माना कृष्ण
जो भी होता है वो अच्छे के लिए होता है
पर जब होता है
तब तो अच्छा कुछ भी नहीं दिखता
एक नई स्थिति
नए रूप में
उबड़खाबड़ ज़मीन पर
नई हिम्मत से खड़ी होती है
एक नहीं सौ बार गिरती है
निःसन्देह,
उदाहरण तो बन जाती है
पर कृष्ण
उदाहरण से पूर्व जो वेदना होती है
बाह्य और आंतरिक
जो हाहाकार होता है
वह असहनीय होता है
...
तुम ही कहो
तुम्हारे साथ जो भी हुआ
उसमें तुम्हारे लिए क्या अच्छा था ?
गीता सुनाकर भी प्रश्नों के घेरे में हो !!!
यह प्रश्न अनुचित है कृष्ण
"तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो"
तुम भी समझो
पूरा गोकुल तुम्हारा था
कर्तव्य अपनी जगह है
पर चले जाना हाथ से सबकुछ ...
मन को बीमार कर देता है
भीड़ में अकेला कर देता है !
अकेला होकर आदमी कितनी भी बड़ी बात कह दे
पर अकेलेपन का दर्द
उन्हीं बातों को दुहराता है
जो चला जाता है !!!
ऐसे में
इस बात की भी कोई ज़रूरत नहीं थी
कि तुम
अपने नाम से पहले राधा का नाम दो
पर इसे देकर तुमने यही विश्वास दिया
कि तुम राधा के पास हो
रोने की ज़रूरत नहीं ...
फिर भी राधा प्रतीक्षित रोती रही
तुम राधा को गुनते रहे ...
जाने देते इस नाम को
...
लाने का उपक्रम तो हम ही होते हैं न कृष्ण
ऐसा नहीं होता
तो ऐतिहासिक कहानियाँ नहीं होतीं !
सहकर बढ़ना नियति है
एक दिन मृत्यु को पाना नियति है
पर भूल जाना
मान लेना कि अपना कुछ भी नहीं था
संभव नहीं है
जीतेजी जो सबकुछ भूल जाता है
वह बीमार होता है
उसे ठीक करने के लिए कई उपाय होते हैं
...
नहीं कृष्ण
जो आज मेरा था
वह कल किसी और का भी" होगा
- मान सकती हूँ
पर वह मेरा नहीं था, यह कैसे मान लूँ ?
क्या तुम देवकी के नहीं थे ?
यशोदा के नहीं थे ?
राधा के नहीं थे ? ....
यदि यही सत्य है तो लुप्त कर दो कहानियाँ
क्योंकि,
सारी कहानियाँ भी तो यहीं बनी थीं
यहीं रह गईं
फिर कहना-सुनना ही क्या है !
कहो कृष्ण !!!
कृष्ण कहाँ कुछ कहते हैं। वो तो सब कह चुके हैं। जो बच गया । वो हमारे लिये है। हिसाब किताब करने के लिये है बस ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन सत्यजीत रे और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 04 मई 2016 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंJo hota hai achchhe k liye hota hai..... Pr achchha ...... Bht sahi gehan baaat ...
जवाब देंहटाएंकृष्ण को जवाब देना ही होगा , सवाल आप ही कर सकती है , अच्छी रचना बधाई
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (04-05-2016) को "सुलगता सवेरा-पिघलती शाम" (चर्चा अंक-2332) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रश्नों के घेरे में भी जो भाव रहित हो वाही तो कृष्ण है ...
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी रचना ...
युग के साथ सब बदल गया हो जब तब मन का समाधान कैसे करोगे कृष्ण,फिर कोई रूप धारोगे युगानुकूल.विराट्-रूप हो तुम .पता नहीं कब कहाँ कौन सी लीला विस्तारो -नटनागर हो न! .
जवाब देंहटाएंमील के पत्थर होने से पहले उसे कितना सहना होता है कि फ़िर पूजे जाने का उत्साह ही नहीं बचता!
जवाब देंहटाएंसारी कहानियाँ भी तो यहीं बनी थीं
जवाब देंहटाएंयहीं रह गईं
फिर कहना-सुनना ही क्या है !
कहो कृष्ण !!!
सच सबकुछ यही धरा रह जाता है बस नेकी रह जाती हैं वह भी कितने दिन रहेगी कोई नहीं जानता
बहुत सुन्दर
अब RS 50,000/महीना कमायें
जवाब देंहटाएंWork on FB & WhatsApp only ⏰ Work only 30 Minutes in a day
आइये Digital India से जुड़िये..... और घर बैठे लाखों कमाये....... और दूसरे को भी कमाने का मौका दीजिए... कोई इनवेस्टमेन्ट नहीं है...... आईये बेरोजगारी को भारत से उखाड़ फैंकने मे हमारी मदद कीजिये.... 🏻 🏻 बस आप इस whatsApp no 8017025376 पर " INFO " लिख कर send की karo or