प्रिय तुम,
तुम्हारे मन में भी
ख्यालों का बवंडर उठता होगा
बंद आँखों के सत्य में
तुम्हारे कदम भी पीछे लौटते होंगे
इच्छा होती होगी
फिर से युवा होने की
दिल-दिमाग के कंधे पर
गलतियों की जो सजा भार बनकर है
उसे उतारकर
नए सिरे से
खुद को सँवारने का दिल करता होगा !
आँगन,
छत वाले घर में
पंछियों के मासूम कलरव संग
फिर खेलने का मन करता होगा
किसी कोने में खत लिखने की चाह होगी
डाकिये के आने पर
ढेर सारे लिफ़ाफ़े, अंतर्देशीय के बीच
अपने नाम के खत की तलाश होगी !
अतीत को भूलने की बात तुम भी करते हो
पर हर घड़ी अतीत में लौटने की चाह
पुरवइया सी मचलती होगी …
पीछे रह गए कुछ चेहरों की तलाश तुम्हें भी होगी
ग़ज़ल गुनगुनाते हुए
दोपहर की धूप की ख्वाहिश तुम्हें भी होगी
…
तुम मुझसे अलग नहीं
पगडंडियाँ, सड़कें
शहर, देश का फर्क होगा
पर लौटने की चाह एक सी है
घर,प्यार, … शरारतें
तुम भी फिर से पाना चाहते हो
मैं भी …
अलग कुछ नहीं होता
जवाब देंहटाएंसमय होता है अलग
नीड़ से उड़ा पंछी
लौटना चाहता है
कभी किसी शाम
फिर से बुनने के
लिये कुछ सपने
अपने तिंनके तिनके ।
बहुत सुंदर रचना ।
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, कॉर्प्रॉट सोशल रिस्पोंसबिलिटी या सीएसआर कितना कारगर , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंबीतें सुनहरे पलों को कौन नहीं फिर से जीना चाहता होगा... लेकिन फिर वापस लौट पाता संभव कहाँ किसी प्राणी के लिए ... बहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंप्रिय तुम,
जवाब देंहटाएंतुम्हारा खत मिला
मन को कितना सुकून मिला
बता नहीं सकती मै
अतित के सारे चित्र
इन आँखों में फिर से
एक बार तैर गए !
क्या करू देखो न
जिंदगी की अंधी भागदौड़
सुबह से शाम
मुझे इतना दौड़ाती
इतना दौड़ाती है कि ,
मनचाहा बहुत कुछ
छूट गया है बहुत पीछे
और आज सामने मेरे
सारी दुनिया को
दिखाने के लिए
कुछ चाहा कुछ अनचाहा सा
भीतर से खोकला
बाहर से सफल जीवन
अब इतना आसान भी तो नहीं
पीछे लौट पाना
चाहती तो मै भी हूँ !
सच है। यह चाहतें तो सभी की होंगी पर जीवन के इन सुनहरे पलों को याद बनकर साथ ले आगे बढ़ते जाना ही जीवन है। वो जीवन जो किसी के वश में नहीं। वरना शायद ही कोई ऐसा हो जो जीवन के इन बीते सुनहरे पलों में लौटजाना न चाहता हो।
जवाब देंहटाएंसच है। यह चाहतें तो सभी की होंगी पर जीवन के इन सुनहरे पलों को याद बनकर साथ ले आगे बढ़ते जाना ही जीवन है। वो जीवन जो किसी के वश में नहीं। वरना शायद ही कोई ऐसा हो जो जीवन के इन बीते सुनहरे पलों में लौटजाना न चाहता हो।
जवाब देंहटाएं'तुम मुझसे अलग नहीं
जवाब देंहटाएंपगडंडियाँ, सड़कें
शहर, देश का फर्क होगा
पर लौटने की चाह एक सी है
घर,प्यार, … शरारतें
तुम भी फिर से पाना चाहते हो
मैं भी … ' दिल को छू गयी यह प्रस्तुति.
"अतीत को भूलने की बात तुम भी करते हो
जवाब देंहटाएंपर हर घड़ी अतीत में लौटने की चाह
पुरवइया सी मचलती होगी …
पीछे रह गए कुछ चेहरों की तलाश तुम्हें भी होगी
ग़ज़ल गुनगुनाते हुए
दोपहर की धूप की ख्वाहिश तुम्हें भी होगी "
क्या बात है,बहुत खूब लिखा है/