना होगा दुश्वार .....बहुत खूबसूरत ...हमेशा की तरह

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  24. आदरणीय रशमि जी,
    मुझसे सुंदर कौन॰॰?
    बहुत ही सुन्‍दर विचारों की माला जो मॉं...बेटी...बहन... के रूपों में होने का एहसास... शुभकामनायें ॰॰॰

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  25. आत्म विश्वास से भरी इस कविता के लिए साधुवाद. अहं ब्रह्मास्मि.

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  26. bahut badhiya.....iske aage isliye nhi kahungi kyunki sabne itna kah diya ki uske baad bachta hi nhi kuch kahne ko.........aap aise hi likhti rahein.

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  27. आपकी इस कविता न भीतर तक छुआ ....बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति....!!

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  28. भगवान् जी की सर्व-श्रेष्ठ रचना के लिए तो हर
    उपमा छोटी पड़ जाती है आखिर ....
    बहुत ही मन-मोहक रचना
    अभिवादन स्वीकारें
    ---मुफलिस---

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  29. ..और इस सुंदर से प्रश्‍न पे इतनी सुंदर कविता बन पड़ी है मैम कि क्या कहने...

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  30. मैं भाई ललित मोहन त्रिवेदी जी के निम्न विचारों ........

    किसी शायर ने कहा है " शौके -दीदार अगर है तो नज़र पैदा कर " वस्तुतः सौंदर्य वस्तु में नहीं देखने वाले की द्रष्टि में होता है ! पूरी प्रकृति की चेतना को समेटे हुए आपकी रचना बहुत सुन्दर है और उससे भी सुन्दर है रचना में समाहित नारी का सौंदर्य !

    से पूर्ण इत्तिफाक रखता हूँ.

    मुझमें शायद इतनी अच्छी रचना के लिए इससे अच्छी टिप्पणी करने की क्षमता नहीं.

    तहे दिल से दी बधाई स्वीकार करें.

    चन्द्र मोहान गुप्त

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  31. कितना खूबसूरत बांधा है आपने शब्दों को रश्मि दी

    बधाई स्वीकारें !!

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  32. रियली, आपसे सुंदर इस ब्रम्‍हांण में कोई नहीं।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...