06 नवंबर, 2009

!!!




मेरे शब्दों की चोरी हो गयी
कोई दस्तक
कोई नज़्म
कोई ख्वाब
कोई बादल
कोई नाव
कोई रूह बन
हवाओं में तैर रहे हैं
.................
कोई रपट नहीं लिखवाई है अब तक
अपने हैं
शाम होते लौट आयेंगे
मेरे बगैर
उन्हें भी नींद नहीं आती
कोई सपने नहीं बनते !!!

51 टिप्‍पणियां:

  1. Mummyji ......... bahut achchi lagi yeh kavita........

    aakhiri panktiyon ne dil chhoo liya........

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  2. बहुत बढ़िया!! एक दम नया एहसास....नयापन लिए हुए बहुत ही सुन्दर रचना लिखी है बधाई स्वीकारें।

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  3. शब्द आपकी चोरी हो गयी है

    किससे यह सिनाजोरी हो गयी है

    दु;ख हुआ होगा उन्हे भी बिछड़कर आपसे

    दुआ वो भी कर रहें होंगे मिलने की आपसे।।

    खूबसूरत रचना।

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  4. बहुत सुन्दर रचना ....आभार आपका

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  5. आपकी रचना तो बस जी कमाल होती है
    सीधा दिल में घर कर जाती है.

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  6. shabd chori hote hai ya jab khote hai
    phir bhi wo kahin jahan me hi hote hai
    milta hai jab bhi waqt jahan mein aate hai
    hame phir se khud se ru-b-ru karate hai

    apki kavita par ye khyaal aaya...
    bahut acha likha hai

    जवाब देंहटाएं
  7. shabd chori hote hai ya jab khote hai
    phir bhi wo kahin jahan me hi hote hai
    milta hai jab bhi waqt jahan mein aate hai
    hame phir se khud se ru-b-ru karate hai

    apki kavita par ye khyaal aaya...
    bahut acha likha hai

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  8. achchhi lagi par;
    koi nav ban hawao me tair rahe hai
    samajh me nahi aya.mai shayad "koi
    khayal "likhta .par eisa kyo hota ?

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  9. बहुत ही खूबसूरत रचना लिख डाली है आपने... चोरी की इससे बड़ी FIR और कहाँ दर्ज हो सकती थी...

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  10. aapaki kavita padhkar
    bahut achchha laga

    aur kavi ko pidaa bhi huvii
    utani hi pida jitani ki
    rashmi ji ko yah kavita likhate samay huvi hogi
    matlab ..kavita bahut prabhavit karti hae
    sidhe man ko chhu leti hae

    dhnyvaad aadarniy rashmi ji

    kishor

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  11. nisandeh bemishaal hai ye nazm... mere bagair unhe bhi nind nahi aati kya khub baav hain ye... mazaa aagayaa ... salaam


    arsh

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  12. अनूठे एहसास संजो दिये हैं आपने कृति में

    ---
    चाँद, बादल और शाम

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  13. वाह...!
    रश्मि प्रभा जी!
    इतने कम शब्दों मे पूरी कविता!
    लगता है कि लोटे में सागर समा गया है।

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  14. devendra ji,
    तैरना रूह के साथ है ,बाकी की परिणति है

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  15. शब्दों का रचनाकार के साथ यह संबंध, यह आत्मीयता ही नये स्रजन को नयी स्रष्टि को जन्म देती है..बेहतरीन

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  16. मेरे बगैर
    उन्हें भी भी नींद नहीं आती
    कोई सपने नहीं बनते

    bahut hi achhi kavita

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  17. bahut sundar abhivyakti hai...aur sabse jyada kitna vishwaas hai ki saare shabd laut aayenge....sach hai ki shabd hi to hamaare sapane aur kalpnayen banate hain.....sundar bahon ke liye badhai..... ( ab to beti nahi kahegi na ki badhai is liye ki abhi akal chalti hai ) :):)

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  18. आपके शब्द - नज्म बन कितने ख्वाबो को दस्तक दे बादलो संग रूह बन प्यार की नैया में तैर आते है ...लोटना तो था ही , सुकून भरी नींद जो मिलती है ...ILu..!

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  19. दिल जो चोरी होता, मन जो चोरी होता
    चोर का पता मिल जाता ।
    शब्‍द जो चोरी हुये, भावनायें गुम हुयीं, न चोर मिले न पता उनका ।।
    हर शब्‍द तरसता होगा, हर भावना रोती होगी,
    अपने घर वापसी के लिये ।
    बस यही दुआ रहे कायम , केवल कुछ लफ्ज, चन्‍द भावनायें शेष हैं अब, बहुत जरूरी है वापसी जहॉं के लिये ।।

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  20. इतने कम शब्दों में अपनी बात कहना कोई आपसे सीखे ....शब्द छूटते छुटाते वापस लौट आते हैं मेरे पास भी ...
    देखूं ..कही आप के ही तो नहीं ...!!

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  21. एक कवि की इससे ज्यादा खूबसूरत कल्पना और क्या हो सकती है बहुत ही उम्दा रचना...

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  22. shabd jab ek baar nikale to saare brahmand mein tarangit ho jaate hai aur humne bhi aapke in shabdo ko samet liya ek sundar ehsas ki tarah. Rashmi ji padh kar bahut accha laga.

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  23. befikr rahe shavd ghoom gham kar apane hee basere me lout aaenge aur sath laenge naya ehsaas jo ek nai kavita bana jaenge .

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  24. main nahi maanta...........aap to shabdon ki thaati hain...agnit shabd hain aapke paas,
    Adhbhut kavitaa...badhayee sweekarein

    pranaam

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  25. SHABDON KI CHORI KOI KAR NAHI SAKTA RASHMIJI. WOH BHI AAPSE! LAUTA JAYENGE AAPSO... KUCH NAYE ARTH SAHIT !

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  26. aakhri panktiyaan bahut hi shaandar .bahut achchhi rachna ,ahsaas khone ka wo bhi priya vastuo ka taklifdeh hota hai ,jinka rishta shabdo se hai unke liye shabdo ka khona amant ki tarah hai .

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  27. ha ha ha......hamare bhi chori ho gaye hai......aur hamko bhi ummeed hai ki wo wapas zaroor aayenge...koi khyaal nahi aa raha aajkal....lekin dekhiye na ham to chor ki tareef karenge jaat- jaate khoobsoorat khyaal de gaya

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  28. कम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
    बहुत सुन्दर रचना । आभार

    ढेर सारी शुभकामनायें.

    SANJAY KUMAR
    HARYANA

    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  29. बहुत कमाल का लिखा है ..... शब्द ही तो हैं अगर खो गए तो नए शब्दों का सृजन होगा ...... नए रचना का उदय होगा .... बहुत लाजवाब कविता है ...

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  30. तालियाँ...इस अद्भुत रचना के लिए...वाह रश्मि जी वाह...तालियाँ...
    नीरज

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  31. अपने ही सीखे शब्‍द है कहां जाएंगे
    ?
    आखि‍र अपने ही अर्थों पे लौट आएंगे!

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  32. वाह! बहुत ही सुन्दर कविता..
    शब्द भी गुम हो जाते हैं..होता है सब के साथ कभी कभी..उन्हें भी आजादी चाहिये कलम से निकल भागने की!
    आशा है आप की अगली कविता तक वापस लौट आयेंगे..शुभकामनायें.

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  33. अपने हैं शाम होते लौट आयेंगे... यही भरोसा हमें बांधे रखता है, अपनों से भी और शब्दों से भी... वो जल्द ही लौट आयेंगे और एक और खूबसूरत सी नज़्म बन कर आपकी कलम से जल्द ही निकलेंगे :-)

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  34. रश्मि जी,
    गज़ब खूबसूरत भावाभिव्यक्ति है| शायद आपके शब्दों को ढूंढने मेरे शब्द चल पड़े हैं, इसलिए शब्द विहीन मैं निःशब्द हूँ, और आपकी रचना को पढ़ कर अभिभूत हूँ| शुभकामनायें|

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  35. एक बात कहूं...
    बहुत ही गहराइ लिए शब्दों से जड़ा ये जो लिखा है आपने वो कई ख्वाबों-ख्यालों में उड़ा ले जाता है। जिसमें आप भी खोजना शुरू कर देते हो कि आखिर उस किच-पिड में मेरे शब्द, ख्वाब कहां है?
    और लगता है हर चहरा हर शब्द कल्पना से बना हुअ है।

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  36. kya kahun aaj .....adbhut,bahut hi gazab ka likha hai......shabdon ki ye aankh michoni aise hi pareshan karti hai magar wakai wo hamare bagair aur hum unke bagair kaise rah sakte hain...........bahut hi gahan soch........badhayi

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  37. जो अपने होते हैं वो लौट ही आते है,
    यादों की तरह,
    निभाये जाते है- वादों की तरह.
    इसीलिये आप जब लिखती है कि -: "उन्हें भी नींद नही आती आपके बिना " ...
    तो अहसास होता है, कि आप काव्यसृजन की उस अवस्था में होती है, कि अभिव्यक्ति में ही उस अवस्था की पूर्णता होती है.........!
    आपके काव्य मंदिर में आकर सत्य अक्षरशः कह दिया !
    -रेणु

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  38. ap kasam se madam ji ,,,,,,,,koi shabd hi nahi mil pa raha hai kya kahen apse ....bas,,,,itna kahege ki apke shabdo ko sallam ,,,,shabdo ki ahmiyat kya hoti hai apke shbdo se pata chala ,,,,,,,,,,,abhinandan ,,,,apka

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  39. जबाब नही जी आप का, बहुत सुंदर -शव्दो से सजाया है आप ने इस सुंदर कविता को.
    धन्यवाद

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  40. शब्दों कि चोरी से बड़ी कोई और चोरी नहीं हो सकती...एक ये ही तो सबसे अपने हैं...और इसीलिए इनके लौट आने का विश्वास भी है....हमेशा कि तरह, सुन्दर रचना

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  41. वाह!
    शब्द जो रूह बन हवाओं में तैर रहे हैं उन्हीं के लौटने की संभावना है...
    शब्द
    हंस की तरह हैं
    जहाँ सरस्वती होंगी वहीं जाएंगे।

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  42. जी उन्हे बिल्कुल नीद नही आयेगी आपके बिना....आपके अपने शब्द जो है :)

    बहुत सुन्दर खयाल..

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  43. ha ha ha ha bahut hi pyari n sachchi post ............hota hai kabhi kabhi bhav bahut umarte hai man mai but shabd hi nhi roop dete unko .man machal uthta hai .par shabd rooth gye ho jaise ..........koibat nhi aapke shabd jyada nhi rooth sakte aap se ......superb

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  44. बिलकुल !!!
    शब्द हमेशा अपने ही होते हैं !
    कभी रूठ जाते हैं कभी चोरी !
    लेकिन देर सबेर वापस आ ही जाते हैं

    बहुत सुन्दर रचना!!!

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  45. अपने हैं शाम होते लौट आयेंगे
    मेरे बगैर
    उन्हें भी भी नींद नहीं आती
    कोई सपने नहीं बनते
    wah kya baat kahi hai...tabiyat khush ho gayi

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  46. bahut sunder...unka astitv to man me hi hai..laut ke aana hi hoga..usase mehfooz aur paak thikaana na hoga...

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एहसास

 मैंने महसूस किया है  कि तुम देख रहे हो मुझे  अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में  मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...