सुनो
तुम मेरी ज़िन्दगी हो
धड़कन हो हर चाह की
माँ के लिए बच्चे से अधिक
कुछ भी मूल्यवान नहीं होता …
हाँ,हाँ जानती हूँ इस बात को तब से
जब मेरी हर बात में मेरी माँ होती थी
....
चलो आज मैं तुम्हें माँ की कहानी सुनाती हूँ :)
ईश्वर एक दिन बड़ा परेशान था
उसके पास बहुत सारे काम थे
और वह सोच रहा था
कि जब वह किसी कुरुक्षेत्र में
न्याय-अन्याय की पैनी धार पे होगा
तो सृष्टि में सूर्य कवच सा कौन होगा सुरक्षा में !
तभी उसकी माँ ने उसके सर पे हाथ रखा
और कहा -
जिस माँ के गर्भ से विराट स्वरुप का जन्म हो
उस माँ की शक्ति से बढ़कर और कौन सी शक्ति होगी ?
माँ कंस से भी नहीं डरती
9 महीने की सुरक्षा देकर
जिस अर्थ को वह जन्म देती है
उस अर्थ के आगे पूरी सृष्टि दुआओं के धागे बाँधती है …
ईश्वर मासूम बच्चे सा मुस्कुरा उठा
और अपनी माँ के ह्रदय से एक माँ की रचना की
धरती पर भेजकर निश्चिन्त हो गया।
जानते हो,
माँ जादूगर होती है
बच्चे की हर अबोली भाषा को समझती है
उसकी नींद से सोती है,
जागती है
पूतना को मार गिराने की
कंस को खत्म करने की
धरती-आकाश के विस्तार को नापने की ताकत
अपने जाये में भरती है
सीने से लगाकर
उसकी भूख मिटाकर
उसमें विघ्नहर्ता सा साहस देती है …
तो अब तुम ही कहो
तुमको रोने की क्या ज़रूरत
तुम्हारे आगे लक्ष्मण रेखा सी माँ की दुआएँ हैं
यूँ कहो उससे बढ़कर
हाँ :)
तुम भी उसे पार करके तूफ़ान में नहीं जा सकते
हर आँधी तूफ़ान के लिए माँ का आँचल काफी है
थपेड़े लोरी बन जाते हैं
माँ के एक इशारे पर
राक्षस तक बच्चे को हँसाता है
तभी तो
ऐसी हँसी पर ख़ुदा याद आता है
माँ
जवाब देंहटाएं.......................सा कोई ना दूज़ा
.............. बेमिसाल अभिव्यक्ति
माँ तो जीवन का आधार है,
जवाब देंहटाएंअपने होने का सम्पूर्ण सार है,
माँ ईश्वर से पहले आदरणीय है,
माँ तो ईश्वर के लिए भी वन्दनीय है.
"हर आँधी तूफ़ान के लिए माँ का आँचल काफी है "
और माँ अगर दूर हो, तो बहुत बहुत याद आती है!! :(
बेजोड़ भाव.... माँ से जुड़ा हर भाव कहीं भीतर उतरता है |
जवाब देंहटाएंमन को छूता कोमल भाव
जवाब देंहटाएंहाँ बस एक माँ ही तो है जो बस माँ होती है । वाह ! बहुत सुंदर ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (13-09-2014) को "सपनों में जी कर क्या होगा " (चर्चा मंच 1735) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुंदर...अव्यक्त है मां का प्रेम, मां का रूप।।।
जवाब देंहटाएंजिसको नहीं देखा हमने कभी,
जवाब देंहटाएंफिर उसकी ज़रूरत क्या होगी,
ऐ माँ! तेरी सूरत से अलग
भगवान की सूरत क्या होगी!
बस दीदी! आपने जो चित्र खींचा वह सीधा मन मन्दिर में एक देवी की मूर्ति की तरह स्थापित हो गया!
माँ के रूप में ईश्वर का संरक्षण मिलता है...लाजवाब...
जवाब देंहटाएंमाँ का आँचल ईश्वर का संरक्षण हो जैसे !
जवाब देंहटाएंममतामयी !
बहुत ही सुन्दर विचार ,अद्भुत ,अनुपम।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पंक्तियाँ, आपकी कलाम निस्संदेह लाजवाब
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक रचना
जवाब देंहटाएंसार्थक भी सुंदर भी प्रेरक भी। माँ सम कौन प्रभु इस जग में।
जवाब देंहटाएंबहुत प्रेरक सुन्दर रचना :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दीदी
जवाब देंहटाएंएक बेटी और एक माँ होने के नाते समझ सकती हूँ
दिल को छू गयी अपनी रचना
भावपूर्ण और हृदय से निकली पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएंमां की सीमाएं असीमित हैं अनंत सागर भावों का जिसना जाना उसने ही पाया संसार प्रेम-अभिव्यक्ति का.
जवाब देंहटाएंek aurat fir se janm leti hai apne bachche ke saath, ye kahawat ab samjh mein aayi hai.
जवाब देंहटाएंDar, ghabrathat, pyaar, pride, chinta, hopes..har feeling apne charam pe pahunch jaati hai apne bachche ke saath
माँ ......इश्वर का रूप । भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।
जवाब देंहटाएंमां के रूप का भव्य चित्रण...
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