यीशू
तुमने कहा था -
'पहला पत्थर वह चलाये
जिसने कभी कोई पाप न किया हो ...'
तुम्हें सलीब पर देख आंसू बहानेवाले
तुम्हारे इस कथन का अर्थ नहीं समझ सके
या संभवतः समझकर अनजान हो गए !
अपना पाप दिखता नहीं
प्रत्यक्ष होकर भी वचनों में अदृश्य होता है
तो उसे दिखाना कठिन है ...
पर दूसरों के सत्कर्म भी
पाप की संज्ञा से विभूषित होते हैं
उसे प्रस्तुत करते हुए “वचनम किम दरिद्रता” !
फिर उसके रेशे रेशे अलग करना
संवेदना नहीं
दर्द का मज़ाक है
और अपना सुकून !
बातों की तह तक जानेवाले
बातों से कोई मतलब नहीं रखते
बल्कि उसे मसालेदार बनाकर
दिलचस्प ढंग से
अपना समय गुजारते हैं ...
वितृष्णा होती है !!!
किसी और में कमी देखने से पहले
खुद को देखना कभी नहीं आया
जाने कबीर ने क्या सोचकर अपने भावों को रखा
'बुरा जो देखन मै चला, बुरा न मिलिया कोय
जो मन खोजा आपना ,मुझसे बुरा न कोय'....
.....
कबीर को क्या पता कि कोई खुद को बुरा नहीं मानता
हाँ उनकी पंक्तियाँ रेखांकित हो गईं
अपरोक्ष दूसरों को बुरा जताने में !
गलती छोटी-बड़ी सबसे होती है
पर निशाने पर -
हमेशा दूसरा होता है
सूक्तियां खुद को आदर्श दिखाने के लिए होती हैं
आदर्श बनने के लिए नहीं !
सुनामी हर किसी के हिस्से होती है
देर सबेर उससे गुजरना होता है
और जब गुजरो
सही मायनों में सीखने समझने का वही सवेरा होता है ....
सुनामी हर किसी के हिस्से होती है
जवाब देंहटाएंदेर सबेर उससे गुजरना होता है
और जब गुजरो
सही मायनों में सीखने समझने का वही सवेरा होता है ....
शायद , तब भी कुछ .............
!!
बहुत ही बेहतरीन और उत्कृष प्रस्तुति....
जवाब देंहटाएंसुनामी हर किसी के हिस्से होती है
जवाब देंहटाएंदेर सबेर उससे गुजरना होता है
और जब गुजरो
सही मायनों में सीखने समझने का वही सवेरा होता है ....सही कहा है सार्थक रचना ...बहुत दिनों बाद लिखा ? बस चिंता हो रही थी इसीलिए !
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंगलती छोटी-बड़ी सबसे होती है
जवाब देंहटाएंपर निशाने पर -
हमेशा दूसरा होता है
सूक्तियां खुद को आदर्श दिखाने के लिए होती हैं
आदर्श बनने के लिए नहीं !
बेहतरीन औरहमेसा की तरह श्रेष्ठ कविता बधाई रश्मि जी
बहुत सुन्दर अर्थपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंगलतियाँ सबसे होती हैं मगर निशाने पर दूसरे होते हैं !
जवाब देंहटाएंसार्वभौमिक सत्य !
सुनामी हर किसी के हिस्से होती है
जवाब देंहटाएंदेर सबेर उससे गुजरना होता है
और जब गुजरो
सही मायनों में सीखने समझने का वही सवेरा होता है ....
बस वक्त रहते चेतने की जरूरत होती है
सच कहा दी.....
जवाब देंहटाएंअक्सर लोगों के पास आइना नहीं होता....
सादर
अनु
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (24-03-2013) के चर्चा मंच 1193 पर भी होगी. सूचनार्थ
जवाब देंहटाएंसुनामी हर किसी के हिस्से होती है
जवाब देंहटाएंदेर सबेर उससे गुजरना होता है
और जब गुजरो
सही मायनों में सीखने समझने का वही सवेरा होता है
यह बात सही है केवल संवेदनशील व्यक्ति केलिए .-वही सीखता है .होली की अग्रिम शुमकामनाएँ
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सुनामी हर किसी के हिस्से होती है
जवाब देंहटाएंदेर सबेर उससे गुजरना होता है ,,,,बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ,,,
होली की हार्दिक शुभकामनायें!
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बहुत ही बेहतरीन रचना...
जवाब देंहटाएंअपने मन के मैल का प्रक्षालन सबसे जरूरी है. बस इंसान थोडा समय खुद पर व्यतीत कर ले और उस मैल को धो ले तो बहुत कुछ ठीक हो जाएगा अपने आप. सुन्दर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंसुनामी हर किसी के हिस्से होती है
जवाब देंहटाएंदेर सबेर उससे गुजरना होता है
और जब गुजरो
सही मायनों में सीखने समझने का वही सवेरा होता है ....
सार्थक प्रस्तुति दी ....!!
सुनामी हर किसी के हिस्से होती है
जवाब देंहटाएंदेर सबेर उससे गुजरना होता है
और जब गुजरो
सही मायनों में सीखने समझने का वही सवेरा होता है ....
सार्थक प्रस्तुति दी ...
गहन दर्शन ... हमेशा ही कुछ अच्छी सीख मिलती है आपकी पंक्तियों से ...
जवाब देंहटाएंहोली की अग्रिम सादर शुभकामनाएं आपको !! :)
सभी के सम्मिलित विचारों का लेखा जोखा
जवाब देंहटाएंकबीर को क्या पता कि कोई खुद को बुरा नहीं मानता
जवाब देंहटाएंहाँ उनकी पंक्तियाँ रेखांकित हो गईं
अपरोक्ष दूसरों को बुरा जताने में !
गलती छोटी-बड़ी सबसे होती है
पर निशाने पर -
हमेशा दूसरा होता है
कितनी सहजता से आपने सच सबके सामने कर दिया ...सशक्त अभिव्यक्ति
सादर
सूक्तियां खुद को आदर्श दिखाने के लिए होती हैं
जवाब देंहटाएंआदर्श बनने के लिए नहीं !
सुनामी हर किसी के हिस्से होती है
देर सबेर उससे गुजरना होता है
सही कहा आपने ....गहन भाव... आभार
हम सभी अपने जीवन की मुसीबतों और कठिनाइयों से सीखते हैं.
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत ख़ूब! होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंसच कहा आपने, आत्म को देखने से सब सरस लगने लगता है, दुख घटता है, सुख बढ़ता है।
जवाब देंहटाएंसुनामी हर किसी के हिस्से होती है
जवाब देंहटाएंदेर सबेर उससे गुजरना होता है
और जब गुजरो
सही मायनों में सीखने समझने का वही सवेरा होता है .
सार्थक एवँ प्रेरक रचना ! इसे गुनने और अमल में लाने की ज़रूरत है ! आभार रश्मिप्रभा जी एवँ होली की ढेर सारी शुभकामनायें !
दर्द को सुनकर उसको तार-तार करना ...सच में जाने कैसा सुकून मिलता है इसमें लोगों को ....और कबीर की उक्ति ...सच ....जब भी दोहराई गयी यही जताने के लिए कि सामने वाला गलत है ...अपना दोष हम देखते ही कब हैं ......बहुत गहरी बात
जवाब देंहटाएंबातों की तह तक जानेवाले
जवाब देंहटाएंबातों से कोई मतलब नहीं रखते
बल्कि उसे मसालेदार बनाकर
दिलचस्प ढंग से
अपना समय गुजारते हैं ...
ये कडुआ सच है ... पर हर इंसान एक्सा नहीं होता .. हां अधिकतर ऐसे ही होते हैं .. इसलिए अपना दुःख अंदर रखना ही ठीक होता है ...
सच कहा ..अपना दोष तो देख कर भी अनदेखा कर दिया जाता है ....और सुनामी तो झेलना ही है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना शुभ कामनाये
ये आदमी की फितरत है अपने दोष तो तुरंत क्षमा कर देता है...और दूसरों के टॉर्च लगा के देखता है...
जवाब देंहटाएंसुनामी हर किसी के हिस्से में होती है, देर सवेर उससे गुजरना ही होता है.
जवाब देंहटाएंसच है कोई नहीं बच सकता उससे
यथार्थ कहती रचना.
जब तक कठिन परिस्थिति नहीं आती तब तक उसका अनुभव भी नहीं होता .... बहुत सार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबातों की तह तक जानेवाले
जवाब देंहटाएंबातों से कोई मतलब नहीं रखते
बल्कि उसे मसालेदार बनाकर
दिलचस्प ढंग से
अपना समय गुजारते हैं ...
सच कहा आपने, ये तो हमारी मीडिया की बात है
बहुत बहुत मुबारक होली
सबको पार उसी के जाना,
जवाब देंहटाएंतूफ़ानों से प्रेम पुराना।
सबको पार उसी के जाना,
जवाब देंहटाएंतूफ़ानों से प्रेम पुराना।
दीदी,
जवाब देंहटाएंज़माना ऐसा आ गया है कि यीशु के यह कहने पर कि पहला पत्थर वो मारे जिसने कभी पाप न किया हो.. सब पत्थर मारने को दौड़े चले आयेंगे, यह साबित करने कि उन्होंने तो कभी कोई पाप किया ही नहीं..
वर्त्तमान की कडवी सचाई बयान करती कविता.. और कविता के तेवर.. मेरी दीदी के तेवर जैसे!!
और वह सिर्फ अपने सीखने के लिए होता है ...किसीको जताने के लिए ...बहुत सुन्दर रश्मिजी
जवाब देंहटाएंसही है ..सुनामी हर किसी के हिस्से में आती है देर सवेर | दूसरों पर अंगुली उठाने से पहले खुद के गिरेबान में झांकना चाहिए |पर आजकल की इस आपाधापी वाले जीवन में फुरसत कहाँ है ये सब सोचने की |
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