12 जून, 2014

असली जीवन शब्दों में असली मृत्यु शब्दों से !





जिन पर शब्दों का जादू चलता है,
वे शाब्दिक अस्त्र से मारे जाते हैं
शब्द खुद ही होते हैं द्रोण - एकलव्य
अर्जुन-कर्ण
सारथि-भीष्म
शब्द ही पासे
शब्द ही शकुनि
शब्द ही करते हैं चीरहरण
शब्द ही संकल्प उठाते हैं
शब्द ही चक्रव्यूह - अभिमन्यु
और मारक प्रिय जन
असली जीवन शब्दों में
असली मृत्यु शब्दों से !

हास्य एक मृदु रिश्ता भी
हास्य मखौल भी
शब्द और शब्दों के साथ चेहरा
गहन शाब्दिक मायने देते हैं
शब्द शब्द सहलाता है मौन होकर
तो शब्द शब्द नश्तर भी चुभोता है मौन हाहाकार कर
हँसता है शब्द विद्रूप हँसी
रोता है शब्द कातर होकर
शब्दों की अमीरी
शब्दों की गरीबी
आदमी को आदमी बनाती है
आदमी को प्रश्न बनाती है
आदमी को हैवान दिखाती है

तो - शब्दों के ब्रह्ममुहूर्त से
प्रार्थना के शब्द लो
अर्घ्य में अमृत से शब्दों का संकल्प लो
फिर दिन की,जीवन की शुरुआत करो  … 

16 टिप्‍पणियां:

  1. वाह । कोशिश जारी रहनी चाहिये। शब्द मृत्यू मिले इससे अच्छा क्या ? :)

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  2. शुभप्रभात
    एक एक शब्द से सहमत हूँ
    शुभ दिवस

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  3. शब्द - शब्द जीवन शब्द - शब्द मृत्यु ये है शब्दों की ताक़त...अतिसुन्दर...

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  4. शब्द सर्वसमर्थ है..शाश्वत सत्य को उद्घाटित करती पंक्तियाँ..

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  5. हास्य एक मृदु रिश्ता भी
    हास्य मखौल भी
    शब्द और शब्दों के साथ चेहरा
    गहन शाब्दिक मायने देते हैं
    शब्द शब्द सहलाता है मौन होकर
    ................ बेहद सार्थक एवं सशक्‍त भाव लिये अनुपम अभिव्‍यक्ति

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  6. शब्द सार्थक हो बहुत सुंदर तभी सुख है ! मंगलकामनाएं आपको !

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  7. तो - शब्दों के ब्रह्ममुहूर्त से
    प्रार्थना के शब्द लो
    अर्घ्य में अमृत से शब्दों का संकल्प लो
    फिर दिन की,जीवन की शुरुआत करो …

    शब्दों का ऐसा ही उपयोग जीवन को सार्थक बनायेगा।

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  8. सुंदर. शब्दों में बहुत ताकत है

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  9. इसलिये शब्दों को बृम्ह की उपमा दी गई है..
    सुंदर और मार्मिक रचना।।।

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  10. शब्द ही शब्द हैं चरों और इनके बिच मौन समाप्त हो चला है

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  11. बिलकुल सच कहा है .. शब्द ही होते हैं जो तीखे तेज़ धार बन जाते हैं और प्रार्थना भी ...
    गहरा भाव लिए ...

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  12. तो - शब्दों के ब्रह्ममुहूर्त से
    प्रार्थना के शब्द लो
    अर्घ्य में अमृत से शब्दों का संकल्प लो
    फिर दिन की,जीवन की शुरुआत करो …


    वाह दी बहुत सुन्दर

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  13. haan di ...
    bs prem hi hai jo shbdon se pre hai ..nhi kiya ja sakta ..na hi btaya ...aur jise nhi kaat sakta koi shabdik shastr ....
    hhhhhh...!! shbd aur shabdon ki bheeed mein lupt hota maun ...ghutan si hone lgi hai ...

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  14. सोचने लगती हूँ .. कितना सुन्दर शब्द देती हैं आप भावों को..

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