मेरे शब्दों की चोरी हो गयी
कोई दस्तक
कोई नज़्म
कोई ख्वाब
कोई बादल
कोई नाव
कोई रूह बन
हवाओं में तैर रहे हैं
.................
कोई रपट नहीं लिखवाई है अब तक
अपने हैं
शाम होते लौट आयेंगे
मेरे बगैर
उन्हें भी नींद नहीं आती
कोई सपने नहीं बनते !!!
शोर से अधिक एकांत का असर होता है, शोर में एकांत नहीं सुनाई देता -पर एकांत मे काल,शोर,रिश्ते,प्रेम, दुश्मनी,मित्रता, लोभ,क्रोध, बेईमानी,चालाकी … सबके अस्तित्व मुखर हो सत्य कहते हैं ! शोर में मन जिन तत्वों को अस्वीकार करता है - एकांत में स्वीकार करना ही होता है
मैंने महसूस किया है कि तुम देख रहे हो मुझे अपनी जगह से । खासकर तब, जब मेरे मन के कुरुक्षेत्र में मेरा ही मन कौरव और पांडव बनकर खड़ा रहता...
Mummyji ......... bahut achchi lagi yeh kavita........
जवाब देंहटाएंaakhiri panktiyon ne dil chhoo liya........
बहुत बढ़िया!! एक दम नया एहसास....नयापन लिए हुए बहुत ही सुन्दर रचना लिखी है बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंशब्द आपकी चोरी हो गयी है
जवाब देंहटाएंकिससे यह सिनाजोरी हो गयी है
दु;ख हुआ होगा उन्हे भी बिछड़कर आपसे
दुआ वो भी कर रहें होंगे मिलने की आपसे।।
खूबसूरत रचना।
शब्द हमेशा पास रहते है .. ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ....आभार आपका
जवाब देंहटाएंआपकी रचना तो बस जी कमाल होती है
जवाब देंहटाएंसीधा दिल में घर कर जाती है.
shabd chori hote hai ya jab khote hai
जवाब देंहटाएंphir bhi wo kahin jahan me hi hote hai
milta hai jab bhi waqt jahan mein aate hai
hame phir se khud se ru-b-ru karate hai
apki kavita par ye khyaal aaya...
bahut acha likha hai
shabd chori hote hai ya jab khote hai
जवाब देंहटाएंphir bhi wo kahin jahan me hi hote hai
milta hai jab bhi waqt jahan mein aate hai
hame phir se khud se ru-b-ru karate hai
apki kavita par ye khyaal aaya...
bahut acha likha hai
achchhi lagi par;
जवाब देंहटाएंkoi nav ban hawao me tair rahe hai
samajh me nahi aya.mai shayad "koi
khayal "likhta .par eisa kyo hota ?
बहुत ही खूबसूरत रचना लिख डाली है आपने... चोरी की इससे बड़ी FIR और कहाँ दर्ज हो सकती थी...
जवाब देंहटाएंaapaki kavita padhkar
जवाब देंहटाएंbahut achchha laga
aur kavi ko pidaa bhi huvii
utani hi pida jitani ki
rashmi ji ko yah kavita likhate samay huvi hogi
matlab ..kavita bahut prabhavit karti hae
sidhe man ko chhu leti hae
dhnyvaad aadarniy rashmi ji
kishor
nisandeh bemishaal hai ye nazm... mere bagair unhe bhi nind nahi aati kya khub baav hain ye... mazaa aagayaa ... salaam
जवाब देंहटाएंarsh
अनूठे एहसास संजो दिये हैं आपने कृति में
जवाब देंहटाएं---
चाँद, बादल और शाम
वाह...!
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी!
इतने कम शब्दों मे पूरी कविता!
लगता है कि लोटे में सागर समा गया है।
devendra ji,
जवाब देंहटाएंतैरना रूह के साथ है ,बाकी की परिणति है
शब्दों का रचनाकार के साथ यह संबंध, यह आत्मीयता ही नये स्रजन को नयी स्रष्टि को जन्म देती है..बेहतरीन
जवाब देंहटाएंमेरे बगैर
जवाब देंहटाएंउन्हें भी भी नींद नहीं आती
कोई सपने नहीं बनते
bahut hi achhi kavita
bahut sundar abhivyakti hai...aur sabse jyada kitna vishwaas hai ki saare shabd laut aayenge....sach hai ki shabd hi to hamaare sapane aur kalpnayen banate hain.....sundar bahon ke liye badhai..... ( ab to beti nahi kahegi na ki badhai is liye ki abhi akal chalti hai ) :):)
जवाब देंहटाएंआपके शब्द - नज्म बन कितने ख्वाबो को दस्तक दे बादलो संग रूह बन प्यार की नैया में तैर आते है ...लोटना तो था ही , सुकून भरी नींद जो मिलती है ...ILu..!
जवाब देंहटाएंदिल जो चोरी होता, मन जो चोरी होता
जवाब देंहटाएंचोर का पता मिल जाता ।
शब्द जो चोरी हुये, भावनायें गुम हुयीं, न चोर मिले न पता उनका ।।
हर शब्द तरसता होगा, हर भावना रोती होगी,
अपने घर वापसी के लिये ।
बस यही दुआ रहे कायम , केवल कुछ लफ्ज, चन्द भावनायें शेष हैं अब, बहुत जरूरी है वापसी जहॉं के लिये ।।
इतने कम शब्दों में अपनी बात कहना कोई आपसे सीखे ....शब्द छूटते छुटाते वापस लौट आते हैं मेरे पास भी ...
जवाब देंहटाएंदेखूं ..कही आप के ही तो नहीं ...!!
एक कवि की इससे ज्यादा खूबसूरत कल्पना और क्या हो सकती है बहुत ही उम्दा रचना...
जवाब देंहटाएंshabd jab ek baar nikale to saare brahmand mein tarangit ho jaate hai aur humne bhi aapke in shabdo ko samet liya ek sundar ehsas ki tarah. Rashmi ji padh kar bahut accha laga.
जवाब देंहटाएंbefikr rahe shavd ghoom gham kar apane hee basere me lout aaenge aur sath laenge naya ehsaas jo ek nai kavita bana jaenge .
जवाब देंहटाएंmain nahi maanta...........aap to shabdon ki thaati hain...agnit shabd hain aapke paas,
जवाब देंहटाएंAdhbhut kavitaa...badhayee sweekarein
pranaam
SHABDON KI CHORI KOI KAR NAHI SAKTA RASHMIJI. WOH BHI AAPSE! LAUTA JAYENGE AAPSO... KUCH NAYE ARTH SAHIT !
जवाब देंहटाएंaakhri panktiyaan bahut hi shaandar .bahut achchhi rachna ,ahsaas khone ka wo bhi priya vastuo ka taklifdeh hota hai ,jinka rishta shabdo se hai unke liye shabdo ka khona amant ki tarah hai .
जवाब देंहटाएंha ha ha......hamare bhi chori ho gaye hai......aur hamko bhi ummeed hai ki wo wapas zaroor aayenge...koi khyaal nahi aa raha aajkal....lekin dekhiye na ham to chor ki tareef karenge jaat- jaate khoobsoorat khyaal de gaya
जवाब देंहटाएंएक दम नया एहसास
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना । आभार
ढेर सारी शुभकामनायें.
SANJAY KUMAR
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत कमाल का लिखा है ..... शब्द ही तो हैं अगर खो गए तो नए शब्दों का सृजन होगा ...... नए रचना का उदय होगा .... बहुत लाजवाब कविता है ...
जवाब देंहटाएंतालियाँ...इस अद्भुत रचना के लिए...वाह रश्मि जी वाह...तालियाँ...
जवाब देंहटाएंनीरज
अपने ही सीखे शब्द है कहां जाएंगे
जवाब देंहटाएं?
आखिर अपने ही अर्थों पे लौट आएंगे!
वाह! बहुत ही सुन्दर कविता..
जवाब देंहटाएंशब्द भी गुम हो जाते हैं..होता है सब के साथ कभी कभी..उन्हें भी आजादी चाहिये कलम से निकल भागने की!
आशा है आप की अगली कविता तक वापस लौट आयेंगे..शुभकामनायें.
अपने हैं शाम होते लौट आयेंगे... यही भरोसा हमें बांधे रखता है, अपनों से भी और शब्दों से भी... वो जल्द ही लौट आयेंगे और एक और खूबसूरत सी नज़्म बन कर आपकी कलम से जल्द ही निकलेंगे :-)
जवाब देंहटाएंरश्मि जी,
जवाब देंहटाएंगज़ब खूबसूरत भावाभिव्यक्ति है| शायद आपके शब्दों को ढूंढने मेरे शब्द चल पड़े हैं, इसलिए शब्द विहीन मैं निःशब्द हूँ, और आपकी रचना को पढ़ कर अभिभूत हूँ| शुभकामनायें|
एक बात कहूं...
जवाब देंहटाएंबहुत ही गहराइ लिए शब्दों से जड़ा ये जो लिखा है आपने वो कई ख्वाबों-ख्यालों में उड़ा ले जाता है। जिसमें आप भी खोजना शुरू कर देते हो कि आखिर उस किच-पिड में मेरे शब्द, ख्वाब कहां है?
और लगता है हर चहरा हर शब्द कल्पना से बना हुअ है।
shabdo ke bina nazam bhi udhuri hai lot ayegi nazam shabdo ke pass....
जवाब देंहटाएंkya kahun aaj .....adbhut,bahut hi gazab ka likha hai......shabdon ki ye aankh michoni aise hi pareshan karti hai magar wakai wo hamare bagair aur hum unke bagair kaise rah sakte hain...........bahut hi gahan soch........badhayi
जवाब देंहटाएंजो अपने होते हैं वो लौट ही आते है,
जवाब देंहटाएंयादों की तरह,
निभाये जाते है- वादों की तरह.
इसीलिये आप जब लिखती है कि -: "उन्हें भी नींद नही आती आपके बिना " ...
तो अहसास होता है, कि आप काव्यसृजन की उस अवस्था में होती है, कि अभिव्यक्ति में ही उस अवस्था की पूर्णता होती है.........!
आपके काव्य मंदिर में आकर सत्य अक्षरशः कह दिया !
-रेणु
kabhi vo hva idhar bhi aa jay aur hme shbd mil jay
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar abhvykti
ap kasam se madam ji ,,,,,,,,koi shabd hi nahi mil pa raha hai kya kahen apse ....bas,,,,itna kahege ki apke shabdo ko sallam ,,,,shabdo ki ahmiyat kya hoti hai apke shbdo se pata chala ,,,,,,,,,,,abhinandan ,,,,apka
जवाब देंहटाएंजबाब नही जी आप का, बहुत सुंदर -शव्दो से सजाया है आप ने इस सुंदर कविता को.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
bahut hi accha likha hai aapne...
जवाब देंहटाएंशब्दों कि चोरी से बड़ी कोई और चोरी नहीं हो सकती...एक ये ही तो सबसे अपने हैं...और इसीलिए इनके लौट आने का विश्वास भी है....हमेशा कि तरह, सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंवाह!
जवाब देंहटाएंशब्द जो रूह बन हवाओं में तैर रहे हैं उन्हीं के लौटने की संभावना है...
शब्द
हंस की तरह हैं
जहाँ सरस्वती होंगी वहीं जाएंगे।
जी उन्हे बिल्कुल नीद नही आयेगी आपके बिना....आपके अपने शब्द जो है :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर खयाल..
ha ha ha ha bahut hi pyari n sachchi post ............hota hai kabhi kabhi bhav bahut umarte hai man mai but shabd hi nhi roop dete unko .man machal uthta hai .par shabd rooth gye ho jaise ..........koibat nhi aapke shabd jyada nhi rooth sakte aap se ......superb
जवाब देंहटाएंबिलकुल !!!
जवाब देंहटाएंशब्द हमेशा अपने ही होते हैं !
कभी रूठ जाते हैं कभी चोरी !
लेकिन देर सबेर वापस आ ही जाते हैं
बहुत सुन्दर रचना!!!
अपने हैं शाम होते लौट आयेंगे
जवाब देंहटाएंमेरे बगैर
उन्हें भी भी नींद नहीं आती
कोई सपने नहीं बनते
wah kya baat kahi hai...tabiyat khush ho gayi
bahut sunder...unka astitv to man me hi hai..laut ke aana hi hoga..usase mehfooz aur paak thikaana na hoga...
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